शनिवार, 13 जून 2020

Photography (छायांकन) D.El.Ed. 2nd Year. S-3. Work & Education. B.S.E.B. Patna.



फोटोग्राफी, पिनहोल कैमरा की समझ D.El.Ed. 2nd Year S-3. B.S.E.B. Patna. Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=eJuecUnpvCQ

Technique of Photography D.El.Ed.2nd Year S-3, Unit-2 B.S.E.B. Patna. Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=SVA73GVsGro


Photography शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों फोटो(Photo) और ग्राफ्स(Graphos) का युग्म शब्द है। जिसमें Photo का अर्थ प्रकाश और Graphos का होता है चित्र या बिंदु रेखा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रकाश द्वारा बिंदुओं से चित्रण अर्थात प्रकाश द्वारा अंकन छायांकन (Photography) कहलाता है।

यह माना जाता है कि प्रथम फोटोग्राफ का निर्माण चीनी साहित्यकार मोती ने पांचवीं सदी में किया था। दीवार के एक छोटे छिद्र द्वारा सूर्य के प्रकाश से वस्तु का परिवर्तित रूप (प्रतिबिंब) सामने दीवार पर दिखाई दिया तो उसी से प्रेरणा पाकर उन्होंने पिनहोल कैमरा का निर्माण किया।

Pinhole Camera

चित्रकार लियोनार्दो डा विंची ने इस कैमरे पर शोध कार्य कर इसका विकास किया। 1558 ईस्वी में कैमरे में उत्तल लेंस का प्रयोग प्रारंभ हुआ। जर्मन रसायनशास्त्री जोहन शुल्ज (Johann Schulze) ने सन 1725 में प्रथम बार प्रकाश संवेदी सिल्वर नाइट्रेट (Silver Nitrate) के घोल का निर्माण किया तथा उसके ऊपर प्रकाश डालकर छवि को उदभासित (expose) किया लेकिन वह उसे  स्थायी नहीं कर सका। सन 1839 में टॉलबॉट ने कागज की नकारात्मक (Negative) छवि से दूसरे कागज पर उसका सकारात्मक (Positive) फोटोग्राफ बनाया।  टॉलबॉट के इस अविष्कार का सर जॉन हर्शल ने Negative एवं Positive  नाम से नामकरण किया तथा चित्र निर्माण की इस पद्धति  को फोटोग्राफी नाम दिया गया।

स्मरणीय (Rememberable)

  • प्रथम कैमरे का निर्माण:- इब्न अल हेथम इराक के वैज्ञानिक थे। इन्होंने ऑब्स्कुरा (Obscura) कैमरा बनाया था।
  • प्रथम रोल फिल्म का निर्माण:- जॉर्ज ईस्टमैन
  • प्रथम व्यवसायिक रंगीन फिल्म का निर्माण:- लूमीरे बंधु
  • प्रथम 35mm कैमरे का निर्माण:- ऑस्कर बरनैक
  • प्रथम पोलाराइड कैमरे का निर्माण:- डॉक्टर एडविन एच

Note:- पोलाराइड कैमरे को आमिर खान की फिल्म गजनी जो कि 2008 में आई थी उसमें दिखाया गया है।
  • भारत में पहला फोटो स्टूडियो:- कोलकाता में (1849)
  • भारत में दूसरा फोटो स्टूडियो:- मुंबई (1850)
  • भारत के पहले व्यवसायिक फोटोग्राफर:- राजा लाला दीनदयाल
  • भारत की पहली महिला फोटोग्राफर:- होमी व्यरावाला (First Lady of the lens)


(छायांकन की विभिन्न तकनीकी) Technique of photography

छायांकन की अनेक तकनीके हैं जिनका प्रयोग करके हम छायांकन में विभिन्न प्रयोग डाल सकते हैं।
  • Multi Exposure:- छायांकन में एक ही नेगेटिव को एक वस्तु से या अलग-अलग वस्तुओं से एक और अधिक बार Expose करना, Multi Exposure (अनावरण) कहलाता है।
  • Long Exposure:- इसका प्रयोग कम रोशनी या रात्रि के समय आतिशबाजी और बिजली चमकने की फोटोग्राफी के लिए किया जाता है।
  • Panorama:- गतिशील विषय-वस्तु को एक्सपोज करते समय कैमरे द्वारा वस्तु का पीछा करना अर्थात वस्तु की गति के अनुसार कैमरे को वस्तु के साथ घुमाते हुए फोटोग्राफी करना, पैनिंग कहलाता है। इस तकनीक द्वारा ली गई फोटोग्राफ में वस्तु की पृष्ठभूमि धुंधली एवं गतिशील दिखाई देती है।
  • Fill in Flash:-Fill in Flash प्रक्रिया द्वारा प्राकृतिक प्रकाश में फोटोग्राफी करते समय विषय वस्तु के कुछ भागों पर पड़ने वाली छाया के प्रभाव को फ़्लैश के प्रयोग से हटाया जाता है। जिससे वस्तु का छाया वाला भाग भी स्पष्ट दिखाई देता है। 
इसके अतिरिक्त व्यक्ति चित्र(Portrait), प्राकृतिक दृश्य(Landscape), वस्तु चित्रण(Still Life), सिलुएट् (Silhouette), उच्च तान छायांकन(High Key Photography), निम्नताप छायांकन(Low key Photography), इत्यादि। तकनीकों का प्रयोग photography में विभिन्न प्रकार के प्रभावो को दर्शाने के लिए किया जाता है।





















सोमवार, 8 जून 2020

Contemporary Artist नंदलाल बसु (1882-1966) B.Ed. 1st Year, Munger University, Munger.


समकालीन कलाकार (Contemporary Artist) Nandlal Bose B.Ed.1st Year EPC-2 Unit-2. Munger University. Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=FL9zQW4KMhc&list=PL9TVIXFOxWRqATIFwPJ605KEpILBq13Pk&index=53&t=1s

नंदलाल बसु (1882-1966)

       नंदलाल बसु का जन्म बिहार प्रांत के मुंगेर जिले में हवेली खड़कपुर गांव में हुआ था। कला की पहली "शिक्षा" उन्हें अपनी मां से मिली।  वे अपनी मां को घर सजाते, सुंदर कढ़ाई करते,और तरह-तरह की चीजें बनाते देखते थे। जब भी उनको समय मिलता वे अपने गांव के कुम्हारों के घर चले जाते। मिट्टी के सुंदर बर्तन और खिलौने उनका मन मोह लेता था। जब वह 8 वर्ष के थे उसी समय उनकी मां की मृत्यु हो गई।
         नंदलाल अक्सर पढ़ते समय भी  आड़ी-तिरछी (Cross Skew) रेखाएं बनाते रहते।  परिणामस्वरुप इंटर की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए । घर वालों ने हार कर उनका नामांकन वाणिज्य कॉलेज में करा दिया। किंतु वहां भी वे असफल रहे। अंत में उन्होंने कोलकाता स्कूल ऑफ आर्ट्स में नामांकन के लिए सिफारिश प्रमाण पत्र लेकर गए और वह अपने साथ अपनी तूलिका द्वारा निर्मित एक पेंटिंग भी साथ लाए थे। वहां के प्राचार्य ने चित्र देखते ही उन्हें भावी चित्रकार के गुण देखे और उन्हें प्रवेश दे दिया। उनके गुरु सुप्रसिद्ध चित्रकार अवनींद्र नाथ ठाकुर थे।
            नंदलाल बसु ने अजंता की गुफाओं में निर्मित चित्रों की प्रतिकृति भी बनाई और अवनींद्र नाथ के द्वारा स्थापित संस्था ओरिएंटल स्कूल आफ आर्ट (Oriental School of Art) में वो प्रिंसिपल के पद पर भी रहे और रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखित रचना "गीतांजलि" के लिए चित्र भी बनाए।
  • भारतीय संविधान को नंदलाल बसु के चित्रों से ही सजाया गया है।
         नंदलाल अपने कार्य में इतना डूब जाते थे कि उन्हें अपनी सुध-बुध भी ना रहती थी।  लेकिन जब वो चित्र रचना ना कर रहे हो तो खूब गप-शप भी करते थे। छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेलने में उनका बड़ा मन लगता था। नन्द बाबू के पास एक झोला था वे जब सुबह घूमने निकलते तो इसमें ढेरों चीजें बटोर लाते थे। ये चीजें होती थी कोई फूल, पत्थर, लकड़ी का टुकड़ा, पत्ती,  चिड़ियों के पंख, इत्यादि। जो भी चीजें उन्हें अच्छी लगती वह उसे अपने झोले में रख लेते। नन्द बाबू अपने झोले को "लाख टाका झूली" कहते यानी लाख रुपए का झोला।  
      नंदलाल बसु एक आदर्श कला शिक्षक थे। वे अपने और विद्यार्थियों के मध्य दूरी लगभग नहीं के बराबर रखते थे। यही कारण था कि वे एक लोकप्रिय कला शिक्षक भी रहे। वे अपने प्रत्येक विद्यार्थी को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उनको अपने हाथों से निर्मित कलाकृतियों से सम्मानित भी करते थे और अपेक्षा भी करते थे कि वे भी इस परंपरा को आगे निर्वाह करते रहे।   
          नंदलाल बसु गांधीजी से अत्यंत प्रभावित थे। उन्होंने कूची के साथ-साथ आवश्यकता पड़ने पर तिरंगा भी हाथ में लिया। और अनेकों बार कांग्रेस के अधिवेशन के लिए मंच और पंडाल की साज-सज्जा में योगदान भी दिए।
  • शांतिनिकेतन में नंदलाल बसु को "बाबूमोशाय" के नाम से जाना जाता था।
  • शांतिनिकेतन के त्रिमूर्ति थे नंदलाल बसु, विनोद बिहारी मुखर्जी और रामकिंकर बैज।
            नंदलाल बसु की मृत्यु 16 अप्रैल 1966 को 84 वर्ष की आयु में शांतिनिकेतन में हुई। नन्दलाल बसु की जीवन ज्योति आज इस संसार से लुप्त हो गई है। पर वे भारतीय कला को एक ऐसी ज्योति दे गए जो सदा उसका पथ प्रदर्शित करती रहेगी।


रविवार, 7 जून 2020

नीतिशास्त्र (Ethics) Unit-2, B.Ed.2nd Year. Munger University, Munger.



नीतिशास्त्र (Ethics) 

दर्शन की शाखा (Branch of philosophy)

         नीतिशास्त्र जिसे अंग्रेजी में ऐथेक्स कहते हैं। इसे व्यवहारदर्शन, नीति दर्शन, नीति विज्ञान और आचारशास्त्र भी कहा जाता है। यह दर्शनशास्त्र (Philosophy)की एक शाखा है।
        नीतिशास्त्र में उन सामान्य सिद्धांतों का विवेचन किया जाता है जिनके आधार पर मानवीय क्रियाओं और उद्देश्यों का मूल्यांकन संभव हो सके। अच्छा और बुरा (Good or Bad) सही और गलत(Right or Wrong)  गुण और दोष (Merits and Demerits) न्याय और जुर्म (Justice and Crime)  जैसी अवधारणाओं को परिभाषित कर के नीतिशास्त्र मानवीय नैतिकता के प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास करता है। कोई कार्य अच्छा है तो क्यों? अथवा अच्छा नहीं है तो क्यों?  इस बात का अध्ययन नीतिशास्त्र के अंतर्गत किया जाता है। 
          नीतिशास्त्र मानव आचरण में सही या गलत क्या है इसका अध्ययन है। यह दर्शनशास्त्र की एक शाखा है जो नैतिक (Morel) सिद्धांतों का अध्ययन कराती है इसलिए इसे नैतिक दर्शन के रूप में भी जाना जाता है।  नैतिक दर्शन:- Moral Philsophy ) जिसका अर्थ नैतिक होता है। Greek यूनानी शब्द Ethikos से Ethics की रचना हुई है नीतिशास्त्र में समाज द्वारा प्रतिस्थापित मानदंड एवं नैतिक सिद्धांतों के परिपेक्ष में उचित और अनुचित मानवीय कृतियों एवं आचरण का अध्यन किया जाता हैं। अच्छा और बुरा, सही और गलत, गुण और दोष, जैसी अवधारणाओं को परिभाषित कर के नीतिशास्त्र मानवीय नैतिकता के प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास करता है। इसके साथ ही साथ यह हमारे कर्मों या आचरणों  (क्रियाओ) का समग्र अध्ययन करता है। अतः इसे आचरणशास्त्र भी कहते हैं।

भगवद्गीता का नीतिशास्त्र

निष्काम कर्मयोग
            भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से संपूर्ण प्राणी जगत को निष्काम कर्मयोग का संदेश दिया है। इसके अनुसार व्यक्ति को सदाचार के मार्ग पर चलते हुए, बिना किसी फल की इच्छा किए, बिना कामना रहित कर्म करने चाहिए। इसे ही निष्काम कर्मयोग कहा गया है। चूंकी  हमारे किए गए कार्यों का परिणाम हम निर्धारित नहीं कर सकते हैं। अतः हमारा अधिकार केवल कर्म करने तक ही सीमित है। योग से तात्पर्य जय तथा पराजय दोनों स्थिति में समभाव (Equanimity) संतुलन रखना है।
  • किसी आधार पर कोई कार्य सही है अथवा गलत यह देखने का कार्य भी  नीतिशास्त्र करता है।
सरल शब्दों में,
                       नीतिशास्त्र उन मानको से संबंधित विभिन्न पहलुओं का वैज्ञानिक अध्ययन है जो किसी कार्य को सही या गलत ठहराने के लिए उत्तरदायी होते हैं।

नीतिशास्त्र शास्त्र के अनेक पहलू होते हैं (There are many aspects of ethics)-
  • कार्य को करने का अभिप्राय या इरादा
  • कोई कार्य कैसे और क्यों किया जाता है।
  • सत्य यह है कि नीतिशास्त्र का सीधा संबंध व्यवहारिक जीवन से होता है।
  • नीतिशास्त्र हमारे आदर्श आचरण के लिए विधियों का निर्माण करता है।
  • नीतिशास्त्र लोक प्रशासन (Public Administration) का अनिवार्य अंग है।
नीतिशास्त्र की चार (4) शाखाएं(Branches) हैं:-
  1. वर्णनात्मक नीतिशास्त्र (Descriptive Ethics)
  2. आदर्शवादी नीतिशास्त्र (Idealistic Ethics)
  3. अधि नीतिशास्त्र (Meta Ethics)
  4. अनुप्रयुक्त/व्यवहारिक नीतिशास्त्र (Applied Ethics)

वर्णनात्मक नीतिशास्त्र (Descriptive Ethics):- नीति शास्त्र की वह शाखा जो नैतिकता के संबंध में प्रचलित विश्वासों का अध्ययन करता है। वर्णनात्मक नीतिशास्त्र कहलाता है। इसकी पद्धति आनुभाविक (Empirical) है अर्थात यह आगमनात्मक (परीक्षात्मक) पद्धति पर आधारित होता है।
  • आगमन:- वैसी विधी जिसमें बालक स्वयं कर के सीखता है और उदाहरण से नियम तक पहुंचता है।
  • सूक्ष्म से स्थुल की तरफ
  • अज्ञात से ज्ञात की तरफ
  • निगमन:-  वैसी  विधी जिसमें बालकों को पहले नियम बताया जाता है, फिर उदाहरण दिया जाता हैं।
  • स्थुल से सुक्ष्म की तरफ
  • ज्ञात से अज्ञात की तरफ।
  • यह विभिन्न  समुदायो  में रहने वाले लोगों के जीवन का एक सामान्य प्रतिदर्श/प्रतिमान (Sample,Pattern) प्रस्तुत करता है। वर्णनात्मक नीतिशास्त्र के अंतर्गत इस बात की भी खोज एवं पहचान की जाती है कि किसी समाज में कौन से नैतिक एवं आदर्श नियम प्रचलित है। वर्णनात्मक  नीतिशास्त्र नैतिक प्रतिमानो के अध्ययन का एक स्वतंत्र उपागम (Approach) है जो पर्यवेक्षण (Supervision) पर आधारित है ना कि मूल्यों पर।
आदर्शवादी नीतिशास्त्र (Idealistic Ethics):- आदर्शात्मक नीतिशास्त्र का सम्बध उस आदर्श या मापदंड से है  जिसके आधार पर उचित और अनुचित आचरण का निर्णय किया जा सके। दूसरे शब्दों में, नीतिशास्त्र की इस शाखा के अंतर्गत आचरण का आदर्श बतलाया जाता है। अर्थात, मानव का आचरण कैसा होना चाहिए। आदर्शात्मक नैतिक सिद्धांत का एक Classical (श्रेष्ठ, शास्त्रीय) उदाहरण है। ''Golden Rule" इस नियम के अनुसार हमें दूसरों के साथ वही व्यवहार करना चाहिए जिसकी हम दूसरों से अपेक्षा करते हैं। इसी तरह तर्क के आधार पर हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि  किया गया कार्य उचित हैं या अनुचित।

अधि नीतिशास्त्र (Meta Ethics):- यह नीतिशास्त्र की वह शाखा है जो नीतियों के गुणों, दावों, मनोदृष्टि और निर्णयो को समझने का प्रयास करती है। इसके अंतर्गत अच्छाई क्या है? और हम अच्छे और बुरे में अंतर कैसे समझ सकते हैं? इत्यादि। प्रश्नों के उत्तर प्राप्त किए जाते हैं। अधि नीतिशास्त्र के अंतर्गत निम्न प्रकार के प्रश्नों की मीमांसा (Epistemology अपिसटमोलॉजी), विचार की जाती है।
जैसे:-  नैतिक पदों एवं नैतिक निर्णयो के वास्तविक अर्थ क्या है? नैतिक निर्णयो के स्वरूप क्या है? नैतिक निर्णयो का अनुमोदन किस प्रकार किया जा सकता है।

अनुप्रयुक्त/व्यवहारिक नीतिशास्त्र (Applied Ethics):- नीतिशास्त्र की वह शाखा जिसके अंतर्गत किसी विशिष्ट स्थिति या क्रिया के किसी अनुक्षेत्र (Domain, ज्ञानक्षेत्र) में किसी व्यक्ति को क्या करना चाहिए का अध्ययन किया जाता है।
जैसे:- कुछ विशिष्ट किंतु नैतिक रूप से विवादास्पद (Controversial) मुद्दों यथा जानवरों के अधिकार (Animal Rights),इच्छा मृत्यु, गर्भपात (Abortion) इत्यादि का विश्लेषण किया जाता है। यह हमें दुबिधा और मानसिक द्वंद (Mental Duality) की स्थिति में व्यवहारिक नीतिशास्त्र हमें नैतिक सिद्धांतों का प्रयोग करना सिखलाता है ताकि हम अपनी स्थिति स्पष्ट कर सके। अर्थात, नैतिक निर्णय की प्रक्रिया में यह हमारी मदद करता है। वर्तमान में प्रचलित आधुनिक जीवन शैली  ने नये-नये मुद्दों (Issues) को जन्म दिया है। इनमें से कुछ इस प्रकार है-
  • क्या जानवरों के भी अधिकार होते हैं?
  • क्या व्यक्ति को आत्म निर्णय का अधिकार है?
  • मानव अधिकार क्या है और इसके अंतर्गत मानव के कौन- कौन से अधिकार सम्मिलित किए जाते हैं?
  • क्या इच्छा मृत्यु की अनुमति देना अनैतिक है।
  • क्या गर्भपात कराना अनैतिक है।
व्यवहारिक नीतिशास्त्र के अंतर्गत ऐसे ही प्रश्नो पर विचार किया जाता है। कोई प्रश्न व्यवहारिक नीतिशास्त्र की विषय वस्तु है अथवा नहीं। यह दो बातों पर निर्भर करता है प्रथम-  प्रश्न विवादास्पद (Controversial)  हो,  साथ ही इसके पक्ष और विपक्ष में तर्क देने वाले मानव समूहों की तादाद भी बड़ी हो। द्वितीय-  प्रश्न सिर्फ समाजिक विवाद का ही विषय ना हो बल्कि नैतिक रूप से भी विवादास्पद हो।

  • PETA (People for the Ethical Treatment of Animals)
         पेटा(Peta) पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार के पक्षधर लोग एक पशु अधिकार संगठन है। इसका मुख्यालय यूएसए (USA) के वर्जीनिया के नाफोर्लक (Norfolk)  में स्थित है। पूरे विश्व में इसके लगभग 2000000 (बीस लाख) सदस्य हैं। यह अपने आप को विश्व का सबसे बड़ा पशु अधिकार संगठन होने का दावा करता है। इंग्रिड न्यूकिर्क (Ingrid  Newkirk)  इसके अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

Question.1.:- आपको एक अधिकारी के तौर पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में भेजा गया है जहां पर आपको नाव(boat) किराए पर लेनी है लेकिन नाव की दर तय मानक से बहुत ज्यादा है। उस परिस्थिति में आप क्या करेंगे। अपने चयनित उत्तर का स्पष्ट कारण प्रस्तुत करें।
  1. आप उनकी मांग को मान लेंगे
  2. आप अपने वरिष्ठ से संपर्क करेंगे।
  3. आप उन्हें धमकी देंगे कि उनका पंजीकरण आप रद्द कर देंगे।
  4. आप अपनी कीमतों पर अड़े रहेंगे।
Question.2.:- आप एक अधिकारी के तौर पर कार्यरत हैं और आपको अपने जिले के कार्यालय में कार्यरत कर्मियों को ड्रेस सिलवाना है। आपको कुछ पैसे मिले हैं लेकिन उस दर में आपको बाजार में कपड़ा प्राप्त नहीं हो रहा है। उस परिस्थिति में आप क्या करेंगे। अपने चयनित उत्तर का स्पष्ट कारण प्रस्तुत करें।
  1. आपको जो दर प्राप्त हुई है उसी दर पर उपलब्ध कपड़ा खरीद लेंगे।
  2. आप अपनी कीमतों पर अड़े रहेंगे।
  3. आप अपने वरिष्ठ से संपर्क करेंगे।
  4. आप दुकानदार को धमकी देंगे कि उसका पंजीकरण आप रद्द कर देंगे।
यदि आप की माता और पत्नी एक साथ पानी में डूब रही हो तो आप सबसे पहले किसे बचाएंगे और क्यो?

परछाई से रोचक स्वरूपों को गढ़ना (Creating interesting forms from shadows) D.El.Ed.1st Year, F-11. Unit-3


परछाई से रोचक स्वरूपों को गढ़ना (Creating interesting forms from shadows)

       परछाई से रोचक स्वरूपों के निर्माण की प्रक्रिया कब से शुरू हुई इसके बारे में कोई भी सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि इंसान ने जब धरती पर आंखें खोली और सूर्य के प्रकाश से बनी विभिन्न प्रकार की परछाइयों को देखा तब उसके मन में भी ऐसी आकृतियां बनाने का विचार उत्पन्न हुआ। इसका उदाहरण हमें प्रागैतिहासिक काल की चित्रकलाओ में देखने को प्राप्त होता है।
         19वीं शताब्दी से पहले तक यह कला मनोरंजन का एक सस्ता एवं सुलभ माध्यम था। इस कला के प्रस्तुतीकरण हेतु प्रकाश के रूप में मोमबत्ती या एक प्रकाश बल्ब की आवश्यकता होती थी। जब हम इस कला का प्रस्तुतिकरण करते थे तब प्रकाश का सही स्रोत एवं एक हल्के रंग की दीवार की आवश्यकता पड़ती थी। इस कला के प्रस्तुतीकरण के समय हमें यह ध्यान रखना होता है कि जब हमारे हाथ प्रकाश स्रोत के बहुत करीब होते हैं तब एक बड़ी आकृति का निर्माण होता है और जैसे-जैसे हमारे हाथ प्रकाश स्रोत से दूर होते जाते हैं तब स्पष्ट एवं छोटी आकृति का मान होता है।

Examples:-

                    



शनिवार, 6 जून 2020

ई-मेल की संरचना, Making own E-mail ID, Sending E-mails. B.Ed. & D.El.Ed.


E-mail की संरचना D.El.Ed. 1st Year. F-12 Unit-4. Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=hYj-x_arDDw&pbjreload=101

Making own E-mail ID, Sending E-mails, B.Ed.1st Year, EPC-3 Unit-2 Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=HKAh-8GM2J0

E-mail Address ( ईमेल पता):- ई-मेल के प्रत्येक उपयोगकर्ता को अपने ई-मेल खाते के लिए एक अनूठा नाम बनाना पड़ता है इस नाम को E-mail Address  के रूप में जाना जाता है।

                         E-mail Username@Domainname  के रूप में होता है।
For Examples,
                        उदाहरण के लिए- biswajeetk1@gmail.com
यहां biswajeetk1 उपयोगकर्ता के रूप में है और gmail.com Domain Name है।


  • User Name और Domain Name @ प्रतीक से अलग होते हैं।
  • E-mail Adders में रिक्त स्थान (Space) की अनुमति नहीं होती है।
ईमेल संदेश के घटक/अवयव (The Components of E-mails Addres)

  • From- प्रेषक का पता
  • To- संदेश प्राप्तकर्ता
  • CC- Carbon Copy(cc) की सहायता से हम कई लोगों को एक साथ E-mail Send कर सकते हैं इस प्रक्रिया में सभी लोग एक दूसरे की E-mail Adders को देख सकते हैं।
  • BCC- Black Carbon Copy (BCC) की सहायता से भी हम कई लोगों को एक साथ E-mail Send कर सकते हैं लेकिन इस प्रक्रिया में सभी लोग एक दूसरे की E-mail  Adders को नहीं देख सकते।
  • Subject- विषय यह E-mail के सटीक उद्देश्य को इंगित करता है।
  • Greeting- अभिवादन
  • Text- पत्र संदेश
  • Signature- हस्ताक्षर यह एक ईमेल संदेश का अंतिम भाग है' इसमें प्रेषक का नाम, पदवी, भौतिक पता, और संपर्क नंबर, इत्यादि। होते हैं।

E-mail के लाभ

 E-mail संचार का एक शक्तिशाली और विश्वसनीय माध्यम प्रमाणित हुआ है। E-mail के निम्नलिखित लाभ है-
  • विश्वसनीय (Reliable):- यह एक सुरक्षित माध्यम है इसमें संदेश उसी व्यक्ति तक पहुंचता है जिस तक हम पहुंचाना चाहते हैं।
  • सुविधाजनक(Convenient):- इसमें स्टेशनरी  की आवश्यकता नहीं होती है।
  • गति(Speed):- यह नेटवर्क पर भी निर्भर करता है।
  • सस्ता (Cheap):- इसके लिए सिर्फ नेटवर्क कनेक्शन की आवश्यकता होती है।
  • छापने योग्य,मुद्रणीय (Printable)
  • व्यापकता (Prevalence)
  • इससे विश्व के किसी भी भाग में बैठे व्यकित  को कुछ ही सेकंडों में  संदेश भेजा जा सकता है।
        E-mail एक सेवा है जो हमें इंटरनेट पर इलेक्ट्रॉनिक मोड में संदेश भेजने के लिए अनुमति देता है। यह  एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक संदेश होता है जो किसी नेटवर्क से जुड़े बिभिन्न कंप्यूटरों के बीच भेजा एवं प्राप्त किया जाता है जो की भौगोलिक रुप से हजारों मील दूर भी हो सकते हैं। E-mail को मेल सर्वर के माध्यम से भेजा जाता और प्राप्त किया जाता हैं। मेल सर्वर ऐसा कंप्यूटर होता है जिसका कार्य  E-mail को प्रोसेस करके उचित Client Computer तक भेजना होता हैं।

गुरुवार, 4 जून 2020

ब्राउज़र और सर्च इंजन में क्या अंतर है। (What is Difference Between Browser & Search Engine) D.El.Ed.1st Year. F-12, Unit -4



ब्राउज़र और सर्च इंजन में क्या अंतर है।
(What is Difference Between Browser & Search Engine)

Browser:- ब्राउज़र एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है। इसका प्रयोग करने से पूर्व इसे कंप्यूटर या मोबाइल में Install करना होता है। browser का उपयोग वेबसाइट/वेबपेज को Access करने में किया जाता है। Internet Explorer, Firefox, opera, chrome, Firefox lite, etc. Browser के उदाहरण हैं।

Search. Engine:-  Search engine एक प्रकार का सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है जो किसी भी Key Word (की-वर्ड) को User के द्वारा Enter करने के बाद सर्च कर डॉक्यूमेंट को रिजल्ट के रूप में प्रस्तुत करता है। सर्च इंजन का काम होता है कि जब कोई भी Key Word user Enter करता है तो उसे Read  करके उसकी keyWord से जुड़े सभी रिजल्ट की लिस्ट को यूजर के सामने प्रस्तुत करें। Google, Yahoo! Bing, etc. सर्च इंजन के उदाहरण है।

  • ब्राउज़र एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है, जिसे प्रयोग से पूर्व कंप्यूटर में Install करना होता है।
  1. सर्च इंजन भी एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसे कंप्यूटर में Install नहीं करना होता है।
  • ब्राउज़र का संचालन इंटरनेट के द्वारा होता है।
  1. सर्च इंजन का संचालन भी इंटरनेट के द्वारा ही होता है।
  • ब्राउज़र एक प्रकार का Interface (अन्तरफलक, मिलनबिंदु) होता है क्लाइंट और सर्वर के बीच का।
  1. Search Engine interface होता है client और web page के बीच का।
  • ब्राउज़र के जरिए हम search engine को access कर सकते हैं।
  1. Search Engine ये जरिए हम Browser को Access नहीं कर सकते हैं।
  • ब्राउज़र को चलाने के लिए इंटरनेट का होना आवश्यक है।
  1. Search Engine को चलाने के लिए  इंटरनेट और ब्राउज़र दोनों का होना आवश्यक है।

Question:- कंप्यूटर शब्दावली में इंफॉर्मेशन का अर्थ होता है? (Information means in computer terminology.)

  1. Raw Data
  2. Data
  3. Data Program
  4. Data are in more useful or easy form.(डाटा अधिक उपयोगी या सुगम फार्म में हैं।)
Answer:-    Data are in more useful or easy form.(डाटा अधिक उपयोगी या सुगम फार्म में हैं।)

इंटरनेट सुरक्षा (Internet Safety) D.El.Ed. 1st Year F-12. Unit-4.


इंटरनेट के उपयोग में सुरक्षा D.El.Ed.1st Year, F-12. Unit-4 Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=0t_NCiYOMH8&t=4s

इंटरनेट सुरक्षा 
(Internet Safety)

           इंटरनेट मनोरंजन, शिक्षा इत्यादि के लिए हमें अवसर प्रदान करता है। इसीलिए इंटरनेट सुरक्षा के बारे में हम सभी को ज्ञान होना चाहिए

इंटरनेट safety से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्न हैं:-

  • अज्ञात स्रोतो से प्राप्त ईमेल, लिंक, वेबसाइट को कभी भी Click ना करें, उन्हें तुरंत रिमूव कर दे।
  • जब भी हम किसी web-page या सोशल नेटवर्किंग साइट पर कुछ लिखते हैं तो वह गोपनीय नहीं रहता इसीलिए आप क्या लिख रहे? और किसे लिख रहे हैं ? इस पर सतर्क रहें।
  • जब कभी भी किसी अजनबियों के द्वारा ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी भी स्थिति में आपसे id और Password मांगा जाए तो इन्हें  कभी भी share  ना करें।
  • अपने परिवार या अपने घर की फोटो उन व्यक्तियों के साथ कभी भी शेयर ना करें जिनसे आप ऑनलाइन मिलते हैं।
  • अपने Profile(लोकछवि) Details में यदि आवश्यक ना हो तो अपने निजी पहचान (Personal information) संबंधी जानकारी जैसे:-  आपका जन्मदिन, रुचियाँ Personal मोबाइल नंबर या घर का पता कभी भी शेयर ना करें।
  • एक ऑनलाइन मित्र के साथ कभी भी व्यक्तिगत मिलने की योजना ना बनाएं।
  • यदि आपको ऑनलाइन धमकी या कोई भी अनवांटेड मैसेज प्राप्त हो तो उस पर प्रतिक्रिया ना दें तुरंत अपने आईडी को Sign Out (साइन आउट) या Log Out (लॉग आउट) कर दें और इस गतिविधि की रिपोर्ट दर्ज कराएं।

बुधवार, 3 जून 2020

कबाड़ से जुगाड़ की अवधारणा की समझ (Understanding of the concept of makeshifter from salvage/junk.) D.El.Ed.2nd Year S-3




कबाड़ से जुगाड़ की अवधारणा की समझ
 (Understanding of the concept of makeshifter from salvage/junk.)

            शून्य निवेश या कम लागत में शिक्षण सहायक सामग्री (Teaching Learning Material) तैयार करने की विधि (जिसके माध्यम से बच्चे खेल-खेल में  शिक्षा प्राप्त करते हैं।) को हम कबाड़ से जुगाड़ की अवधारणा कह सकते हैं। 
 इस विधि के माध्यम से हम कई तरह की चीजें बना सकते हैं जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है।

Flash Card:-
                    A Card containing a small of information, held up for pupils to see, as an Aid to learning.

      एक कार्ड जिसमें छोटी-छोटी जानकारियां दर्ज होती है। इसका प्रयोग सीखने के लिए सहायता के रूप में विद्यार्थियों के बीच किया जाता है।

Flash Card (फ्लैश कार्ड) का उद्देश्य:- 
शून्य निवेश पर सहायक शिक्षण सामग्री तैयार करना।

Flash Card (फ़्लैश कार्ड) को तैयार करने के लिए आवश्यक सामग्री।

  • पुराना मोटा कागज
  • रंगीन टेप (Tape) फीता
  • स्केच पेन (Sketch Pen)
  • नए पुराने flash card  
  • तार (wire) इत्यादि।
फ़्लैश कार्ड के द्वारा गतिविधि:-

      Flash Card (फ़्लैश कार्ड) का प्रयोग उद्देश्य प्राप्ति के लिए विषयानुसार अलग-अलग T.L.M. के रूप में किया जाता है। इन कार्डो के द्वारा समानार्थी शब्द, विलोम शब्द, अंग्रेजी वाक्य बनाना, पशु-पक्षी, फल-फूल, इत्यादि की समझ और अर्थ को जानने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
        Flash Card (फ़्लैश कार्ड) के द्वारा शिक्षण को हम रुचिकर तो बना ही सकते हैं। उसके साथ-ही-साथ बच्चों की समझ की जांच भी की जा सकती है।

Flash Card का महत्व:-

  • शून्य निवेश या कम लागत में सहायक शिक्षण सामग्री (T.L.M.) को तैयार किया जा सकता है। खेल-खेल के माध्यम से बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा सकती है।
  • बच्चों की रुचि के अनुसार विषय आधारित शिक्षा उन्हें प्रदान की जा सकती है।
  • शिक्षण को और अधिक रुचिकर  बनाया जा सकता है।
  • शिक्षण सहायक सामग्री में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में कार्य करता है।

मंगलवार, 2 जून 2020

विविध प्रकार के प्रोजेक्टरो को चलाने का ज्ञान (Functional Knowledge of operating projectors of Various types) B.Ed. 1st Year. EPC-3


विविध प्रकार के प्रोजेक्टरो को चलाने का ज्ञान 
(Functional Knowledge of operating projectors of Various types)





Projector (प्रक्षेपक)-

An object that is used to project rays of light, especially an apparatus with a system of lenses for projecting slides or film onto a Screen.

एक ऐसी वस्तु जिसका उपयोग प्रकाश की किरणों को प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। विशेष रूप से यह एक स्क्रीन पर स्लाइड या फिल्मों को प्रस्तुत करने के लिए लेंस की उपलब्धता के साथ एक उपकरण है।
or
यह एक प्रक्षेपक यंत्र है। इसमें ऐसी व्यवस्था होती है जो लिखित या दृश्य सामग्री को छोटे तथा बड़े रूम में दीवार या पर्दे पर देखने के लिए प्रयोग में लाई जाती है। इस उपकरण का उपयोग कक्षा-शिक्षण में काफी प्रभावकारी होता है।
or
प्रोजेक्टर एक आउटपुट डिवाइस है।  यह एक प्रकार का कंप्यूटर हार्डवेयर का भाग है। जिसके माध्यम से किसी भी छवि को बड़े पर्दे पर दिखाया जाता है। यह लेंस के द्वारा पर्दे या दीवार पर चित्र का निर्माण करता है। इसके द्वारा तैयार चित्रों को बहुत ही दूर तक आसानी से देखा जा सकता है।

Types of Projector:-
Projector मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:-
  1. DLP (Digital Light Processing)
  2. LCD (Liquid Crystal Display)
  3. LED (Light Emitting Diode)

  1. DLP (Digital Light Processing):- इस प्रकार के प्रोजेक्टर एक चिप के आधार पर कार्य करते हैं। इसमें लगभग 2 मिलियन शीशों का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक शीशा लगभग माइक्रो मिलीमीटर का होता है। मुख्य रूप से लाल(RED), हरा(Green) और नीला(Blue) (RGB) रंग ही इसमें प्रदर्शित होता था।  लेकिन वर्तमान समय में तकनीकी में सुधार होने के बाद 16.7 मिलियन रंग में प्रदर्शित किया जा सकता है।
  2. LCD (Liquid Crystal Display):- इस प्रकार के प्रोजेक्टर को उत्तम श्रेणी में रखा जाता है। इसका प्रयोग फिल्म बनाने में भी किया जाता है। यह DLP से सस्ते होते हैं। एवं इसमें Zoom Lens का भी इस्तेमाल किया जाता है।
  3. LED (Light Emitting Diode):- इस तरह के प्रोजेक्टर को बहुत लंबे समय तक प्रयोग किया जा सकता है। इनकी कार्यक्षमता बहुत ही अधिक होती है।
NOTE:- 21 अप्रैल 1895 को अमेरीका में प्रोजेक्टर का पहला प्रदर्शन हुआ था। कई लोग एक साथ बैठकर आदमकद चलचित्र को देख सकते थे। वुडविल लैथम और उनके बेटे ने इसका निर्माण किया था।

ओवरहैड प्रोजेक्टर
(Overhead Projector)

A device that projects an enlarged image of a transparency placed on it onto a wall or Screen by means of on overhead mirror.
           
एक यंत्र जो भूमि/जमीन के ऊपर दर्पण के माध्यम से एक दीवार या चित्रपट/पटल पर पारदर्शिता की एक बड़ी छवि को प्रस्तुत करता है। 
         इसका प्रयोग पहली बार पुलिस मुख्यालय के लिए किया गया था। तत्पश्चात विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में भी किया जाने लगा। ओवरहेड प्रोजेक्टर का प्रयोग करते समय शिक्षक का मुख छात्रों की ओर ता है और प्रकाश उसके सर के ऊपर से दीवाल पर पड़ती है।

विशेषताएं
  • ओवरहेड प्रोजेक्टर को चलाना अत्यंत आसान है।
  • शिक्षक एवं छात्रों के मध्य अंतः क्रिया (Interaction) "समझाने एवं समझने की प्रक्रिया" आसानी से हो जाती है।
  • ओवरहेड प्रोजेक्टर का प्रयोग आप सामान्य प्रकाश में भी कर सकते हैं। अर्थात कक्षा-कक्ष को अंधेरा करने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • ओवरहेड प्रोजेक्टर का प्रयोग किसी भी छवि को बड़े आकार में देखने के लिए किया जाता है।
Advantage (लाभ):-
  1. सामान्य प्रकाश 
  2. बड़ी तस्वीर
  3. उपयोग में आसान
  4. समय की बचत
Disadvantage (हानी):- 
  1. महँगा उपकरण
  2. प्रयोग के लिए बिजली की आवश्यकता
  3. इसका प्रयोग करने से पूर्व आईसीटी(ICT) का ज्ञान
  4. साफ एवं स्वच्छ कक्षा-कक्ष का होना अनिवार्य।

WIKIPEDIA The Free Encyclopedia (विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोश) B.Ed. 1st Year. EPC-3.


Wikipedia The free encyclopedia. B.Ed.1st Year. EPC-3 Munger University, Munger. Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=wnyuuwAitRM&list=PL9TVIXFOxWRqATIFwPJ605KEpILBq13Pk&index=64


WIKIPEDIA The Free Encyclopedia (विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञानकोश) 

Wikipedia is a free Online Encyclopedia.
विकिपीडिया एक मुक्त ऑनलाइन विश्वकोश है।

विकिपीडिया को 15 जनवरी 2001 को शुरू किया गया था। इसके संस्थापक जिमी वेल्स (Jimmy Wales) और लैरी सेंगर (Larry Sanger)  है।

WIKI:-  A Website that allows Collaborative editing of its content and structure by its users.

WIKI:- विक्की एक ऐसी वेबसाइट जो अपने उपयोगकर्ता को अपनी सामग्री और संरचना को संपादन की अनुमति प्रदान करती है।
         विक्की का मतलब एक ऐसी वेबसाइट जो कि Allow (अलाउ) करती है किसी को भी कोई भी Content (कंटेंट) Add (ऐड), Delete (डिलीट) या Revise (रिवाइज) करने के लिए वह भी एक Web Browser (वेब ब्राउज़र) के इस्तेमाल से।

विक्की एक Hawaiian शब्द है जिसका अर्थ होता है- Fast (फास्ट) Quick  (क्विक) जल्द, तुरंत।

Internet में बहुत सारे Wikis हैं लेकिन उनमें से जो सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है वह है Wikipedia (विकिपीडिया)

Wiki How-  How to do Anything

Vikidia- 08-13 Years old Children.

Metapedia

       विकिपीडिया एक बहुत ही बड़ा Online Encyclopedia (ऑनलाइन इनसाइक्लोपीडिया) है। इसमें करीब Millions (करोड़ों) से भी ज्यादा Articles(लेख) हैं और प्रत्येक दिन हजारों  Articles (आर्टिकल्स) को Add, Edit किया जाता है। विकिपीडिया इतना ज्यादा प्रसिद्ध website है कि इसे पूरी दुनिया के Top-10 Website  में जगह प्राप्त हुआ है।
       विकीपीडिया एक free Open Content Online Encyclopedia. (फ्री ओपन कंटेंट ऑनलाइन इनसाइक्लोपीडिया) हैं जिसे बहुत सारेInternet User (इंटरनेट यूजर) के प्रयासों से तैयार किया गया है। इन्हें हम Wikipedians (विकिपीडियन्स) कहतें हैं। Wikipedians (विकिपीडियन्स) वे लोग होते हैं जो अपना समय निकालकर अपने ज्ञान के अनुसार Content (सामग्री) तैयार करते हैं और किसी Article (आर्टिकल) में यदि सुधार की आवश्यकता है तो वो भी इन्हीं लोगों के द्वारा किया जाता है। विकिपीडिया वेबसाइट को इतनी प्रसिद्धि दिला पाना किसी एक व्यक्ति के वश में नहीं था बल्कि पूरी दुनिया के सभी कोने से लोग इससे जुड़े हुए हैं और अपना ज्ञान इसमें सम्मिलित करते हैं।

Log in:-

विकीपीडिया को आप जैसे लोगों ने बनाया है। योगदान करने हेतु प्रवेश करें (LOGIN)

विकिपीडिया को Use करना उतना ही आसान है जितना कि E-mail और Blogs.

विकिपीडिया काम कैसे करता हैं?
(How Does Wikipedia Work)


           हजारों लोग प्रत्येक दिन विकिपीडिया पर Visit करते हैं और वह सभी साथ मिलकर विकिपीडिया की Community (समुदाय) बनाते हैं। वे सभी लोग जो विकिपीडिया साइट पर आते हैं वो अपना एक किरदार निभाते हैं। जैसे:-

  1. अधिकांश लोग जो विकिपीडिया को Visit  करते हैं वह Readers ही होते हैं उनका कार्य बस आर्टिकल्स को पढ़ना होता है।
  2. कुछ लोग विकिपीडिया पर आने के बाद राइटर्स बन जाते हैं और वहां मौजूद आर्टिकल में जरूरी बदलाव करते हैं या एक नया आर्टिकल लिखते हैं जो कि पहले से विकिपीडिया में उपलब्ध ना हो।
  3. कुछ वैसे भी लोग होते हैं जो विकिपीडिया पर Editor  (संपादक) बन जाते हैं अगर उन्हें कोई Error किसी पेज पर दिखाई पड़े तो वह उसी वक्त उसे Correct करते हैं।
  4. ऐसे कुछ लोग जो की बहुत समय से निरंतर ही Wikipedia Community (विकिपीडिया कम्युनिटी)(समुदाय) में अपना Contribution (कंट्रीब्यूशन) (योगदान) दे रहे हैं तो उन्हें विकिपीडिया भी Administrator privileges (प्रबंधक के फायदे) प्रदान करता है। इन Privileges (विशेषाधिकार) से वह बहुत से कार्य कर सकते हैं। जैसे:- किसी पेज को डिलीट करना, आईपी एड्रेस को ब्लॉक और अनब्लॉक करना इत्यादि।
  • Internet Protocol

Writers, Editors और Admins (व्यवस्थापक) सभी एक साथ मिलकर कार्य करते हैं।

Note:- यदि आप यह समझना चाहते हैं कि विकिपीडिया कार्य कैसे करता है तो आपको विकिपीडिया की कम्युनिटी में शामिल होना होगा।

MOOCs

 


MOOCs B.Ed.1st Year. EPC-3 Unit-2, Munger University, Munger. Video Link:-  https://www.youtube.com/watch?v=m4MJ39Bxrjo

MOOCs

  • M- Massive- जहां बड़ी संख्या में व्यक्तियों का समूह जुड़ा हुआ हो।
  • O- Open-      बिना किसी Cost के कोई भी, कहीं भी इस कोर्स को कर सकता है।
  • O- Online-    जो Web Based हो।   
  • C- Course-   यहां विभिन्न क्षमताओं के स्टूडेंट्स के लिए अलग-अलग कोर्स उपलब्ध हैं। 


Introduction:- 

            MOOCs अर्थात Massive Open Online Course  आधुनिक डिजिटल दुनिया का एक बेहतरीन शैक्षिक कार्यक्रम हैं। यह ऑनलाइन इंटरनेट के जरिए दूरस्थ शिक्षा (Distance Education) का एक माध्यम है। जहां बिना किसी बाध्यता  के, बिना किसी सीमा के,  दुनिया में कहीं भी, कभी भी, किसी भी समय बड़े पैमाने पर शिक्षा हासिल किया जा सकता है।
      MOOCs विश्वविद्यालय स्तर के ऑनलाइन पाठ्यक्रम हैं जो सामान्य लोगों के लिए खुले हुए हैं। ये वेब की सहायता से उन्हें असीमित भागीदारी का अवसर भी प्रदान करते हैं। इन बड़े ओपन ऑनलाइन कोर्स की सहायता से लोगों को अपने अकादमिक विकास के लिए वेब लेक्चर, ऑनलाइन मैटेरियल और यहां तक कि कुछ ऑनलाइन फोरम की भी सुविधा मिलती है।
          आपने इससे पहले डिस्टेंस एजुकेशन (Distance Education) के बारे में सुना होगा। डिस्टेंस एजुकेशन (Distance Education) में लोग हर बैठे पढ़ाई कर सकते हैं दूरस्थ शिक्षा (Distance Education) प्रदान करने वाली संस्थान अपने विद्यार्थियों को पोस्ट के जरिए अध्ययन सामग्री भेजती है और विद्यार्थी बिना किसी मदद के स्वयं ही शिक्षा ग्रहण करता है। लेकिन MOOCs इस डिस्टेंस एजुकेशन (Distance Education) का अधिक विस्तृत रूप है।  MOOCs कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को बहुत ही आसानी से Digital सामग्री को इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध करा दिया जाता है। जहां एक विद्यार्थी ऑडियो विजुअल सिस्टम (Audio Visual System) में लेक्चर देख और सुन सकता है, प्रॉब्लम डिस्कस कर सकता है, ऑनलाइन टेस्ट दे सकता है और सर्टिफिकेट भी हासिल कर सकता है।

MOOCs का इतिहास

Connectivism और  Connective  Knowledge  के नाम से 2006 तक  MOOCs को जाना जाता था। 2008 में यूनिवर्सिटी आफ प्रिंस एडवर्ड के Prof. Dave  Cromier ने पहली बार MOOCs शब्द दिया।  MOOCs को  CCK08 भी कहा जाता है। The MOOC Guide

MOOCs  के कोर्स में क्या-क्या सामग्री उपलब्ध कराया जाता है?
  • Video Lectures
  • Course Related Books
  • Quiz
  • Monthly Weekly test
  • Final Examination
MOOCs की क्या-क्या विशेषताएं हैं?
  1. MOOCs शिक्षा के Universalization (सार्वभौमीकरण) बनाने में सहायता कर रहा है।
  2. यह उच्च शिक्षा हर व्यक्ति तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
  3. MOOCs के माध्यम से घर बैठे पढ़ाई संभव है।
  4. Free of Cost (फ्री ऑफ कॉस्ट) पढ़ाई संभव।
  5. MOOCs सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक।
  6. MOOCs लचीला पढ़ाई का एक ठोस विकल्प है।
  7. MOOCs के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा आसानी से घर में प्राप्त होना संभव हो पाया है।
  8. दुनिया के टॉप माइंडेड व्यक्ति से ज्ञान की प्राप्ति का जरिया
MOOCs  के सामने समस्याएं और चुनौतियां:-
  • अध्येता(student) शिक्षक के ऊपर निर्भर हो जाता है।
  • Technology (टेक्नोलॉजी)  की जानकारी होनी चाहिए अध्येता को अन्यथा वह इसका लाभ नहीं ले सकते हैं।
  • अध्येता  को खुद के उपर नियन्त्रण रखना होता है।
  • भाषा संबंधित समस्याएं, 
  • छात्र समान्यता इससे अधिक सहायता की आशा नहीं करते हैं । 
  • भागीदारों की बड़ी संख्या होने के कारण, किसी विषय में व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने की जो जरूरत होती है, वो मिलना कठिन कार्य हो जाता हैं इत्यादि।
Smail Private Online Courses (SPOCs):- स्माल प्राइवेट ऑनलाइन कोर्स MOOCs से काफी मिलते जुलते हैं। ये सभी जरूरी सामग्री के साथ छात्रों को शिक्षा को यूनिवर्सिटी स्तर की ऑनलाइन क्लास की सुविधा देते हैं, SPOCs कम यानि 20-30 भागीदारों के लिए होती है।





सोमवार, 1 जून 2020

पटना कलम (Patna Kalam) B.Ed. 1st Year. EPC - 2, Unit-2.


पटना कलम, EPC-2, Unit - 2 B.Ed.1st Year. Munger University, Munger. Video Link:- https://www.youtube.com/watch?v=cNw72DSmMMU&t=9s


पटना कलम

          पटना कलम जिसे हम "कंपनी शैली" या "पटना शैली" के नाम से भी जानते हैं। पटना कलम एक प्रमुख भारतीय चित्रकला शैली हैं। इस शैली की शुरुआत मुगल साम्राज्य के पतन के बाद हुआ जब चित्रकारों ने पटना तथा उसके समीपवर्ती क्षेत्रों को अपने चित्रकला का विषय बनाया।
         पटना कलम शैली स्वतंत्र रूप से दुनिया की पहली ऐसी कला शैली थी जिसमें आम लोगों (Ordinary People) और उनकी जिंदगी को कैनवास/पेपर पर जगह दी। इस चित्र शैली का निर्माण जल रंग (water color) से अधिकांश होता था।
       मुगल साम्राज्य के पतन की अवस्था में शाही दरबार में कलाकारों को आश्रय मिलना बंद हो गया। इस कारण उनका पलायन अन्य क्षेत्रों में होने लगा था। इसी क्रम में 1760 ई० के लगभग कुछ चित्रकार पाटलिपुत्र आए और इन्हीं के द्वारा एक नई चित्रकला शैली का विकास हुआ।  यह चित्रकला शैली ही पटना कलम या पटना शैली कही जाती है। पटना कलम के चित्र लघु चित्रों (Miniature Painting) की श्रेणी में आते हैं जिन्हें अधिकांशतः कागज, अभ्रक और कहीं-कहीं  हाथी दांत पर भी बनाया गया है।

Note:- पटना चित्र शैली के अधिकतर चित्रकार पुरुष है। इसीलिए इसे "पुरुषों की चित्र शैली"  भी कहा जाता है।

Fall (पतन):- ब्रिटिश काल के अंत तक यह शैली भी लगभग अंत के करीब पहुंच गई। श्यामलानंद और राधा मोहन प्रसाद इसी शैली के कलाकार थे। राधा मोहन प्रसाद ने हीं बाद में पटना में 1939 ईस्वी में कला एवं शिल्प महाविद्यालय, पटना की स्थापना की जो कई दशकों से देश में कला गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र है।  ईश्वरी प्रसाद वर्मा पटना कलम शैली के अंतिम चित्रकार माने जाते हैं। उनके निधन के साथ ही पटना कलम शैली भी समाप्त हो गई। उनके द्वारा निर्मित कलाकृतियां पटना आर्ट कॉलेज एवं निजी संग्रह में आज भी शोभनीय है।

पटना कलम चित्रकला शैली की विशेषता:-

  • लघु चित्र (Miniature Painting):- पटना कलम के चित्र लघु चित्रों की श्रेणी में आते हैं  जिन्हें अधिकतर कागज, अभ्रक और कहीं-कहीं हाथी दांत पर भी बनाया गया।
  • सामान्य जन-जीवन का चित्रांकन (Portraiture of normal life):- पटना कलम शैली में श्रमिक वर्ग, दस्तकारी वर्ग (बढ़ई, लोहार,इत्यादि), आवागमन के साधन, बाजार के दृश्य एवं त्योहारों के चित्र अधिकतर बनाए गए हैं। 
  • बारीकी एवं अलंकरण की विशेषता (Characteristic of closely and decking):- इस चित्र शैली के चित्रकार बारीकी की दृष्टि से काफी सिद्धहस्त (Proven) थे। चित्रों के विभिन्न हिस्से को बड़ी ही बारीकी से चित्रांकन किया जाता था।
  • रंगने की निजी शैली (Personal style of coloring):-  इस शैली में विषय वस्तु को पेंसिल से रेखांकित कर तब इन्हें रंगने की प्रक्रिया को सामान्यतः नहीं अपनाया गया हैं।  बल्कि तूलिका एवं रंग के सहारे सीधे कागज पर चित्रांकन किया गया है। चित्रों को अंकित करने की आधारभूमि सर्वप्रथम कागज पर ही बनाई जाती थी। परंतु विविधता एवं स्थायित्व लाने के लिए चमड़ा, धातु आदि पर भी चित्रों को बनाया जाता था।
  • मुगल शैली से भी भिन्नता (Difference from Mughal style):- मुगल शैली से प्रभावित होते हुए भी कई मामलों जैसे विषय वस्तु, रंगों के उपयोग और छायांकन के तरीकों में यह मुगल शैली से अलग है। मुगल शैली में जहां राजमहल से संबंधित विषय वस्तु है वही पटना कलम में आम जनजीवन को विषय बनाया गया है।