शनिवार, 10 अगस्त 2024

लाहे लाहे जिंदगी के दगड़त बा गाड़ी


लाहे-लाहे जिंदगी के दगड़त बा गाड़ी,

 रोज एक-एक दिन कटत बाs हिम्मत के बरियारी।

 चले के तs मन तनको नईखे करतs,

 बाकीर थके नईखे देतs हमरा घर के जिम्मेदारी।


लाहे-लाहे जिंदगी के...


अपना हिस्सा के सुख-दुख अपने झेलअs तानीs,

 नईखे केहू देत दिलासा नईखे मिलत अकवारी।

 हँस के लोर छिपावे के आदत हमहु सीख ले ले बानी,

 जान गईनी की काम ना आई कवनो रिश्तेदारी।


लाहे-लाहे जिंदगी के...


 निमन बाउर कुछ ना होला सब समय के फेरा हs -२

 नियति कबहु हंसाई कबहु रुलाई सबके पारा-पारी -२


लाहे-लाहे जिंदगी के दगड़त बा गाड़ी,

 रोज एक-एक दिन कटत बाs हिम्मत के बरियारी।


 साभार - सोशल मीडिया 

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