सोमवार, 1 जुलाई 2024

मिथिला के लोक मन्त्रों की दुनियाँ....

 


       प्राचीन काल से वर्तमान काल तक जन सामान्य में वैदिक साहित्य से इतर जो मंत्र व्याप्त हैं वे ही लोक-मंत्र कहलाते हैं। मिथिला के जन सामन्य में इन मंत्रों की स्वीकार्यता और इन पर विश्वास आज भी अडिग है। पढ़े-लिखे से लेकर जिन्हें अक्षर बोध भी नहीं है सभी जन इन वैदिकेत्तर मंत्रों से खुद को जोड़े हुए हैं। आपको जानकर ताज्जुब होगा की मिथिला की हर विवाहित महिला स्नानादि पश्चात जब गोसाउनि घर (कुल देवी पूजा कक्ष) में पूजा करती है तो देवी गौरी का पूजन (जो विवाहित स्त्रियों के लिए अनिवार्य है) जिन मंत्र के साथ होता है वह लोक मंत्र ही है। वैश्वीकरण के इस युग में आप देश बसे या परदेश इन विवाहित मिथिलानियों द्वारा नित्य सिंदूर से सने सुपारी को देवी गौरी का प्रतिरूप मान निम्न लोक मंत्र के माध्यम से पूजन करना अनिवार्य है -


एली गौरी महामाया 

कुसुम फूल तोड़ैत एली 

चनन डारि भडैंत एली 

फूलक माला गँथैत एली 

सोहाग भाग हमरा दिअ 

फूलक माला अहाँ लिअ


        आपको जानकर और भी आश्चर्य होगा कि इन कुलदेवी की मुख्य पुजारी भी सामन्यतः प्रत्येक परिवार में ऐसी महिलायें ही होती है जिन्हें वैदिक पूजा पद्धति से कोई लेना-देना नहीं होता ये अपनी पूजा पद्धत्ति की खुद सर्वेसर्वा होती है, मैं ने खुद अपनी आँखों से देखा है की जब भी आस पड़ोस की किसी प्रसूता स्त्री को प्रसव पीड़ा होती थी तो उसके घर से कोई व्यक्ति मेरी दादी के पास आकर गोसाउनिक सिर का नीर (जल) मांग कर ले जाता था। मेरी दादी स्नान कर गोसाउनिक घर में जाती और कुछ लोक मंत्रों के साथ पूजा कर एक जल पात्र में नीर भर कर दे देती जिसे प्रसव पीड़िता स्त्री को बच्चे के जन्म तक थोड़ा-थोड़ा कर पिलाया जाता था और देखते-देखते बच्चे का जन्म सहजता से हो जाता था। आज के समय में इसे भले हम अंधविश्वास कहें पर यह कहीं ना कहीं लोक का लोक के लिए लोक के द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था थी जिसमें सभी के कल्याण की भावना निहित थी और यही कारण था की समाज में इसकी सहज स्वीकार्यता थी। जब भी किसी अबोध बच्चे की तबियत थोड़ी बिगड़ती तो घर की महिला -


"आको मइआ चाको

प्रह्लाद भइआ जाको 

सोना दिअरा रुपा बाती 

बाबू सूतथि सुखे राती 

कननी खीजनी पाछू जाउ 

हँसनी खेलनी आगू आउ  ल"


उपरोक्त लोक मंत्र से बच्चे को ठीक करती थी l ऐसे कई उदाहरण आज भी हमें मिथिला के लोक समाज में देखने को मिलते हैं। ऐसे में इन्हें भले हम अंधविश्वास कह नजरअंदाज कर दें पर जब बात लोक जगत की आयेगी तो बिना इन लोक मन्त्रों की दुनियाँ को करीब से देखे आप मिथिला की लोक संस्कृति को नहीं समझ सकते।

साभार - सोशल मीडिया

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