मंगलवार, 2 जुलाई 2024

बिहार के शादी-विवाहो में गाये जाने वाले भोजपुरी गीतों का संग्रह। (A Collection of Bhojpuri songs sung in weddings of Bihar.)



तिलक गीत

अक्षत देनी चढ़ावे के तऽ फांक गईल साड़वां।

आरे!!! फांक गईल साड़वां...

हमरा निमन भईया के बउराह मिलल साड़वां -२

हमरा निमन भईया के...


अक्षत देनी चढ़ावे के तऽ.....


गमछी मिलल चढावे के ऽ पेहन लेहलस साड़वां।

आरे!!! पेहन लेहलस साड़वां...

हमरा निमन भईया के नचनिया मिलल साड़वां -२

हमरा निमन भईया के...


साड़ी  मिलल चढावे के ऽ पेहने लागल साड़वां।

आरे!!! पेहने लागल साड़वां...

हमरा सुन्दर भईया के लौंडा मिलल साड़वां -२ 

हमरा सुन्दर भईया के...


सेवउवां मिलल चढावे के ऽ खाये लागल साड़वां।

आरे!!! खाये लागल साड़वां...

हमरा सुन्दर भईया के बउराह मिलल साड़वां -२

हमरा सुन्दर भईया के...


केला मिलल चढावे के ऽ खाये लागल साड़वां।

आरे!!! खाये लागल साड़वां...

हमरा सुन्दर भईया के पागल मिलल साड़वां -२

हमरा सुन्दर भईया के...


अक्षत मिलल चढ़ावे के तऽ फांक गईल साड़वां।

आरे!!! फांक गईल साड़वां...

हमरा सुन्दर भईया के बउराह मिलल साड़वां -२

हमरा सुन्दर भईया के...

*_*


मारवां गीत

पापा हो जनक पापा कवना वनवां गईनी जी -२

कवना वन के बांसवा से मरवां छवइनी जी -२

कवना वन के बांसवा से...


बेटी हो दुलारी बेटी वृन्दावनवां गईनी हो -२

वृन्दावन के बाँसवा से मरवां छवइनी हो -२

वृन्दावन के बाँसवा से...


हरीश कैसे गड़ी जी हरीश कैसे गड़ी -२

पांचो भैया मिलिहे हरीश कैसे गड़ी -२

पांचो भईया मिलिहे...


हरीश हइसे गड़ी हो हरीश हइसे गड़ी -२

सब गोतियाँ मिलिहे हरीश हइसे गड़ी -२

पांच भईया मिलिहे हरीश तइसे गड़ी -२

सब गोतियाँ मिलिहे हरीश हइसे गड़ी -२

सब गोतियाँ मिलिहे...

*_*


आहे, उच्चे मड़उवा छवईह ऐ पापा उच्चे होई नामवां तोहार।

आहे, उच्चे मड़उवा छवईह ऐ चाचा उच्चे होई नामवां तोहार।

आहे, उच्चे मड़उवा छवईह ऐ भैया उच्चे होई नामवां तोहार।

आहे, बाँसवा कटहीअऽ पापा मड़वा छवईहऽ करीह सूरुज से अलोप -२


आहे, खाखर माड़वा छवईह जन ऐ पापा बरिसे लगिहे मेघ बड़ी जोड़ -२

आहे, बिना रे बदरिया के बरसेला मेघा भींगे लगिहे छैला मोड़ -२

आहे, माड़ो में भिगेंले आरे दूल्हा, कवन दूल्हा जब शुभ कारज होये -२

आहे, उच्चे मड़उवा छवईह ऐ पापा उच्चे होई नामवां तोहार।

*_*


हल्दी गीत

आरे!!! सोना के कटरोवां में पियर हरदिया उपरा हरिहर ढूभ -२

आरे!!! पहिला हरदिया चढावेनी पण्डित जी पीछे हो सकल परीवार -२

आरे!!! धीरे-धीरे हरदिया चढ़ाई ऐ पण्डित जी मोड़े बनी बानी बड़ी अति सुकुमार -२

आरे!!! चढ़ेला हरदिया हो बेटी के सिरवां युगी-युगी बढ़ेला सोहाग -२


आरे!!! सोना के कटरोवां में पियर हरदिया उपरा हरिहर ढूभ -२


आरे!!!  पापा चढ़ावे हरदी चाचा चढ़ावे, मामी रहेली हरषाए।

आरे!!! भैया चढ़ावे हरदी फूफा चढ़ावे, भाभी रहेली हरषाए।

आरे!!! मामा चढ़ावे हरदी जीजा चढ़ावे, चाची रहेली हरषाए।


आरे!!! सुन्दर धिहवाँ हो भईली सयानी आज चढ़े हरदी सिरमार -२

आरे!!! सोना के कटरोवां में पियर हरदिया उपरा हरिहर ढूभ -२

आरे!!! पहिला हरदिया चढावेनी पण्डित जी पीछे हो सकल परीवार -२

*_*


गाली

कहवां के सिलवट, कहवां के लोढ़ा हो, कहवां के लाल मरीचाई हो।

ऐ हो, कहवां के लाल मरीचाई हो...


छपरा के सिलवट, आरा के लोढ़ा हो, यूपी के लाल मरीचाई हो।

ऐ हो, यूपी के लाल मरीचाई हो...


लाल मरीचाई हलाहल के पिसाई हो, सरऊ के चुतर पर छपाई हो।

आए-हाय, सरऊ के चुतर पर छपाई हो...


जबे छपाई उनके तबे परपराई हो, भगीहें तऽ भागलो ना जाई हो।

ऐ हो देखिये के बड़ी मज़ा आई हो...

*_*


लोटा लिहलअऽ, थरियां लिहलअऽ, हांडा लिहलअऽ समधी -२

हई बेलनवाँ लिहले जा -२

अपना बहिन खातीर मोटका बेलनवाँ लिहले जा।

अपना दीदियाँ खातीर लामका बेलनवाँ लिहले जा।


मुरई खईलअऽ, भिन्डी खईलअऽ, गाजर खईलअऽ समधी -२

हई बैंगनवां लिहले जा -२

अपना बहिन खातीर लामका बैंगनवां लिहले जा।

अपना बहिन खातीर मोटका बैंगनवां लिहले जा।


कूलर लिहलअऽ, टी.वी. लिहलअऽ, ए.सी. लिहलअऽ समधी -२

हई हीटरवां लिहले जा -२

अपना बहिन खातीर गरम हीटरवां लिहले जा।

अपना बहिनी के नापेला मीटरवां लिहले जा।

*_*


विवाह गीत

केकर अंगना हो तुलसी के पेड़वा केकर अं..ग..ना.. -२

सीता फुल लोढे चलली केकर अंगना -२

दशरथ अंगनावां हो तुलसी के पेड़वा, कौशल्या अंगना -२

सीता फुले लोढ़े चलली कौशल्या अंगना -२


फूलवां लोढ़ीऐ-लोढ़ीऐ भरेली चंगेलिया की चलिये भईली ना -२

करे गौरी पुजनवां की चलिये भईली ना -२

ओही रे बग़ीवां में तुलसी के पत्तवा ओही रे पत्तवा ना -२

सीता भोगवां लगवली ओही रे पत्तवा ना -२


विष्णु जी के भावे ला हो तुलसी के पत्तवा बिना रे पत्तवा ना -२

होला उनकर ना पुजनवां बिना रे पत्तवा ना -२

*_*


इमली घोतावन

मामा हाली-हाली,

मामा हाली हाली ईमली घोताव ऐ मामा, मामा हाली हाली -२

जइसन बकरी के पोंछ ओहिसन मामा जी के मोंछ मामा हाली हाली।

मामा हाली हाली ईमली घोताव ऐ मामा, मामा हाली-हाली -२


जइसन गंगा जी के बालू ओहिसन मामा हमार चालु मामा हाली हाली।

मामा हाली हाली ईमली घोताव ऐ मामा, मामा हाली-हाली -२


ईमली घोतावे अईले फालना के मामा -२

गिर गईल रुपिया लज्जा गईले मामा -२

ईमली घोतावे अईले...


फेरु आवं, फेरु आवं आरे!!! फालना के मामा -२

आरे!!! हम देब रुपिया लुटवले जईहअऽ मामा -२

ईमली घोटाई लेके जईहअऽ तु हू मामा -२

आरे!!! हम देब रुपिया लुटवले जईहअऽ मामा -२

आरे!!! गिर गईल रुपिया लज्जा गईले मामा -२


मामी के सैंडिलवां पहिन के आ गईले मामा -२

आरे!!! देख लेहलस लोगवां लज्जा गईले मामा -२

मामी के सैंडिलवां पहिन के आ गईले मामा -२

आरे!!! हँस लेहलस लोगवां लज्जा गईले मामा -२

आरे!!! गिर गईल रुपिया लज्जा गईले मामा -२

आरे!!! हम देब लुटवले जईहअऽ मामा -२


परिछावन गीत

केने बाड़े आपन पापा चिन्हस दामाद हें -2

इहें हवें की दोसर हवें -2

परछी की ना हें।

इहें हवें की दोसर हवें, परछी की ना हें।

इहें हवें की दोसर हवें...


छोटी-मोटी सास बाड़ी, लम्हर दामाद हें -

तनियां सा निहुरअऽ ऐ बबुआं -२

परछी की ना हों। -२

तनियां सा निहुरअऽ ऐ बबुआं...

*_*


छोट बाड़ी मोट बाड़ी होंठ रंगेले बाड़ी -२

बुझ जईहऽ दुल्हा उहें तोहर सरहज बाड़ी -२

छोट बाड़ी मोट बाड़ी...


अंगना में महंगा लहंगा पेहन के आईल बाड़ी -२

आरे!!! बुझ जईहऽ दुल्हा उहें तोहर साली बाड़ी -२

अंगना में महंगा लहंगा...


माथ के लुगा डार में खोश के बिजी ज्यादा जे बाड़ी -२

बुझ जईहऽ दुल्हा उहें तोहर फुआ बाड़ी -२

माथ के लुगा डार में...


सट के तोहड़ा जोड़े जे हो रील बनावट बाड़ी -२

ऽ, बुझ जईहऽ दुल्हा उ हेऽ लहुरी साली बाड़ी -२

सट के तोहड़ा जोड़े...

 *_*


चुमावन गीत

अगल से चूमहई भाभी बगल से चूमहई हो,

आरे!!! भैया लोगे छुवल जोबना माथे जन छुवहई हो।

*_*


कन्यादान गीत

आरी, छोटी चुकी से पोसी के हमरा के पापा तु सयान कईलअऽ हो -2

पत्थर करेजावां बनाई के धिया आपन दान कईलअऽ हो -2

*_*


कांचे आमवां तुड़लह हो पापा बगिया कईलहऽ हो सुनावां,

आरे!!! सुन्दर धिहा विहलहऽ ऐ पापा अंगनावा कईलहऽ हो सुनावां।

कांचे आमवां तुड़लह हो पापा हई बगिया कईलहऽ हो सुनावां...

*_*


बाबा कवने नगरिया जुआ खेललऽ

कि हमरा के हारि अ‍इलऽ, हमरा के हारि ह‍इलऽ


बेटी अवध नगरिया जुआ खेललीं तऽ

तोहरा के हारि अ‍इलीं, तोहरा के हारि अइलीं ।


बाबा कोठिया-अँटरिया काहे ना हरलऽ

कि हमरा के हारि अ‍इलऽ, हमरा के हारि ह‍इलऽ


बेटी कोठिया-अँटरिया हमार लछिमी तऽ

तू हऊ पराया धन तू हऊ पराया धन ।


बाबा भैया-भ‍उज‍इया काहें ना हरलऽ

कि हमरा के हारि अ‍इलऽ, हमरा के हारि ह‍इलऽ


बेटी पुतवा-पतोहिया हमार लछिमी तऽ

तू हऊ परायाधन-तू हऊ परायाधन ।


बाबा ग‍ईया-भँइसिया काहे न हरल कि

कि हमरा के हारि अ‍इलऽ, हमरा के हारि ह‍इलऽ


बेटी ग‍ईया-भँइसिया हमार लछिमी तऽ

तू हऊ पराया धन तू हऊ पराया धन।

*_*


का देखि बाबा हे आसन मारे लीले, का देखि कईनी व्यहार -२

का देखि बाबा रउआ धिहा संकल्प लिहनी, के राउर हरेला विचार जी -२

कुल देखि बेटी हो आसन मरनी, घर देखि बदलल व्यहार।

वर देखि बेटी हो धिया विसरवनी, तुही हमार हर लेहलू विचार हो -२


नदिया के तीरे-तीरे घुमेनी जनक राजा सिरिजा दहाइल जास हो -२

सिरिजा के खोली जब देखले जनक राजा सिरिजा में कन्या कुवांर हो-२

आमवां, महूईया के दुधवो ना होला, ईमली के दूधवां बहुत हो,

ईमली के दुधवां पिआई के हम पोसब राखब सिया सुन्दर नाम हो -२  

*_*


सिंदूर दान गीत

सेनुरा लगईह ऐ दुल्हा सोची विचार हो,

इहे सेनुरा हवें ऐ बाबु जीवन के आधार हो।

इहे सेनुरा हवें ऐ बाबु...

*_*


सोने के सिन्होरवां लिहले, अम्मा बाड़ी खाड़ हो -२ 

खोलअऽ बबूवां पालकी केवरियाँ -2

मंगिया बहोरबऽ हें।

खोलअऽ बबूवां पालकी केवरियाँ...


कईसे के खोली अम्मा, पालकी केवरियाँ हें -२

मोरे जांघवाँ ओलरल बाड़ी, मोरे जांघे ओलरल बाड़ी 

सासु जी के धिहवां हें।

मोरे जांघवाँ ओलरल बाड़ी...

*_*

 

मारवां खोलाई गीत

बांधी के खोलाई समधी मांगे समधिनिया हो -२

माड़वां में भीड़ भईल भाड़ी, बड़ा रंगदार समधी।

माड़वां में भीड़ जुटल भाड़ी, बड़ा रंगदार समधी।


बांधी के खोलाई समधी मांगे समधिनिया हो...


खड़े-खड़े मोच्छीयां पर ताव देले समधी साहब -२

ना चाही रेडिओ, घड़ी, गाड़ी!!! बड़ा रंगदार समधी।

माड़वां में भीड़ भईल भाड़ी, बड़ा रंगदार समधी।


ना लिहले गईया हो, ना लिहले भईसियां हो -२

ना लिहले रुपिया हजारी, बड़ा रंगदार समधी।

माड़वां में भीड़ लागे भाड़ी, बड़ा रंगदार समधी।


ना लिहले गगड़ा हो, ना लिहले परतीयां हो -२

ना लिहले लोटा औरी थाली, बड़ा रंगदार समधी।

माड़वां में भीड़ जुटल भाड़ी, बड़ा रंगदार समधी।


बांधी के खोलाई समधी मांगे समधिनिया हो -२

माड़वां में भीड़ भईल भाड़ी, बड़ा रंगदार समधी।

माड़वां में भीड़ भईल भाड़ी, बड़ा रंगदार समधी।

बड़ा रंगदार समधी...

*_*


विदाइ गीत 

coming soon


कन्या उतराई गीत

भारी-भारी लोढ्वा लेले अम्मा बाड़ी खाड़ हो,

खोलअऽ बाबू पलकी केवरियाँ -2

मंगिया बहोरबऽ हो।

खोलअऽ बाबू पलकी केवरियाँ...


कईसे में खोली अम्मा पलकी केवरियाँ हो...

मोरे जांघे ओलरल बाड़ी सासु जी के धिहवां हो।

मोरे जांघे ओलरल बाड़ी ससुर जी के धिहवां हो।

मोरे जांघे ओलरल बाड़ी... 

*_*

सोमवार, 1 जुलाई 2024

मिथिला के लोक मन्त्रों की दुनियाँ....

 


       प्राचीन काल से वर्तमान काल तक जन सामान्य में वैदिक साहित्य से इतर जो मंत्र व्याप्त हैं वे ही लोक-मंत्र कहलाते हैं। मिथिला के जन सामन्य में इन मंत्रों की स्वीकार्यता और इन पर विश्वास आज भी अडिग है। पढ़े-लिखे से लेकर जिन्हें अक्षर बोध भी नहीं है सभी जन इन वैदिकेत्तर मंत्रों से खुद को जोड़े हुए हैं। आपको जानकर ताज्जुब होगा की मिथिला की हर विवाहित महिला स्नानादि पश्चात जब गोसाउनि घर (कुल देवी पूजा कक्ष) में पूजा करती है तो देवी गौरी का पूजन (जो विवाहित स्त्रियों के लिए अनिवार्य है) जिन मंत्र के साथ होता है वह लोक मंत्र ही है। वैश्वीकरण के इस युग में आप देश बसे या परदेश इन विवाहित मिथिलानियों द्वारा नित्य सिंदूर से सने सुपारी को देवी गौरी का प्रतिरूप मान निम्न लोक मंत्र के माध्यम से पूजन करना अनिवार्य है -


एली गौरी महामाया 

कुसुम फूल तोड़ैत एली 

चनन डारि भडैंत एली 

फूलक माला गँथैत एली 

सोहाग भाग हमरा दिअ 

फूलक माला अहाँ लिअ


        आपको जानकर और भी आश्चर्य होगा कि इन कुलदेवी की मुख्य पुजारी भी सामन्यतः प्रत्येक परिवार में ऐसी महिलायें ही होती है जिन्हें वैदिक पूजा पद्धति से कोई लेना-देना नहीं होता ये अपनी पूजा पद्धत्ति की खुद सर्वेसर्वा होती है, मैं ने खुद अपनी आँखों से देखा है की जब भी आस पड़ोस की किसी प्रसूता स्त्री को प्रसव पीड़ा होती थी तो उसके घर से कोई व्यक्ति मेरी दादी के पास आकर गोसाउनिक सिर का नीर (जल) मांग कर ले जाता था। मेरी दादी स्नान कर गोसाउनिक घर में जाती और कुछ लोक मंत्रों के साथ पूजा कर एक जल पात्र में नीर भर कर दे देती जिसे प्रसव पीड़िता स्त्री को बच्चे के जन्म तक थोड़ा-थोड़ा कर पिलाया जाता था और देखते-देखते बच्चे का जन्म सहजता से हो जाता था। आज के समय में इसे भले हम अंधविश्वास कहें पर यह कहीं ना कहीं लोक का लोक के लिए लोक के द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था थी जिसमें सभी के कल्याण की भावना निहित थी और यही कारण था की समाज में इसकी सहज स्वीकार्यता थी। जब भी किसी अबोध बच्चे की तबियत थोड़ी बिगड़ती तो घर की महिला -


"आको मइआ चाको

प्रह्लाद भइआ जाको 

सोना दिअरा रुपा बाती 

बाबू सूतथि सुखे राती 

कननी खीजनी पाछू जाउ 

हँसनी खेलनी आगू आउ  ल"


उपरोक्त लोक मंत्र से बच्चे को ठीक करती थी l ऐसे कई उदाहरण आज भी हमें मिथिला के लोक समाज में देखने को मिलते हैं। ऐसे में इन्हें भले हम अंधविश्वास कह नजरअंदाज कर दें पर जब बात लोक जगत की आयेगी तो बिना इन लोक मन्त्रों की दुनियाँ को करीब से देखे आप मिथिला की लोक संस्कृति को नहीं समझ सकते।

साभार - सोशल मीडिया