सोमवार, 29 जुलाई 2024

गृहिणी (Housewife)

 सभी महिलाओं को समर्पित🙏 बहुत ही सुंदर और सच लिखा✍️ है किसी ने स्त्रियों के लिए... 



रसायनशास्त्र से शायद ना पड़ा हो पाला,

पर सारा रसोईघर बना डाला प्रयोगशाला।


दूध में साइटरीक एसिड डालकर पनीर बनाना या 

सोडियम बाई कार्बोनेट से केक फूलाना।

चम्मच से सोडियम क्लोराइड का सही अनुपात तोलती, 

रोज कितने ही प्रयोग कर डालती हैं।


पर खुद को कोई  वैज्ञानिक नही 

बस गृहिणी ही मानती हैं।


रसोई गैस की बढ़े कीमते या सब्जी के बढ़े भाव,

पैट्रोल डीजल महँगा हो या तेल मे आए उछाल।

घर के बिगड़े हुए बजट को, 

झट से सम्हालती है।


अर्थशास्त्री होकर भी,

खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।


मसालों के नाम पर भर रखा,

आयूर्वेद का खजाना।

गमलो मे उगा रखे हैं,

तुलसी गिलोय और करीपत्ता।


छोटी-मोटी बीमारियों को काढ़े से भगाना जानती है,

पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।


सुंदर रंगोली और मेहँदी में,

नजर आती इनकी चित्रकारी।

सुव्यवस्थित घर में झलकती है,

इनकी कलाकारी।


ढोलक की थाप पर गीत गाती नाचती है,

कितनी ही कलाए जानती है पर 

खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।


समाजशास्त्र ना पढ़ा हो शायद,

पर इतना पता है कि परिवार समाज की इकाई है।

परिवार को उन्नत कर समाज की उन्नति में,

पूरा योगदान डालती है।


पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।


मनोवैज्ञानिक भले ही ना हो,

पर घर में सबका मन पढ लेती है।

रिश्तों के उलझे धागों को,

सुलझाना खूब जानती है।


पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।


 योग ध्यान के लिए समय नहीं है,

 ऐसा अक्सर कहती हैं।

और प्रार्थना मे ध्यान लगाकर,

 घर की कुशलता मांगती है।


 खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।


ये गृहणियां सच में महान है,

कितने गुणों की खान है।

सर्वगुण सम्पन्न हो कर भी

अहंकार नहीं पालती है,

खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं।


साभार - सोशल मीडिया

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