रविवार, 1 अगस्त 2021

कर्मों का फल सभी को भोगना पड़ता है चाहे वह भगवान हो या फिर इंसान। एक छोटी सी कहानी से समझते हैं, कैसे ?

       दुराचारी राजा कंस को मारने के बाद श्री कृष्ण अपने माता-पिता वासुदेव और देवकी "जो कि कंस की जेल में बंद थे" को मुक्त कराने के लिए गए।

तब माता देवकी ने श्री कृष्ण से पूछा:-

हे कृष्ण, मेरे प्रिय पुत्र!!! तुम स्वयं नारायण हो। भगवान विष्णु के अवतार हो फिर भी कंस को मारने और हमें मुक्त कराने के लिए आपने चौदह वर्षों तक प्रतीक्षा क्यों की ? हमें इतना कष्ट क्यों दिया ?

 तब श्री कृष्ण ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया:-

आदरणीय माँ🙏 आपने मुझे हमारे पिछले जन्म में चौदह वर्षों के लिए वन में क्यों भेजा ? किस कारण से ? हमसे क्या त्रुटि हुई थी ?

माता देवकी ने हैरान होते हुए कहा:- तुम ऐसा क्यों कहते हो कि मैंने तुम्हें वन भेजा है। यह असंभव है। यह सत्य नहीं है।

तब श्री कृष्ण ने कहा:- माता शायद आप आप भूल गए हो कि पिछले जन्म में आप कैकेयी और पिता वासुदेव दशरथ थे।

देवकी अवाक़ रह गई और फिर जिज्ञासावश पूछा:- इस जीवन में माता कौशल्या कौन है ?

 कृष्ण ने उत्तर दिया:-  माता यशोदा।

कर्म का प्रभाव किसी को नहीं छोड़ता स्वमं भगवान भी इससे बच नहीं सकते। हम अपने जीवन में क्या प्राप्त किए यह महत्वपूर्ण नहीं है। हमारे कर्म कैसे हैं, यह महत्वपूर्ण है। प्रत्येक इंसान को अपने कर्मों के हिसाब से ही फल की प्राप्ति होती हैं।

देखिए कर्म का नियम कितना बेदाग है  नित्य मुक्ति ही उपाय है।

साभार:- सोशल मीडिया

राजा रवि वर्मा के द्वारा निर्मित चित्र भगवान श्री कृष्ण अपने माता पिता को दुराचारी राजा कृष्ण की जेल से छुड़ाते हुए।




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