रविवार, 1 अगस्त 2021

शिक्षक वृत्तिक विकास (Teacher Professional Development) Hindi & English Notes.

 विद्यालय संस्कृति, परिवर्तन और शिक्षक विकास 

 शिक्षक वृत्तिक विकास के आयाम 

            जीवनयापन और भरण-पोषण हेतु आय के स्रोत की जरूरत होती है। इसके लिए व्यक्ति को किसी कार्य से जुड़ना पड़ता है। आमतौर पर व्यक्ति किसी कार्य से जुड़कर ही आय अर्जित कर पाता है। जब वह इसी कार्य को लगातार या दिन-प्रतिदिन करता है तो वह उस कार्य में अभ्यस्त हो जाता है। उस कार्य से उसका तादात्मय (identification) कायम हो जाता है। यह कार्य उसका पेशा कहा जाने लगता है। समाज उसे उसी पेशे से जुड़ा हुआ मानता है और व्यक्ति भी उसी पेशे के साथ अपनी आय अर्जित करता जाता है। यही उसको 'वृत्ति' कहलाती है। 

            व्यक्ति अपनी वृत्ति के अनुकूल स्वयं को ढाल लेता है ताकि वह अपनी वृत्ति को स्थायी कर सके और उसमें आनन्द का अनुभव करें। वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में कई नवाचारी परिवर्तन हुए हैं जिसके कारण शिक्षक में कई कौशलों की अनिवार्यता हो गई है। उदाहरणस्वरूप, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का विद्यालय में उपयोग को देखा जा सकता है। आवश्यकता है कि वर्तमान को आवश्यकता एवं भविष्य की चुनौतियों को समझकर शिक्षक स्वयं में वांछित कौशलों को विकसित करता रहे ताकि वह अपनी वृहत्त के साथ पूर्ण आनन्द लेते हुए न्याय कर सके और गर्व कर सके। नए उपागम में, शिक्षक वृत्तिक विकास को एक चिंतनशील प्रतिमान के रूप में स्वीकारा जा रहा है। इस तरह, नए सिद्धांतों के अनुरूप शिक्षक वृत्तिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक शिक्षक अपने कार्यों को निरन्तर विश्लेषित करता रहता है और इससे प्राप्त अनुभवों से स्वज्ञान का संवर्धन भी करता है। इस संदर्भ में यह मान्यता है कि चिंतनशील प्रक्रिया को अपनाने से ही एक शिक्षक स्वदृष्टिकोण को वास्तविक रूप से विकसित कर सकता है। इस प्रकार शिक्षक वृत्तिक विकास की संकल्पना में आए नव परिवर्तनों ने शिक्षक के अधिगम एवं कार्यों की एक नई छवि प्रस्तुत की जिसमें इसे एक सीमित व लघु प्रक्रिया से परे एक सतत् एवं दीर्घकालिक प्रक्रिया माना गया है। वृत्तिक विकास की इस संकल्पना में शिक्षण कौशलों के साथ-साथ एक शिक्षक के वैयक्तिक एवं सामाजिक पहलुओं को भी उसके विकास के लिए महत्त्वपूर्ण माना गया है।

        शिक्षकों की वृत्तिक क्रियाएँ उनके सैद्धांतिक ज्ञान का प्रतिफल है। शिक्षकों का यही सैद्धान्तिक ज्ञान उनके शिक्षण की वृत्ति में प्रकट होता है। वृत्तिक विकास के अन्तर्गत यह जानना जरूरी है कि स्वयं से वृत्तिक उद्भव प्रक्रिया से सहभागी बनते है  तथा उनके कार्यों की अपनी जटिलता और विशेषता है। वे अपने कार्यकाल के कई चरणों से गुजरते हुए विविध अनुभव प्राप्त करते हैं। इस दौरान वे अपने वृत्तिक कार्य को अलग-अलग दृष्टिकोणों से देखते हैं। उदाहरणत: पाठ्यचर्या, पुस्तकें, शिक्षणशास्त्र कक्षागत प्रक्रियाए अधिगमकर्ता की प्रकृति समाज आदि के विषय में उनकी धारणाएं एवं समझ प्राप्त अनुभव के आधार पर निरंतर विकसित और संवर्धित होती रही है जो उनके वृत्तिक विकास के स्थाई घटक हैं।

शिक्षक वृत्तिक विकास शिक्षण की पेशागत संवर्धन में सहायक:- शिक्षक की कार्य संस्कृति और सामाजिक परिदृश्य भी उसके वृत्तिक विकास का महत्वपूर्ण अंग है। सामाजिक, सांस्कृतिक अथवा वैचारिक संदर्भो का एक शिक्षक के कार्य करने पर विशेष प्रभाव होता है जिनसे वह जुड़ा हुआ है। साथ ही, उसके अपने मूल्य तथा कार्य संस्कृति की मान्यताओं के मध्य होनेवाले जटिल अन्तसम्बन्धों का भी उसके कार्य प्रणाली पर असर पड़ता है। एक सामाजिक व्यवस्था में शिक्षक अपने कार्यों को निष्पादित करता है, उत्पन्न होनेवाले समस्याओं एवं द्वन्दों का सामना करता है तथा संगठनात्मक एवं प्रशासनिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह करता है। 

        यहाँ वृत्तिक विकास को शिक्षक के समाजीकरण से भी जोड़कर देखा गया है। ऐसी मान्यता है कि विद्यालयी व्यवस्था एक विशेष प्रकार के वातावरण का कार्य करती है जिसमें सामाजिक सत्ता, अन्तर्निहित होती है तथा जो एक शिक्षक के वृत्ति को सूक्ष्मता से प्रभावित करती है तथा उसके वृत्रिक विकास को पुष्ट करती हैं। शिक्षक के कार्य का व्यक्तिगत आयाम जिसमें भावनात्मक व नैतिक पक्ष भी शामिल है, उसके 'वृत्तिक विकास' को संवर्धित करते हैं। अपने विद्यार्थियों, सहकर्मियों तथा समुदाय के साथ प्रभावी सम्बन्ध स्थापित करने में उसके व्यक्तिगत की विशेष भूमिका होती है। सम्बन्धित शोधों में शिक्षक के वृत्तिक विकास को उसके व्यक्तिगत एवं सामाजिक अस्मिता से जोड़कर देखा जाता है तथा यह विश्लेषित किया जाता है कि शिक्षक के विद्यालयी कार्यकलापों पर उसके अस्मितामूलक अनुभवों का विशेष प्रभाव होता है।

          शिक्षक के व्यक्तिगत संदर्भो को वृत्तिक विकास से जोड़कर देखने पर भी बल दिया जाता है। सामान्यतः वृत्तिक विकास के दृष्टिकोण से एक शिक्षक का व्यक्तिगत पक्ष अपेक्षित रह जाता है । अध्यापकों का कार्य उनकी पूर्वमान्यताओं, मूल्यों और पूर्वानुभवों से निरन्तर प्रभावित होता रहता है। इनके आधार पर वे सिद्धांतों को गढ़ते हैं।


 School Culture, Change and Teacher Development


 Dimensions of Teacher Professional Development


          A source of income is needed for living and sustenance.  For this a person has to be involved in some work.  Usually a person can earn income only by joining some work.  When he does this work continuously or day to day, he gets used to that work.  His identity is established by that work.  This work starts to be called his profession.  Society considers him to be associated with the same profession and the person also earns his income with the same profession.  This is what is called 'Vritti'.


         A person molds himself according to his profession so that he can make his profession permanent and feel joy in it.  In the present time, many innovative changes have taken place in the field of education, due to which many skills have become essential in the teacher.  For example, the use of information and communication technology in the school can be seen.  It is necessary that by understanding the need of the present and the challenges of the future, the teacher should keep developing the desired skills in himself so that he can do justice and take pride in taking full joy with his greatness.  In the new approach, teacher professional development is being accepted as a reflective model.  Thus, teacher professional development is a process in which a teacher constantly analyzes his work in accordance with the new principles and also enriches self-knowledge from the experiences gained from it.  In this context it is recognized that it is only by adopting reflective process that a teacher can develop self-attitudes realistically.  Thus, the new changes in the concept of teacher professional development presented a new image of teacher's learning and work, in which it has been considered as a continuous and long-term process beyond a limited and short process.  In this concept of professional development, personal and social aspects of a teacher along with teaching skills have been considered important for his development.


        Professional activities of teachers are the result of their theoretical knowledge.  This theoretical knowledge of teachers is manifested in their teaching profession.  Under professional development, it is important to know that the professionals themselves become participants in the process of evolution and their tasks have their own complexity and speciality.  They gain varied experience as they go through several phases of their tenure.  During this time they look at their professional work from different perspectives.  For example, curriculum, books, pedagogy, classroom processes, nature of the learner, society, etc., their concepts and understandings have been continuously developed and enhanced on the basis of the experience gained which are permanent components of their professional development.


Teacher's professional development is helpful in the professional development of teaching:- The work culture and social scenario of the teacher is also an important part of his professional development.  The social, cultural or ideological contexts to which a teacher is attached have a significant impact on the work of a teacher.  At the same time, the complex interrelationship between his own values ​​and beliefs of work culture also has an impact on his method of work.  In a social system, the teacher performs his functions, faces the problems and conflicts that arise and performs organizational and administrative responsibilities.


       Here, professional development has also been linked to the socialization of the teacher.  It is believed that the school system acts as a special kind of environment in which social authority is inherent and which subtly influences the attitude of a teacher and reinforces his professional development.  The personal dimension of the teacher's work, including the emotional and moral aspects, enhances his/her "professional development".  His individual has a special role in establishing effective relationships with his students, colleagues and community.  In related research, the teacher's professional development is seen by linking his personal and social identity and it is analyzed that his identity-oriented experiences have a special effect on the teacher's school activities.


      There is also an emphasis on linking the personal context of the teacher to the professional development.  Generally, from the point of view of professional development, the personal aspect of a teacher is required.  The work of teachers is constantly influenced by their beliefs, values ​​and past experiences.  On the basis of these, they formulate theories.


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