रविवार, 30 जून 2024

बनल रसोई दिव्य एक दिन लिट्टी-चोखा लागल...



बनल रसोई दिव्य एक दिन लिट्टी-चोखा लागल।

सोन, सुघड़ तन लख लिट्टी के मन गुमान अति जागल।

कहलस, चोखा भाग्य मना के धन्यवाद दs हमके,

हम ना रहती त बतला दs के पूछित हो तोहके।


पहिले नाम हमार लिआला, पाछे तु गोहरालs

 प्रभुता ही हमारे बा जे जग में पूजल जालअs

 पहले गेहूं फटक छाट के धोके सुखवल जाला,

 मधुर गीत जतसार सुनावत ले आनंद पिसाला।


चलनी से फिर चाल-चाल के,

अवगुण दूर बिगाला।

 फिर स्नेह के शीतल जल से,

गुंथल मॉरल जाला।


 फिर जाके आकर मिलेला गढ़नीहार लागेलनs 

अंनगढ़ सब लहसुन छिलस आ दूर-दूर भागेलन।

 फिर जे वीर रहे से आवे हमके सेंके खातिर,

हमसे दूरे-दूर रहेलन कायर, बुजदिल, कातिल।


 मधुर आंच पर उलट-पलट के हमके सेंकल जाला,

तहरा अस लहरत अगा🔥 में कबो ना झोंकल जाला।

 जवन अंगोछा माथ धराला ओ में झोरल जानी,

 तेल परेला तोहरा में हम घी में बोरल जानी।


 हमरा पर मोहित होके सब तोहरा के ठुकरावे -2

 ले के हमके दाल मीट भाजाउल संगे पावें।

 कुल मिला के हमरे भांगे तोहरो किस्मत जागल -2

बनल रसोई दिव्य एक दिन लिट्टी-चोखा लागल।


 कही के चुप भइली लिट्टी तs चोखा मुस्की😊 लगले मारे,

 कहलन लिट्टी खुबे क़हलू तु ही बिना तनको विचारे।

 आज तs आपन अपने मुंह से, अपने खूब बड़ाई कईलू,

 बाउर कारज कईलु कई के तनको ना शर्माइलू।


हमरो के तs देखभाल के छाटल बिनल जाला,

 हमरो के तs बुड़बक के हाथों भुजे नाही दियाला।

 तोहसे तनको कम कीमत पर कीनल हमहूं ना जाई,

 ना तोहरा अस बेरहमी से लाद फटे छितराई।


 हम अपना के जारी ला तु दुरे-दूर गढ़ालू,

 हमरे जरल मधुर आंच पर लिट्टी सेंकल जालू।

 हम देई बलिदान जहां तू ओहिजा रोपल जालू,

 जवन आंच से हम निकलीला ओहिमें तोपल जालू ।


 केतनो करs बड़ाई तोहके छुछे ना केहू खाला,

 हमरा बिनु तोहार का एकहूं कवर घोंटा ला।

 हमारा जरला नून परे तब अंगूरी सब चांटेला,

 हमरे खातिर रोवत मरीचा आ प्याज काटेला।


 आज बुझाता सांचो बहुते बड़का गलती कइनी,

 खिचड़ी जईसन परम मित्र के बेमतलब ठुकरइनी।

 खीर, दाल, बकरी, मछली के तु तs अब जांचेलूं,

 हमके छोड़ गैर के थरिया आ पत्तल में नाचेलूं।


 लिट्टी बौरी बाटी भईलू देके हमके धोखा,

 हम शुरूवे से चोखा रहनी अबो बानी चोखा।

 सुन के लिट्टी रोवे लगली 😭 सब घमंड अब भागल,

बनल रसोई दिव्य एक दिन लिट्टी-चोखा लागल।


 कहली चोखा माफ करs हो खुलल आंख अब हमरो,

 जवन आग में हम झुलसईनी उs हे आगी हs तोहरो।

 जे ही मारे जे ही मोजे जे ही रच गढ़ी काटे,

जे ही सेंके, जे ही भुंजे, जे ही सबके बाँटे।


 एके गती हमनी के बांटे नउआं से का होई,

 राधे-कृष्णा, कृष्णा-राधे में नईखे अंतर कोई।

 लिट्टी-चोखा खातिर केतना तू बर्दाश्त करे लाs,

 हमसे पहले दौड़-दौड़ के अहरा🔥 बीच जरेलs।


 ई खुदगर्ज जगत में अइसन के बा त्यागी,

 ऐ चोखा तू बाड़s तs बानी हम बड़भागी।

 दुनो जन के आंख भरल😥😥 मन भइल प्रेम😍 में पागल,

बनल रसोई दिव्य एक दिन लिट्टी-चोखा लागल।

बनल रसोई दिव्य एक दिन लिट्टी-चोखा लागल।


 - संजीव कुमार त्यागी✍️

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