मंगलवार, 31 अगस्त 2021

Dr. Maria Montessori (डॉ० मारिया मांटेसरी)

 


       "We cannot teach a person to be an Artist but we can help him develop an eye that sees, a hand that obeys, and a soul that feels."

 - Maria Montessori (31 Aug 1870-06 May 1952)


         31 अगस्त 1870 को इटली में जन्मी डॉ० मारिया मांटेसरी बच्चों को शिक्षा देने की पद्धति में क्रान्तिकारी बदलाव लाने वाली शिक्षाशास्त्री और चिकित्सक थी। रोम विश्वविद्यालय में मंदबुद्धि बालकों की चिकित्सा का कार्य करते हुए उनका ध्यान उन बच्चो की शिक्षा की ओर गया और उन्होंने मांटेसरी पद्धति का विकास किया जो बाद में सामान्य बुद्धि बच्चो के शिक्षा के लिये भी उपयोगी पाया गया। 

      बाल विकास के लिए सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक मोंटेसरी प्रणाली में बच्चों को एक साथ काम करने, खेलने, अनुशासन और स्वतंत्रता पर महत्व दिया जाता है। मोंटेसरी पद्धति में कलात्मक अभिव्यक्ति से जुड़े कौशल पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते है और बच्चे की अपनी मूल और अनूठी कला को प्रोत्साहन देते है। मांटेसरी शिक्षण पद्धति में बच्चों को रंगने के लिए आयु क्षमता के अनुरूप कार्य दिया जाता है इससे बच्चे को न केवल एक बहुत अच्छी आत्म छवि मिलती है, बल्कि अवलोकन और कलात्मक प्रतिभा दोनों का कौशल होता है। 

      डॉ० मारिया मांटेसरी का विश्वास था कि बाल शिक्षा का मूल उद्धेश्य बच्चों के नैसर्गिक विकास (Natural development) में सहायक होना और बच्चों का सर्वांगीण विकास होना चाहिए। चिकित्साशास्त्र से सम्बंधित होने के कारण वे यह भी मानती थीं कि शिक्षा को बच्चों के साधारण मानसिक एवं ऐंद्रिक दोषों जैसे:- भीरुता (Cowardice), वाणीदोष, आदि। के सुधार में भी सहायक होना चाहिए। इस पद्धति पर चलाया जानेवाला पहला स्कूल श्रमिक बच्चो के लिये सेन लोरेंजो में 6 जनवरी 1907 को खुला था और 1913 में आयोजित प्रथम अन्तरराष्ट्रीय मांटेसरी प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में अमरीका, अफ्रीका, भारत तथा कई यूरोपीय देशों के लोग सम्मिलित हुए थे।

       डॉ० मांटेसरी अपने दत्तक पुत्र मारिओ मांटेसरी के साथ 1939 में भारत आई थी और दस वर्ष तक यहां रह कर “शांति के लिए शिक्षा" जैसे विषयों पर कार्य किया। डॉक्टर मारिया मोंटेसरी को विश्वास था कि आप एक बच्चे को एक कलाकार बनने के लिए नहीं "सिखा" सकते हैं, हालांकि, वह बच्चों की रचनात्मक क्षमताओं का पोषण करने और उन्हें एक आंख जो देखती है, एक हाथ जो पालन करती है, और एक आत्मा जो महसूस करती है" विकसित करना सिखाती है।

उनका कहना था-

"We cannot teach a person to be an Artist but we can help him develop an eye that sees, a hand that obeys, and a soul that feels."

 -Maria Montessori.


"हम किसी व्यक्ति को कलाकार बनना नहीं सिखा सकते हैं, लेकिन हम उसे देखने वाली आंख, आज्ञा मानने वाले हाथ और महसूस करने वाली आत्मा विकसित करने में मदद कर सकते हैं।"  

-मारिया मोंटेसरी

        प्रत्येक बच्चा दुनिया के साथ अलग तरह से बातचीत करता है और कलात्मक अभिव्यक्ति बच्चों के रचनात्मक, दृश्य, संवेदी और भावनात्मक विकास के लिए आवश्यक है। व्यावहारिक शिक्षा को ज्यादा महत्त्व देने वाली डॉ० मारिया का विचार था कि वही शिक्षा पद्धति श्रेष्ठ है जो शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, नैतिक, संवेगात्मक दृष्टि से बालक का विकास करे। इसलिए उन्होंने संगीत, नृत्य, खेल-कूद, कला तथा रोचक गतिविधियों का समावेश किया।

        मोंटेसरी वातावरण में बच्चों को कला गतिविधियां उनकी रचनात्मकता का पता लगाने और उनका उपयोग करने में मदद करती हैं। इसमें बच्चों के लिए महत्वपूर्ण कला एक प्रक्रिया है न कि उत्पाद, जबकि वयस्कों के लिए कला का लक्ष्य एक उत्पाद का उत्पादन करना होता है। दुनिया में पढ़ाने के तरीक़ों की तस्वीर बदल के रख देने वाली डॉ० मारिया मांटेसरी का निधन 06 मई 1952 को हॉलैंड में हुआ।

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