परछाई से रोचक स्वरूपों को गढ़ना (Creating interesting forms from shadows)
परछाई से रोचक स्वरूपों के निर्माण की प्रक्रिया कब से शुरू हुई इसके बारे में कोई भी सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि इंसान ने जब धरती पर आंखें खोली और सूर्य के प्रकाश से बनी विभिन्न प्रकार की परछाइयों को देखा तब उसके मन में भी ऐसी आकृतियां बनाने का विचार उत्पन्न हुआ। इसका उदाहरण हमें प्रागैतिहासिक काल की चित्रकलाओ में देखने को प्राप्त होता है।
19वीं शताब्दी से पहले तक यह कला मनोरंजन का एक सस्ता एवं सुलभ माध्यम था। इस कला के प्रस्तुतीकरण हेतु प्रकाश के रूप में मोमबत्ती या एक प्रकाश बल्ब की आवश्यकता होती थी। जब हम इस कला का प्रस्तुतिकरण करते थे तब प्रकाश का सही स्रोत एवं एक हल्के रंग की दीवार की आवश्यकता पड़ती थी। इस कला के प्रस्तुतीकरण के समय हमें यह ध्यान रखना होता है कि जब हमारे हाथ प्रकाश स्रोत के बहुत करीब होते हैं तब एक बड़ी आकृति का निर्माण होता है और जैसे-जैसे हमारे हाथ प्रकाश स्रोत से दूर होते जाते हैं तब स्पष्ट एवं छोटी आकृति का मान होता है।
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