बारिश की पहली बूंद🌧️ सा सुकून🕊️ हो तुम
सर्द हवाओं के झोंकों सी हो तुम
सांझ की गोधूलि सी पावन हो तुम
प्रभात की उजली किरण हो तुम
यामिनी की दीप ज्योति हो तुम
रंग बिरंगे प्रसून का आसव हो तुम
मरुस्थल में नीर सी आस हो तुम
गुल सी खिलखिलाती हंसी हो तुम
वीभत्स निदाघ की सुखद छॉह हो तुम
सुरूप की इक अभिलषित लालसा हो तुम
प्रीति का अनुपमेय चित्रण हो तुम
जिंदगी का मधुर गुंजन हो तुम
पवित्र प्रेम की इबारत हो तुम
सूर्य की लालिमा सा तेज हो तुम
सरिता सी निर्मल हो तुम
सौंधी-सौंधी माटी सी महक हो तुम
सुनील चाष्टा✍️
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