मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना,
भूल जाने काबिल नहीं हैं।
चोट खाई है जो दिल पर,
वो दिखाने के काबिल नहीं है।
शीशा पत्थर से टकरा कर टूटा,
टूटने की सजा सबने पाई।
आज दिल मेरा टूट रहा है,
दिखाने के काबिल नहीं है।
मैंने पूछा कल तुम कहां थे,
पहले मुस्कराए फिर हंस के बोले।
ऐसी बातो को क्यों पूछती हो,
जो बताने के काबिल नही है।
मोहब्बत का तगाजा नहीं हम
न बदलेंगे तुम भी ना बदलो।
तुम तो ऐसे बदलने लगे हो,
आज तक कोई बदला नही है।
मेरे मोहन तेरा मुस्कुराना,
भूल जाने काबिल नहीं हैं।
चोट खाई है जो दिल पर,
वो दिखाने के काबिल नहीं है।
साभार - सोशल मीडिया
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