हर जात में कउवा बा,
हर जात में कुत्ता बा।
हर जात में हो भइया,
मिल जात सपूता बा।
साधु जे बा साधक बा,
सम्मान मिलो उनुका।
सधुवे का भेसवा में,
इहां ढेरे कुकुरमूत्ता बा।
झुठऊ के हवे अगड़ा,
झुठऊ के हवे पिछड़ा।
ऊहे नूँ जुलूम ढावे,
जेकरा बलबूता बा।
बा काम कवन अइसन,
जे होइ सकेला ना।
संगवा में जहाँ जेकरा,
चनिया के जूतावा बा।
हम होखीं चाहे रउवा,
हाक़िम इजलासो के।
कुछ ना कुछ सभे पापी,
केहु ना ऐहिजा अछूता बा।
सीसा-लोहा टूटी,
साँचा में ढला जाई।
टूटी त कहां जूटी,
जे नेह के सूता (धागा) बा।
महेश ठाकुर चकोर ✍🏻
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