रविवार, 7 जून 2020

नीतिशास्त्र (Ethics) Unit-2, B.Ed.2nd Year. Munger University, Munger.



नीतिशास्त्र (Ethics) 

दर्शन की शाखा (Branch of philosophy)

         नीतिशास्त्र जिसे अंग्रेजी में ऐथेक्स कहते हैं। इसे व्यवहारदर्शन, नीति दर्शन, नीति विज्ञान और आचारशास्त्र भी कहा जाता है। यह दर्शनशास्त्र (Philosophy)की एक शाखा है।
        नीतिशास्त्र में उन सामान्य सिद्धांतों का विवेचन किया जाता है जिनके आधार पर मानवीय क्रियाओं और उद्देश्यों का मूल्यांकन संभव हो सके। अच्छा और बुरा (Good or Bad) सही और गलत(Right or Wrong)  गुण और दोष (Merits and Demerits) न्याय और जुर्म (Justice and Crime)  जैसी अवधारणाओं को परिभाषित कर के नीतिशास्त्र मानवीय नैतिकता के प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास करता है। कोई कार्य अच्छा है तो क्यों? अथवा अच्छा नहीं है तो क्यों?  इस बात का अध्ययन नीतिशास्त्र के अंतर्गत किया जाता है। 
          नीतिशास्त्र मानव आचरण में सही या गलत क्या है इसका अध्ययन है। यह दर्शनशास्त्र की एक शाखा है जो नैतिक (Morel) सिद्धांतों का अध्ययन कराती है इसलिए इसे नैतिक दर्शन के रूप में भी जाना जाता है।  नैतिक दर्शन:- Moral Philsophy ) जिसका अर्थ नैतिक होता है। Greek यूनानी शब्द Ethikos से Ethics की रचना हुई है नीतिशास्त्र में समाज द्वारा प्रतिस्थापित मानदंड एवं नैतिक सिद्धांतों के परिपेक्ष में उचित और अनुचित मानवीय कृतियों एवं आचरण का अध्यन किया जाता हैं। अच्छा और बुरा, सही और गलत, गुण और दोष, जैसी अवधारणाओं को परिभाषित कर के नीतिशास्त्र मानवीय नैतिकता के प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास करता है। इसके साथ ही साथ यह हमारे कर्मों या आचरणों  (क्रियाओ) का समग्र अध्ययन करता है। अतः इसे आचरणशास्त्र भी कहते हैं।

भगवद्गीता का नीतिशास्त्र

निष्काम कर्मयोग
            भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से संपूर्ण प्राणी जगत को निष्काम कर्मयोग का संदेश दिया है। इसके अनुसार व्यक्ति को सदाचार के मार्ग पर चलते हुए, बिना किसी फल की इच्छा किए, बिना कामना रहित कर्म करने चाहिए। इसे ही निष्काम कर्मयोग कहा गया है। चूंकी  हमारे किए गए कार्यों का परिणाम हम निर्धारित नहीं कर सकते हैं। अतः हमारा अधिकार केवल कर्म करने तक ही सीमित है। योग से तात्पर्य जय तथा पराजय दोनों स्थिति में समभाव (Equanimity) संतुलन रखना है।
  • किसी आधार पर कोई कार्य सही है अथवा गलत यह देखने का कार्य भी  नीतिशास्त्र करता है।
सरल शब्दों में,
                       नीतिशास्त्र उन मानको से संबंधित विभिन्न पहलुओं का वैज्ञानिक अध्ययन है जो किसी कार्य को सही या गलत ठहराने के लिए उत्तरदायी होते हैं।

नीतिशास्त्र शास्त्र के अनेक पहलू होते हैं (There are many aspects of ethics)-
  • कार्य को करने का अभिप्राय या इरादा
  • कोई कार्य कैसे और क्यों किया जाता है।
  • सत्य यह है कि नीतिशास्त्र का सीधा संबंध व्यवहारिक जीवन से होता है।
  • नीतिशास्त्र हमारे आदर्श आचरण के लिए विधियों का निर्माण करता है।
  • नीतिशास्त्र लोक प्रशासन (Public Administration) का अनिवार्य अंग है।
नीतिशास्त्र की चार (4) शाखाएं(Branches) हैं:-
  1. वर्णनात्मक नीतिशास्त्र (Descriptive Ethics)
  2. आदर्शवादी नीतिशास्त्र (Idealistic Ethics)
  3. अधि नीतिशास्त्र (Meta Ethics)
  4. अनुप्रयुक्त/व्यवहारिक नीतिशास्त्र (Applied Ethics)

वर्णनात्मक नीतिशास्त्र (Descriptive Ethics):- नीति शास्त्र की वह शाखा जो नैतिकता के संबंध में प्रचलित विश्वासों का अध्ययन करता है। वर्णनात्मक नीतिशास्त्र कहलाता है। इसकी पद्धति आनुभाविक (Empirical) है अर्थात यह आगमनात्मक (परीक्षात्मक) पद्धति पर आधारित होता है।
  • आगमन:- वैसी विधी जिसमें बालक स्वयं कर के सीखता है और उदाहरण से नियम तक पहुंचता है।
  • सूक्ष्म से स्थुल की तरफ
  • अज्ञात से ज्ञात की तरफ
  • निगमन:-  वैसी  विधी जिसमें बालकों को पहले नियम बताया जाता है, फिर उदाहरण दिया जाता हैं।
  • स्थुल से सुक्ष्म की तरफ
  • ज्ञात से अज्ञात की तरफ।
  • यह विभिन्न  समुदायो  में रहने वाले लोगों के जीवन का एक सामान्य प्रतिदर्श/प्रतिमान (Sample,Pattern) प्रस्तुत करता है। वर्णनात्मक नीतिशास्त्र के अंतर्गत इस बात की भी खोज एवं पहचान की जाती है कि किसी समाज में कौन से नैतिक एवं आदर्श नियम प्रचलित है। वर्णनात्मक  नीतिशास्त्र नैतिक प्रतिमानो के अध्ययन का एक स्वतंत्र उपागम (Approach) है जो पर्यवेक्षण (Supervision) पर आधारित है ना कि मूल्यों पर।
आदर्शवादी नीतिशास्त्र (Idealistic Ethics):- आदर्शात्मक नीतिशास्त्र का सम्बध उस आदर्श या मापदंड से है  जिसके आधार पर उचित और अनुचित आचरण का निर्णय किया जा सके। दूसरे शब्दों में, नीतिशास्त्र की इस शाखा के अंतर्गत आचरण का आदर्श बतलाया जाता है। अर्थात, मानव का आचरण कैसा होना चाहिए। आदर्शात्मक नैतिक सिद्धांत का एक Classical (श्रेष्ठ, शास्त्रीय) उदाहरण है। ''Golden Rule" इस नियम के अनुसार हमें दूसरों के साथ वही व्यवहार करना चाहिए जिसकी हम दूसरों से अपेक्षा करते हैं। इसी तरह तर्क के आधार पर हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि  किया गया कार्य उचित हैं या अनुचित।

अधि नीतिशास्त्र (Meta Ethics):- यह नीतिशास्त्र की वह शाखा है जो नीतियों के गुणों, दावों, मनोदृष्टि और निर्णयो को समझने का प्रयास करती है। इसके अंतर्गत अच्छाई क्या है? और हम अच्छे और बुरे में अंतर कैसे समझ सकते हैं? इत्यादि। प्रश्नों के उत्तर प्राप्त किए जाते हैं। अधि नीतिशास्त्र के अंतर्गत निम्न प्रकार के प्रश्नों की मीमांसा (Epistemology अपिसटमोलॉजी), विचार की जाती है।
जैसे:-  नैतिक पदों एवं नैतिक निर्णयो के वास्तविक अर्थ क्या है? नैतिक निर्णयो के स्वरूप क्या है? नैतिक निर्णयो का अनुमोदन किस प्रकार किया जा सकता है।

अनुप्रयुक्त/व्यवहारिक नीतिशास्त्र (Applied Ethics):- नीतिशास्त्र की वह शाखा जिसके अंतर्गत किसी विशिष्ट स्थिति या क्रिया के किसी अनुक्षेत्र (Domain, ज्ञानक्षेत्र) में किसी व्यक्ति को क्या करना चाहिए का अध्ययन किया जाता है।
जैसे:- कुछ विशिष्ट किंतु नैतिक रूप से विवादास्पद (Controversial) मुद्दों यथा जानवरों के अधिकार (Animal Rights),इच्छा मृत्यु, गर्भपात (Abortion) इत्यादि का विश्लेषण किया जाता है। यह हमें दुबिधा और मानसिक द्वंद (Mental Duality) की स्थिति में व्यवहारिक नीतिशास्त्र हमें नैतिक सिद्धांतों का प्रयोग करना सिखलाता है ताकि हम अपनी स्थिति स्पष्ट कर सके। अर्थात, नैतिक निर्णय की प्रक्रिया में यह हमारी मदद करता है। वर्तमान में प्रचलित आधुनिक जीवन शैली  ने नये-नये मुद्दों (Issues) को जन्म दिया है। इनमें से कुछ इस प्रकार है-
  • क्या जानवरों के भी अधिकार होते हैं?
  • क्या व्यक्ति को आत्म निर्णय का अधिकार है?
  • मानव अधिकार क्या है और इसके अंतर्गत मानव के कौन- कौन से अधिकार सम्मिलित किए जाते हैं?
  • क्या इच्छा मृत्यु की अनुमति देना अनैतिक है।
  • क्या गर्भपात कराना अनैतिक है।
व्यवहारिक नीतिशास्त्र के अंतर्गत ऐसे ही प्रश्नो पर विचार किया जाता है। कोई प्रश्न व्यवहारिक नीतिशास्त्र की विषय वस्तु है अथवा नहीं। यह दो बातों पर निर्भर करता है प्रथम-  प्रश्न विवादास्पद (Controversial)  हो,  साथ ही इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क देने वाले मानव समूहों की तादाद भी बड़ी हो। द्वितीय-  प्रश्न सिर्फ समाजिक विवाद का ही विषय ना हो बल्कि नैतिक रूप से भी विवादास्पद हो।

  • PETA (People for the Ethical Treatment of Animals)
         पेटा(Peta) पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार के पक्षधर लोग एक पशु अधिकार संगठन है। इसका मुख्यालय यूएसए (USA) के वर्जीनिया के नाफोर्लक (Norfolk)  में स्थित है। पूरे विश्व में इसके लगभग 2000000 (बीस लाख) सदस्य हैं। यह अपने आप को विश्व का सबसे बड़ा पशु अधिकार संगठन होने का दावा करता है। इंग्रिड न्यूकिर्क (Ingrid  Newkirk)  इसके अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

Question.1.:- आपको एक अधिकारी के तौर पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में भेजा गया है जहां पर आपको नाव(boat) किराए पर लेनी है लेकिन नाव की दर तय मानक से बहुत ज्यादा है। उस परिस्थिति में आप क्या करेंगे। अपने चयनित उत्तर का स्पष्ट कारण प्रस्तुत करें।
  1. आप उनकी मांग को मान लेंगे
  2. आप अपने वरिष्ठ से संपर्क करेंगे।
  3. आप उन्हें धमकी देंगे कि उनका पंजीकरण आप रद्द कर देंगे।
  4. आप अपनी कीमतों पर अड़े रहेंगे।
Question.2.:- आप एक अधिकारी के तौर पर कार्यरत हैं और आपको अपने जिले के कार्यालय में कार्यरत कर्मियों को ड्रेस सिलवाना है। आपको कुछ पैसे मिले हैं लेकिन उस दर में आपको बाजार में कपड़ा प्राप्त नहीं हो रहा है। उस परिस्थिति में आप क्या करेंगे। अपने चयनित उत्तर का स्पष्ट कारण प्रस्तुत करें।
  1. आपको जो दर प्राप्त हुई है उसी दर पर उपलब्ध कपड़ा खरीद लेंगे।
  2. आप अपनी कीमतों पर अड़े रहेंगे।
  3. आप अपने वरिष्ठ से संपर्क करेंगे।
  4. आप दुकानदार को धमकी देंगे कि उसका पंजीकरण आप रद्द कर देंगे।
यदि आप की माता और पत्नी एक साथ पानी में डूब रही हो तो आप सबसे पहले किसे बचाएंगे और क्यो?

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