गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

मेरी मोहब्बत और कोरोना


मेरी मोहब्बत और कोरोना


 जाने कहां तुम लॉकडाउन हो, 
इस कोरोना के महाजाल में।  
मैं तो रोज सैनिटाइजर हो के  व्हाट्सएप पर आता हूं,
 तुम भी कभी आइसोलेशन से बाहर आकर दर्शन दे दो,
 इस आभाषी संसार में।  

 जाने कहां तुम लॉकडाउन हो, 
इस कोरोना के महाजाल में।  


दो मीटर की दूरी रखेंगे हम दिल के बागान में,  
एक बार तो दर्श दिखा दो अब की बार इतवार में। 
वीडियो कॉल तो दूर की बात हो गई, 
ऑडियो कॉल भी अब आता नहीं ।
 मैसेज तो तुम कर ही सकती हो ऐसी भी मजबूरी नहीं। 

 जाने कहां तुम लॉकडाउन हो, 
इस कोरोना के महाजाल में।  

एक छीक क्या आई मुझे, 
तुमने तो मरीज ही समझ लिया। 
अरे पगली !!! वह फ्लू था,
 जिसको तुने कोरोना समझ लिया। 

 जाने कहां तुम लॉकडाउन हो, 
इस कोरोना के महाजाल में।  

मुझे तो बस इंतजार है, 
 इस कोरोना के जाने का । 
उसके बाद जीवन क्या???  प्रकृति के संग जुड़ जाने का, 
 ऐसा है कार्य करना-2 
फिर ना ऐसी कोई कोरोना आए, ना हमारे बीच कोई रोना आए।

 विश्वजीत कुमार 
सहायक प्राध्यापक 
साई कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग 
(मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर)


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