बुधवार, 31 जुलाई 2024

आपसे मिलकर हम भी ग़ज़ल हो जाएँगे।


यह किसको ज्ञात था,  

ये वक़्त भी आ जाएगा।

आप मेरी ज़िंदगी के,

राशिफल हो जाएँगे।


आपसे मिलकर हम भी ग़ज़ल हो जाएँगे।


आपके मन में अचानक, 

यूँ सजल हो जाएँगे।

क्या ख़बर थी, 

हम इतने मुकम्मल हो पायेंगे।


आपसे मिलकर हम भी ग़ज़ल हो जाएँगे।


लिखने लगेंगे अल्फ़ाज आपके लिये,

मुश्किलो में भी संवर जायेंगे।

आप मुझे देखो मै आप को देखु,

वेपरवाही में हम बह जायेंगे।


आपसे मिलकर हम भी ग़ज़ल हो जाएँगे।


वो वक्त भी ख़ूब था,

दिलों में ख्वाहिशो का जोड़ था।

किसको क्या मालुम था,

हम इतने बेखबर हो जायेंगे।


आपसे मिलकर हम भी ग़ज़ल हो जाएँगे।



मुकम्मल - संपूर्ण, समग्र (जिसमे कुछ भी करने को बाकी न हो)
सजल - बादल, नम, शोकाकुल।

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