मंगलवार, 31 दिसंबर 2024

वाल्मीकि रामायण भाग - 44 (Valmiki Ramayana Part - 44)



सीता जी से विदा लेकर हनुमान जी उत्तर दिशा की ओर बढ़े। लेकिन कुछ दूर जाने पर उन्होंने विचार किया कि सीता जी का पता तो मैंने लगा लिया, किन्तु शत्रु की शक्ति का पता लगाना भी आवश्यक है। मुझे इस बात का भी पता लगा लेना चाहिए कि रावण की सैन्य-शक्ति कितनी है, युद्ध में हमारी सेनाएँ जब लड़ेंगी, तो कौन किस पर भारी पड़ेगा और लंका को जीतने का क्या उपाय है? यह सोचते हुए हनुमान जी क्रोध से भर गए। विशाल रूप धारण करके वहाँ के बड़े-बड़े वृक्षों को वे उखाड़कर फेंकने लगे। उन्होंने उस पूरे उपवन को उजाड़ डाला। यह देखकर वहाँ के पक्षी भय से कोलाहल करने लगे और पशु आर्तनाद करते हुए भागे। इस कोलाहल को सुनकर लंका के नागरिक भी घबरा गए। उपवन की सुरक्षा में नियुक्त राक्षसियों की नींद भी इस उत्पात के कारण टूट गई। तब उन्होंने देखा कि एक विशालकाय वानर ने पूरे उपवन को उजाड़ दिया है। यह देखकर वे राक्षसियाँ सीता के पास जाकर पूछने लगीं, “सुन्दरी!!! यह विशाल वानर कौन है? कहाँ से आया है? क्यों आया है? यह तुमसे क्या बातचीत कर रहा था? तुम डरो मत। हमें सब बताओ।”
तब सीता ने उनसे कहा, “मैं तो इसे देखकर ही अत्यंत भयभीत हूँ। यह अवश्य ही कोई इच्छाधारी राक्षस होगा, किन्तु राक्षसों के बारे में मैं क्या जानूँ? वह तो तुम लोगों को ही पता होना चाहिए।” यह सुनकर वे राक्षसियाँ तुरंत ही रावण को सूचना देने के लिए बड़ी तेजी से भागीं। उन्होंने जाकर रावण से कहा, “राजन! भयंकर शरीर वाला एक वानर अशोकवाटिका में आ गया है। उसने सीता से कुछ बातचीत भी की है, किन्तु सीता हमें उस वानर के बारे में कुछ नहीं बताती। उसने पूरे उपवन को उजाड़ दिया, किन्तु जहाँ सीता रहती है, उस भाग को नष्ट नहीं किया। संभव है कि वह इन्द्र या कुबेर का दूत हो अथवा राम ने ही उसे सीता की खोज में भेजा हो।” यह सुनकर रावण क्रोध से जल उठा। उसने किंकर नाम वाले राक्षसों को तुरंत जाकर उस वानर को पकड़ लाने की आज्ञा दी। उसकी आज्ञा पाकर हजारों किंकर हाथों में कूट और मुद्गर लेकर बाहर निकले। उनकी दाढ़ें विशाल, पेट बड़ा और रूप भयानक था। उपवन के द्वार पर पहुँचते ही वे चारों ओर से हनुमान जी पर झपटे। तब हनुमान जी भी अपनी पूँछ को पृथ्वी पर पटकते हुए बड़े जोर से गर्जना करने लगे। उनकी उस गर्जना का स्वर पूरी लंका में गूँज उठा। क्रोध से गरजते हुए हनुमान जी ने कहा, “श्रीराम, लक्ष्मण तथा सुग्रीव की जय हो! मैं पवनपुत्र हनुमान हूँ। सहस्त्रों रावण मिलकर भी मेरा सामना नहीं कर सकते। मैं इस लंकापुरी को नष्ट कर डालूँगा।” हनुमान जी का परिचय सुनकर राक्षसों को अब कोई संदेह नहीं रह गया था कि यह राम का ही दूत है। वे सब राक्षस अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से हनुमान जी पर आक्रमण करने लगे। तब हनुमान जी ने भी वहीं द्वार के पास रखा हुआ एक लोहे का परिघ उठा लिया और उसे चारों ओर घुमाते हुए उन सबका संहार कर डाला। यह सूचना पाकर रावण का क्रोध और बढ़ गया। अब उसने प्रहस्त के पुत्र जम्बुमाली को भेजा।

उधर हनुमान जी ने सोचा कि ‘मैंने इस उपवन को तो उजाड़ दिया है, किन्तु इसके परिसर में ही बने इस प्रासाद को नहीं उजाड़ा है। अब मैं इसे भी नष्ट कर डालूँगा।’ ऐसा निश्चय करके वे उछलकर उस चैत्यप्रासाद पर चढ़ गए। वह राक्षसों के कुलदेवता का स्थान था। अब हनुमान जी उस प्रासाद को तोड़ने-फोड़ने लगे। यह देखकर वहाँ के सैकड़ों प्रहरी अनेक प्रकार के प्रास, खड्ग, फरसे, गदा, बाण आदि से हनुमान जी पर प्रहार करने लगे। तब हनुमान जी ने उसी प्रासाद के एक स्वर्णभूषित खंभे को उखाड़ लिया और उसे पकड़कर वे बड़े वेग से चारों ओर घुमाते हुए उन राक्षसों का संहार करने लगे। उस खंभे को इतने वेग से घुमाने के कारण उसमें से आग उत्पन्न हो गई, जिससे वह समूचा प्रासाद जलने लगा। तब तक रावण का भेजा हुआ जम्बुमाली भी गधे से जुते हुए रथ पर बैठकर वहाँ आ पहुँचा था। उसने प्रासाद के छज्जे पर खड़े हनुमान जी को देखते ही उन पर तीखे बाणों की वर्षा कर दी। उसने अर्धचन्द्र नामक बाण से उनके मुख पर, कर्णी नामक बाण से उनके मस्तक पर और दस नाराचों से उनकी दोनों भुजाओं पर गहरी चोट की। इससे हनुमान जी घायल हो गए और उनका मुँह रक्तरंजित हो गया। तब क्रोध में भरकर उन्होंने पास ही पड़ी एक चट्टान उठाई और पूरी शक्ति से उस राक्षस की ओर फेंकी। जम्बुमाली ने दस बाणों से उस चट्टान के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। तब हनुमान जी ने एक साल का वृक्ष उखाड़कर फेंका। उसने बाणों से उसे भी काट डाला। इस प्रकार उन दोनों के बीच बहुत देर तक युद्ध चलता रहा। अंततः हनुमान जी उसी परिघ को उठाकर इतने वेग से जम्बुमाली की ओर फेंका कि उसका पूरा शरीर चूर-चूर हो गया।

यह समाचार पाकर रावण क्रोध से उबल पड़ा। अब उसने अपने मंत्री के सात बलवान और पराक्रमी पुत्रों को हनुमान जी पर आक्रमण करने के लिए भेजा। वे एक बहुत बड़ी सेना लेकर महल से बाहर निकले। उनके विशाल रथ सोने की जाली से ढके हुए थे। उन पर ध्वजा-पताकाएँ फहरा रही थीं। उन्होंने भी हनुमान जी को देखते ही बाणों की वर्षा आरंभ कर दी।
तब हनुमान जी ने उन राक्षसों को भयभीत करने के लिए घोर गर्जना की और पूरे वेग से उन पर आक्रमण कर दिया। अनेकों राक्षसों को उन्होंने घूँसे और थप्पड़ से ही मार डाला। बहुतों को अपने पैरों से कुचल दिया और कुछ को अपने नखों से फाड़ डाला। कुछ राक्षसों को उन्होंने अपनी जाँघों में दबाकर मसल डाला, तो कुछ को छाती से दबाकर उनका कचूमर निकाल दिया। बहुत-से राक्षस तो उनकी गर्जना से ही घबराकर मर गए। जो शेष बचे, वे भय के कारण तुरंत ही वहाँ से भाग निकले। अब रावण के क्रोध की कोई सीमा न रही। वह भयभीत हो गया किन्तु उसने अपने भय को प्रकट नहीं होने दिया। अब उसने विरुपाक्ष, यूपाक्ष, दुर्धर, प्रघस और भासकर्ण नामक अपने अपने पाँच सेनापतियों को युद्ध के लिए चुना। रावण ने उनसे कहा कि “इस प्राणी के अलौकिक पराक्रम को देखकर यह मुझे कोई वानर नहीं लग रहा है। मैंने वाली, सुग्रीव, जाम्बवान, नील, द्विविद आदि अनेकों वानर देखे हैं, किन्तु उनमें से किसी का तेज, पराक्रम, बल, बुद्धि, उत्साह ऐसा नहीं है, जैसा इसका है। संभव है कि इन्द्र अथवा नागों, यक्षों, गन्धर्वों, देवताओं, असुरों, महर्षियों ने मिलकर अपने तपोबल से इस प्राणी की रचना की हो। हमारी सेना ने अनेकों बार उन्हें परास्त किया है, अतः वे निश्चित ही हमारा अनिष्ट करना चाहते हैं। इसलिए तुम लोग बड़ी भारी सेना सावधान होकर जाओ और इस प्राणी को उचित दण्ड दो।” रावण की आज्ञा मानकर वे सब लोग उपवन में पहुँच गए। उनसे भी हनुमान जी का बहुत देर तक युद्ध चला, किन्तु अंततः वे सब भी अपने सेना सहित मारे गए। इसके बाद रावण ने अपने पुत्र अक्षकुमार को भेजा। हनुमान जी ने उसे भी यमलोक पहुँचा दिया।
अंततः रावण ने अपने सबसे पराक्रमी पुत्र मेघनाद को यह समझाकर भेजा कि, “इन्द्रजीत" तुम अपने साथ सेना लेकर मत जाना क्योंकि वे सब सेनाएँ हनुमान को देखते ही भाग जाती हैं अथवा उसके हाथों युद्ध में मारी जाती हैं। तुम वज्र भी मत ले जाओ क्योंकि हनुमान पर उसका भी कोई प्रभाव नहीं हुआ था। तुम चित्त को एकाग्र करके शत्रु की शक्ति का विचार करो और अपने धनुष से कुछ ऐसा पराक्रम दिखाओ, जिससे हमारा कार्य सिद्ध हो सके।” यह सुनकर मेघनाद ने रावण को प्रणाम किया और उत्साह में भरकर वह वाटिका की ओर बढ़ा। उसका रथ गरुड़ जैसी तीव्र गति वाला था और उसमें चार सिंह जुते हुए थे। उसने हनुमान जी पर अनेकों प्रकार के बाण और शस्त्रास्त्रों का प्रयोग किया, किन्तु वे सब विफल रहे। तब वह किसी भी प्रकार से उन्हें कैद करने का उपाय सोचने लगा और उन्हें बाँधने के लिए उसने ब्रह्मास्त्र का संधान किया। मेघनाद नहीं जानता था कि हनुमान जी को ब्रह्माजी से यह वरदान मिला हुआ है कि ब्रह्मास्त्र भी उन्हें नहीं बाँध सकेगा। लेकिन हनुमान जी ने सोचा कि ‘ब्रह्मास्त्र से छूटना उचित नहीं है क्योंकि इससे ब्रह्माजी का अपमान होगा। इस प्रकार बँधे रहने का अभिनय करने से यह लाभ है कि ये राक्षस मुझे लेकर रावण के पास जाएगा और मुझे भी रावण से आमने-सामने बात करने का अवसर मिलेगा।” ऐसा सोचकर वे चुपचाप भूमि पर पड़े रहे। तब इन्द्रजीत के आदेश पर बहुत-से राक्षस वहाँ आए। उन्होंने बड़े-बड़े रस्सों से हनुमान जी को बाँध लिया। हनुमान जी भी चीखते और दाँतों को कटकटाते हुए इस प्रकार का अभिनय करने लगे, मानो उन्हें इससे बड़ा कष्ट हो रहा है। उन मूर्ख राक्षसों को यह ज्ञात नहीं था कि कोई और बन्धन बाँधने पर ब्रह्मास्त्र का बन्धन अपने आप ही छूट जाता है। लेकिन इन्द्रजीत इस बात को जानता था। वह समझ गया कि उसका ब्रह्मास्त्र अब विफल हो चुका है और केवल राक्षसों को भ्रमित करने के लिए ही हनुमान जी बंधे होने का अभिनय मात्र कर रहे हैं। इससे उसका सारा उत्साह नष्ट हो गया क्योंकि विजयी होकर भी वास्तव में वह परास्त हो गया था। अब वे सब राक्षस हनुमान जी को खींचते हुए और घूँसों से मारते हुए रावण के दरबार में ले आए। दरबार में पहुँचने पर हनुमान जी ने दुरात्मा रावण को देखा। उसकी आँखें लाल-लाल और डरावनी थीं। उसकी दाढ़ी बड़ी-बड़ी और होंठ लंबे-लंबे थे। उसका पूरा शरीर कोयले के समान काला था। उसने सोने का चमकीला एवं बहुमूल्य मुकुट पहना हुआ था। उसके शरीर पर सोने के अनेक आभूषण थे, जिनमें हीरे व कई अन्य मूल्यवान रत्न जड़े हुए थे। उसने हीरों का हार पहना हुआ था और उसके शरीर पर बहुमूल्य रेशमी वस्त्र थे। उसने लाल चन्दन लगाया हुआ था और अनेक प्रकार की विचित्र रचनाओं (गोदना/टैटू) से अपने अंगों को सजाया हुआ था। स्फटिक मणि से बने विशाल सिंहासन पर वह बैठा हुआ था। उसका सिंहासन अनेक प्रकार के रत्नों से सजा हुआ था और उस पर सुन्दर बिछौने बिछे हुए थे। वस्त्रों व आभूषणों से खूब सजी-धजी हुई अनेक युवतियाँ हाथों में चँवर लिए उसकी सेवा में सिंहासन के चारों ओर खड़ी थीं। दुर्धर, प्रहस्त, महापार्श्व और निकुम्भ, ये चार राक्षस मंत्री उसके पास ही बैठे हुए थे।
रावण ने भी हनुमान जी को देखा और अनेक प्रकार की आशंकाओं से वह भयभीत हो गया। उसने सोचा, ‘कहीं वानर के रूप में यह साक्षात नन्दी ही तो नहीं है? कहीं यह बाणासुर तो नहीं है?’, इस प्रकार के अनेक विचार घबराहट के कारण रावण के मन में आने लगे। फिर भी अपने भय को छिपाते हुए उसने क्रोध से आँखें लाल करके अपने मंत्री प्रहस्त से कहा, “अमात्य! इस दुष्ट से पूछो कि यह कहाँ से आया है और क्यों आया है? प्रमदावन को उजाड़ने और राक्षसों को मारने के पीछे इसका क्या उद्देश्य था?” तब प्रहस्त ने हनुमान जी से कहा, “वानर! तुम घबराओ मत। धैर्य रखो। तुम्हें इन्द्र, कुबेर, यम, वरुण या विष्णु आदि जिसने भी भेजा है, यह तुम हमें ठीक-ठीक बता दो, तो हम तुम्हें जीवित छोड़ देंगे, अन्यथा तुम्हारा बचना असंभव है।” तब हनुमान ने उत्तर दिया, “मैं इन्द्र, यम, कुबेर या वरुण का दूत नहीं हूँ और न भगवान विष्णु ने मुझे भेजा है। मैं श्रीराम का दूत हूँ तथा राक्षस रावण से मिलने के उद्देश्य से ही मैंने उस वाटिका को उजाड़ा है। तुम्हारे राक्षस स्वयं ही मेरे पास युद्ध की इच्छा लेकर आए थे। मैंने केवल अपनी रक्षा के लिए उनका सामना किया। ब्रह्माजी के वरदान के कारण कोई भी मुझे अस्त्र या पाश में बाँध नहीं सकता। तुम्हारे राक्षस समझते हैं कि उन्होंने मुझे बाँध रखा है, जबकि रावण को देखने के लिए मैंने स्वयं ही बँधना स्वीकार किया।” फिर रावण से कहा, “मैं प्रभु श्रीराम का दूत बनकर आया हूँ, अतः मेरी बात तुम ध्यान से सुनो। वानरराज सुग्रीव तुम्हारे भाई हैं, इस नाते उन्होंने तुम्हारा कुशल-समाचार पूछा है। उन्होंने तुम्हारे लिए सन्देश भिजवाया है कि ‘दूसरे की स्त्री को बलपूर्वक अपने घर में रोके रहना अनुचित और अधर्म है। ऐसे कार्यों से सदा अनर्थ ही होता है। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। बाली का पराक्रम तो तुम जानते ही हो। ऐसे पराक्रमी को भी श्रीराम ने एक ही बाण में मार गिराया था। जनस्थान के तुम्हारे सभी राक्षसों को भी उन्होंने अकेले ही यमलोक पहुँचा दिया था। फिर तुम्हें मारना उनके लिए कौन-सी कठिन बात है? अतः तुम अपने विनाश को आमंत्रण मत दो। सीता जी को ससम्मान श्रीराम के पास वापस भेज दो।’”
हनुमान जी बातें सुनकर दुर्बुद्धि रावण क्रोध से तमतमा उठा। उसने सेवकों को आज्ञा दी, “इस दुष्ट वानर का वध कर डालो।” लेकिन विभीषण को यह बात अनुचित लगी। उसने कहा, “राक्षसराज! क्रोध को त्यागकर मेरी बात सुनिए। श्रेष्ठ राजा कभी भी दूत का वध नहीं करते हैं। आप इसे कोई और दण्ड दीजिए।” तब रावण बोला, “विभीषण! पापियों का वध करना पाप नहीं है। इस वानर ने वाटिका को उजाड़कर और हमारे राक्षसों का वध करके पाप ही किया था। अतः मैं भी इसका वध करूँगा।” तब विभीषण ने पुनः कहा, “लंकेश्वर! ज्ञानियों का कथन है कि दूत का कभी भी वध नहीं किया जा सकता। किसी अंग को विकृत कर देना, कोड़े से पिटवाना, सिर मुंडवा देना, शरीर पर कोई चिह्न दाग देना आदि दण्ड उसे दिए जा सकते हैं, किन्तु किसी भी कारण से दूत को मारा नहीं जा सकता। अतः आप भी ऐसा न करें।” “दूत तो पराधीन होता है। वह केवल अपने स्वामी की आज्ञा का पालन करता है। दूत का वध करने से आपकी कीर्ति ही कलंकित होगी। अतः इसे मारने में कोई लाभ नहीं है। प्राणदण्ड तो उन्हें मिलना चाहिए, जिन्होंने इसे भेजा है। उचित यही होगा कि आप इसे वापस जाने दें ताकि यह लौटकर उन दोनों भाइयों को युद्ध के लिए उकसाए और हमारे राक्षसवीर उन्हें कैद करके आपके चरणों में ला पटकें। मेरी तो यह राय है कि उन दोनों राजकुमारों को पकड़वाने के लिए आप ही कुछ हितैषी, शूरवीर, सतर्क, गुणवान, पराक्रमी तथा अच्छा वेतन पाने वाले कुछ समर्पित राक्षसों को यहाँ से भेज दें।”

रावण ने कुछ सोचकर विभीषण की बात मान ली। फिर उसने राक्षसों से कहा, “वानरों को अपनी पूँछ बड़ी प्यारी होती है। अतः इसकी पूँछ जला दो और इसे अपमानित करने के लिए नगर की सभी सड़कों व चौराहों पर घुमाओ। इस प्रकार अपमानित होकर जब यह पीड़ित और दीन अवस्था में अपने मित्रों एवं परिवार के बीच जाएगा, तो वहाँ भी सदा लज्जित होता रहेगा।” तब राक्षस हनुमान जी की पूँछ में पुराने सूती कपड़े लपेटने लगे। उस समय हनुमान जी ने अपने शरीर का आकार बहुत अधिक बढ़ा लिया। पूँछ में वस्त्र लपेटने के बाद राक्षसों ने उस पर तेल छिड़का और आग लगा दी। उन्होंने हनुमान जी को कसकर बाँध दिया। उनकी यह अवस्था देखकर सभी स्त्री-पुरुष, बालक और वृद्ध निशाचर बड़े प्रसन्न हुए। हनुमान जी ने सोचा कि ‘यह बन्धन तोड़ना व उछलकर भाग जाना मेरे लिए कोई कठिन नहीं है, किन्तु मुझे चुपचाप इसी प्रकार बंधे रहना चाहिए। ये राक्षस मुझे सारी लंका में घुमाएँगे और कल रात्रि में अन्धकार के कारण मैं लंका के जिन स्थानों को ठीक से नहीं देख पाया था, उन्हें अब देख सकूँगा। दिन के प्रकाश में मैं लंका के दुर्ग की रचना को भी ठीक से समझ सकूँगा।’ अपनी इस योजना के अनुसार हनुमान जी चुपचाप बंधे रहे और सब राक्षस बड़े हर्ष के साथ शंख व भेरी बजाते हुए उन्हें लंका में हर ओर घुमाने लगे। हनुमान जी भी चारों ओर देखते हुए पूरे ध्यान से लंका का निरीक्षण करने लगे। उन्होंने परकोटे से घिरे हुए अनेक भूभाग, सुन्दर चबूतरे, सड़कें, मकान, छोटी-बड़ी गालियाँ, अनेक विमान आदि सब-कुछ ध्यान से देख लिया। पूरी लंका को देख लेने के बाद उन्होंने सोचा कि ‘अब मुझे इस प्रकार बंधे रहने की आवश्यकता नहीं है’। तब एक ही झटके में उन्होंने अपना बन्धन तोड़ डाला और एक ही छलांग में वे लंका के नगरद्वार पर चढ़ गए। फिर वे लंका को देखते हुए सोचने लगे कि ‘मैंने समुद्र पार करके लंका में प्रवेश कर लिया, सीता जी को ढूँढ निकाला, रावण को भी देख लिया व सारी लंका का निरीक्षण भी कर लिया। अब और क्या किया जाए, जिससे इन राक्षसों का शोक और बढ़े?’ तब उन्होंने विचार किया कि ‘जिस प्रकार मैंने वाटिका का विनाश किया था, उसी प्रकार इस लंका के दुर्ग को भी नष्ट कर देना चाहिए। इन राक्षसों से स्वतः ही मेरी पूँछ में आग लगा दी है, उसी आग से मैं लंका दहन कर दूँगा।’

यह तय करके वे अब अपनी जलती हुई पूँछ के साथ लंका के एक घर से दूसरे घर पर कूदने लगे। उन्होंने प्रहस्त, महापार्श्व, वज्रदंष्ट्र, शुक, सारण, मेघनाद, रश्मिकेतु, सूर्यशत्रु, ह्रस्वकर्ण, द्रंष्ट्र, रोमश, मत्त, ध्वजग्रीव, विद्युज्जिह्व, हस्तिमुख, कराल, विशाल, शोणिताक्ष, कुम्भकर्ण, मकराक्ष, नरान्तक, कुम्भ, निकुम्भ, यज्ञशत्रु, ब्रह्मशत्रु आदि अनेक राक्षसों के घरों में जा-जाकर उनमें आग दी। यहाँ तक कि उन्होंने रावण के महल को भी जला दिया। केवल विभीषण के घर को उन्होंने सुरक्षित छोड़ दिया। लंका के सारे निशाचर इस भीषण अग्निकांड से भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे। उनमें से कई राक्षस आग की चपेट में आ गए। बहुत-से किसी प्रकार आग बुझाने का प्रयास करने लगे। हनुमान जी ने देखा कि उस अग्नि में जल रहे घरों से हीरा, मूँगा, नीलम, मोती, सोने, चाँदी आदि अनेक धातु पिघल-पिघलकर बह रहे हैं। तेज हवा के कारण वह आग और भी तेजी से भड़क रही थी। इस प्रकार समस्त लंका नगरी को जलाकर हनुमान जी समुद्र के जल में अपनी पूँछ की आग बुझाई। समुद्र के किनारे पर खड़े होकर जलती हुई लंका को देखते समय हनुमान जी के मन में सहसा सीता जी का विचार आया। तब उन्हें अत्यधिक चिंता होने लगी और स्वयं से घृणा से करते हुए वे मन ही मन कहने लगे, ‘हाय! अपने क्रोध के कारण मैंने यह कैसा अनर्थ कर डाला। मैं कितना निर्लज्ज और पापी हूँ। सीता जी की रक्षा का विचार किये बिना ही मैंने सारी लंका में आग लगा दी और इस प्रकार अपने ही स्वामी का कार्य बिगाड़ दिया। इस जलती हुई लंका में अवश्य ही सीता जी भी जलकर नष्ट हो गई होंगी। ऐसा पाप करने के बाद अब मैं कैसे जीवित रहूँ? अब किस मुँह से मैं श्रीराम के सामने जाऊँ?’ यह सोचते-सोचते ही उनके मन में विचार आया कि इसकी पुष्टि किए बिना मुझे केवल आशंका को ही सत्य नहीं मान लेना चाहिए। अतः उन्होंने पुनः अशोक वाटिका में जाकर सीता जी को देखने का निश्चय किया। वहाँ पहुँचने पर उन्हें सीता जी पहले की ही भाँति अशोक-वृक्ष के नीचे बैठी हुई दिखाई दीं। उन्हें सकुशल देखकर हनुमान जी बड़े प्रसन्न हुए। सीता जी को प्रणाम करके उन्होंने जाने की आज्ञा ली। अशोक वाटिका से निकलकर हनुमान जी अरिष्टगिरि पर चढ़ गए। कोहरे से ढका हुआ वह पर्वत किसी ध्यानमग्न तपस्वी जैसा शांत दिखाई दे रहा था। हनुमान जी उसके शिखर पर पहुँचे और समुद्र को पार करने के लिए बड़े वेग से उन्होंने उत्तर दिशा की ओर छलांग लगा दी।

आगे अगले भाग मे...
स्रोत: वाल्मीकि रामायण। सुन्दरकाण्ड। गीताप्रेस

जय श्रीराम 🙏
पं रविकांत बैसान्दर✍️


सोमवार, 30 दिसंबर 2024

किसी को Beautiful बोलेने के कुछ शानदार वाक्य।



You are looking Gorgeous !! (आप शानदार लग रहे हो !!)
I have never seen anyone as beautiful as you !! (मैने आज तक आप जैसा खूबसूरत कोई नहीं देखा !!)
I can't take my eyes off you !! (मै अपनी नजरें आप पर से हटा नहीं पा रहा !!)
You are so adorable !! (आप बहूत प्यारी हो !!)



Same to you न कहे सिखे एकदम Smart Reply देना।


𒊹︎︎︎The feeling is Mutual ! (हम दोनो की feelings एक जैसी हैं !)
𒊹︎︎︎Same applies to you ! (यह चीज़ आप पर भी लागू होती हैं !)
𒊹︎︎︎Right back to you ! (जो चीज़ आपने कही ,वो आपके लिए भी बोलता हूँ !)
𒊹︎︎︎You too!!! (आपको भी!!!)
𒊹︎︎︎You stole my greeting ! (जो बात मै बोलना चाहता था, वो आपने बोल दी !)


Congratulations बोले अब और भी Smart तरीके से


𒊹︎︎︎Hats Off !! (बहुत बढिया !!)
𒊹︎︎︎You did it!! (आपने कर दिखाया !!)
𒊹︎︎︎Well done!! (शाबाश !!)
𒊹︎︎︎Keep up the good work !! (अच्छा काम करते रहो !!)
𒊹︎︎︎Sensational !! (शानदार !!)
𒊹︎︎︎You have got it !! (तुमने यह पा लिया !!)



Ways to express love❤️ प्यार❤️ जाहिर करने के तरीके



🟣 I Love you !! (मै आपसे प्यार करता हूँ !!)
🟣 I like you !! (मै आपको पसंद करता हूँ !!)
🟣 I wanna be your !! (मै तुम्हारा होना चाहता हूँ!!)
🟣 I am your !! (मै तुम्हारा हूँ !!)
🟣 You are mine!! (तुम मेरी हो !!)
🟣 You are my life !! (तुम मेरी जिंदगी हो !!)
🟣 I am always with you !! (मै हमेशा तुम्हारे साथ हूँ !!)


✅Daily Vocabulary


1. OFFENSIVE (ADJECTIVE): (आपत्तिजनक):- insulting

Synonyms: rude, derogatory

Antonyms: complimentary

Example Sentence:- The allegations made are deeply offensive to us.


2. FLAWED (ADJECTIVE): (त्रुटिपूर्ण):- Unsound

Synonyms: defective, faulty

Antonyms: sound

Example Sentence:- It was absolutely a fatally flawed strategy.


3 .HUDDLE (VERB): (भीड़ लगाना):- Crowd

Synonyms: gather, throng

Antonyms: disperse

Example Sentence:- They huddled together for ensuring warmth.


4. AMBITIOUS (ADJECTIVE): (महत्वाकांक्षी):- Aspiring

Synonyms: determined, forceful

Antonyms: unambitious

Example Sentence:

She is a typical ambitious workaholic.


5. INNATE (ADJECTIVE): (जन्मजात):- Inborn

Synonyms: natural, inbred

Antonyms: acquired

Example Sentence:- Her innate capacity for organization.


6. DISPENSE (VERB) (मुक्त होना):- Waive

Synonyms: omit, drop

Antonyms: include

Example Sentence:

Let's dispense with the formalities, shall we?"


7. BARBARIC (ADJECTIVE): (निर्दयी):-
Cruel

Synonyms: brutal, barbarous

Antonyms: benevolent

Example Sentence:

He carried out barbaric acts in the name of war.


8. GARGANTUAN (ADJECTIVE): (विशाल):- Enormous

Synonyms: massive, huge

Antonyms: tiny

Example Sentence:- Tigers and lions have a gargantuan appetite.


9. COMPLACENT (ADJECTIVE):- (आत्मसंतुष्ट):- Smug

Synonyms: self-satisfied, self-approving

Antonyms: dissatisfied

Example Sentence:- You can't afford to be complacent about security.


10. SLOPPY (ADJECTIVE): (लापरवाह):- Careless

Synonyms: slapdash, slipshod

Antonyms: careful

Example Sentence:- We gave away a goal through sloppy defending

अपनी निगाहों से ऐसे इशारा ना कीजिये...


अपनी निगाहों से ऐसे इशारा ना कीजिये।

सरेआम हमको यूं निहारा न कीजिये।।


मानते हैं हम हैं थोड़े बेफिक्र से।

बार-बार यूं हमें उकसाया ना कीजिये।।


ज़िंदगी का बसर नामुमकिन है आप बिन।

यूँ मझधार में मुझको किनारा न कीजिये ।।


जिसे फूल जैसी नज़र कर दे घायल। 

उसे ईंट पत्थर से मारा न कीजिये ।।


लुटा दो भले आप जागीर सारी। 

मगर दिल मुहब्बत में हारा न कीजिये ।।


चुभने लगे जिंदगी में जब कुछ रिश्ते। 

गुजारिश है उसको पुकारा न कीजिये ।।


बने होंगे जो तेरे लिये वह आएंगे एक दिन।

 मोहब्बत से यूं रोज बुलाया ना कीजिए ।।


 विश्वजीत कुमार ✍🏻

रविवार, 29 दिसंबर 2024

स्त्री


 

जो पढ़ना जानती थी,

वे प्रेम-पत्रों💌 से ठगी गई।

जो नहीं जानती थी,

वे एक जोड़ी झुमकों से।


चटोरपन की मारी,

एक प्लेट चाऊमिन से। 

तेरे हाथों में स्वाद है, 

सुनकर ठगी गई वे सारी।


जो पढ़कर भी पकड़ नहीं पाई,

इतिहास का सबसे बड़ा झूठ। 

प्रेम में केवल ईश्वर को, 

साक्षी मानने वाली।


एक चुराई अलसाई दोपहरी में मिले,

एक चुटकी सिंदूर से ठगी गई।

घर-बाहर दोनों संभालने वाली,

चाभियों के एक अदद गुच्छे‌ से...


ठगी की मारी ये सारी की सारी, 

तब-तक खिली रही जब-तक...

प्रेम का वृक्ष ठूंठ हो,

उनकी देह के साथ नहीं जला।


 -सुजाता✍️

अंदाज़ लगाना चाहता था.....

 


अंदाज़ लगाना चाहता था
  *"शख्सियत"*
मेरी कमाई के हिसाब से.....

मैने अपनी यात्राओं ✈️ की लिस्ट थमा दी।


विश्वजीत कुमार✍️

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024

सरेआम हमें यूँ ईशारा न कीजिए।



सरेआम हमें यूँ, 

ईशारा न कीजिए 

नजरें झुका के हमको, 

निहारा न कीजिए।


हर बार मुकम्मल, 

कहां किसी का ख्याल हुआ है। 

हर जगह तीर-ए-तुक्के, 

यूँ मारा न कीजिए।


बचपन के तसव्वुर से है, 

बिल्कुल अलग ये जहां।

जीवन की हकीकत से, 

यूँ किनारा न कीजिए 


पैदा हुए, पले बढ़े हो, 

इस जमीन में।

पा कर बुलन्दियों को, 

हमें यूँ भूलाया न कीजिए ।


शायर हो ठीक-ठाक, 

परन्तु इंसान बुरे हो।

इस बात को आप, 

नकारा न कीजिए।


चलो मान लिया,

वक्त नहीं है आपके पास

लेकिन गैरो को तो,

यूँ  निहारा न कीजिये


दुःख होता है,

आपको मौन देख के

कभी तो मेरे लिए,

मुस्कुराया☺️ तो कीजिये 


सरेआम हमें यूँ, 

ईशारा न कीजिए 

नजरें झुका के हमको, 

निहारा न कीजिए।

विश्वजीत कुमार


कविता में प्रयुक्त कुछ शब्दों के अर्थ -

तसव्वुर (पुल्लिंग) - कल्पना।

गुरुवार, 12 दिसंबर 2024

माफ करो मुझको देवी, मैं प्यार नहीं दे पाऊंगा !!!

A cartoon depicting a man, looking terrified, with exaggerated expressions to highlight the fear."

 

तू कंप्यूटर युग की छोरी, मन की काली तन की गोरी !

किंतु तुम्हें मैं अपनी बाहों का, गलहार नहीं दे पाऊंगा !

 तू माफ करो मुझको देवी, मैं  प्यार नहीं दे पाऊंगा !!


तुम फैशन टीवी की चैनल, मैं संस्कार का चैनल हूं !

तुम मिनरल वाटर की बोतल, मैं गंगा का पावन जल हूं !!

तुम लक्ज़री कार में चलती हो, मैं पाँव-पाँव चलने वाला !

तुम हाय हेलो  में पली बढ़ी, मैं दीपक  सा जलने वाला !!

वो चमक-दमक वाला तुमको, संसार नहीं दे पाऊंगा !

तू  माफ  करो  मुझको  देवी, मैं प्यार नहीं दे पाऊंगा !!


तुम रैंप पर देह दिखाती हो, मैं संस्कार को जीता  हूं !

जब तुम्हें देखकर सिटी बजता, मैं घुट लहू का पीता हूं !!

तुम सदा स्वप्न में जीती हो, मैं यथार्थ में जीने वाला  !

तुम  बियर  व्हिस्की  पीती हो, मैं हूं मट्ठा पीने वाला !!

तुम्हें  फास्ट  फूड  भी  मैं  हर बार नहीं दे पाऊंगा !

तू माफ करो मुझको देवी, मैं प्यार नहीं दे पाऊंगा !!


तुम क्लॉक अलार्म सी नजरों में, मैं कॉक वार्न से जगता हूं !

तुम डिस्को की धुन पर नाचो, मैं राम नाम ही जपता हूं !!

तुम डैडी को अब डैड कहो, मम्मी को मॉम बताती हो !

तुम करवा चौथ भूल बैठी, डे वेलेंटाइन मनाती हो !!

मैं तुम्हें  तुम्हारे  सपनों का, त्यौहार नहीं दे पाऊंगा !

तू  माफ करो मुझको देवी, मैं  प्यार नहीं दे पाऊंगा !!


तुम पॉप म्यूजिक सुनने वाली, मैं बंसी की धुन की धुनिया !

मैं लैपटॉप भी ना रखता , तुम इंटरनेटी की दुनिया !!

तुम मोबाइल की मैसेज सी, मैं पोस्टकार्ड लिखने वाला !

तुम टेडी बीयर सी लगती, मैं गुब्बारे सा उड़ने वाला !!

मैं भौतिकवादी सुख साधन का, संसार नहीं दे पाऊंगा !

तू माफ करो मुझको देवी,  मैं  प्यार नहीं दे पाऊंगा !! 


नीतीश कुमार✍️

बुधवार, 11 दिसंबर 2024

जब केहू दिल💕 में उतरs जाला।


मुरझाईल फूलवा🥀, लागे ला महके🌹,

चंचल चिरईया मन के लागे ले चहके🐥

दीया, मन में पिरितिया के जर🪔 जाला,

जब केहू दिल💓 में उतरs जाला।


नीक नहीं लागे ला केहू के बतिया🗣️,

हर जगे लउके बस उहे सुरतिया👱🏻‍♀️

दोसरा में बस जाला, आपन प्राणवाँ🥰

जियरा ना माने ला अपने कहानवाँ,

केतना आस मन के घवद पर फर जाला,

जब केहू दिल💓 में उतरs जाला।


आसान नाही होला, ई नेहिया💕 के काम।

सुख-चैन सब कुछ, हो जाला नीलाम।

लागे ना भूख-प्यास, कौनो भी बेला।

लोग अपने ही घर में, हो जाला अकेला🥲

नैन हँसते-हँसते, लोरवा😢 से भर जाला.

जब केहू दिल💓 में उतरs जाला।


साभार - सोशल मीडिया 

शुक्रवार, 29 नवंबर 2024

शायद!!!! हर लड़कों की कहानी से जुड़ी कविता....

कन्या एक कुंवारी थी, 

छू लो तो चिंगारी थी 

वैसे तो तेज कटारी थी, 

लेकिन मन की प्यारी🤗 थी। 


सखियों से बतियाती थी, 

लड़को से घबराती थी 

मुझसे कुछ शर्माती थी, 

बस से कॉलेज आती थी।


 अंतर्मन डिस्क्लोज😍 किया, 

एक दिन उसे प्रपोज🥰 किया

पहले वह नाराज हुई तबीयत सी ना-साज हुई, 

फिर बोली - अभी यह ठीक नहीं!!! अपनी ऐसी रीत नहीं।


 लिखने-पढ़ने के दिन है, 

आगे बढ़ने के दिन है 

यह बातें फिर कर लेंगे, 

इश्क-मोहब्बत👩🏻‍❤️‍👨🏼 फिर कर लेंगे


अभी ना मन को हिट करो, 

पहले एम.एफ.ए (M. F.A.) तो कंप्लीट करो।


 उसने यू रिस्पांस किया, 

प्रपोजल को पोस्टपोन किया 

हमने भी हिम्मत नहीं हारी, 

मन में ऊर्जा नई भरी 


रात-रात भर पढ़-पढ़ कर, 

नई इबादत गढ़-गढ़ कर 

ऐसा सबको शॉक्ड दिया, 

मैंने कॉलेज टॉप🏆 किया।


 अब तो मूड🤩 सुहाना था, 

उसने मन भी जाना था 

लेकिन उसका राग पुराना था, 

फिर एक नया बहाना था। 


जॉब करो कोई ढंग की, 

फिर स्टेटस की नौटंकी 

कभी कास्ट का पेंच फंसा, 

कभी बाप को नहीं जंचा।


 थक कर रोज झमेले में, 

सोनपुर के मेले में।

एक दिन जोश में आकर के,

कहां उसे जाकर के।


 जो कह दोगी कर लूंगा

कहो हिमालय चढ़ लूंगा। 

लेकिन क्लियर बात करो, 

ऐसे ना जज्बात हरो।


या तुम हां कह दो, 

या साफ मना कर दो।


सुन कर कन्या मौन हुई,

हर चालाकी गौण हुई।

तभी नया छल कर लाई,

आँख में आशु😢 भर लाई।


हिम्मत को कर ढेर गई,

प्रण पर आशु फेर गई।


पुन: प्रपोजल बिट हुआ,

नखड़ा नया रिपीट हुआ।

थोड़ा सा तो वेट करो,

पहले पतला पेट🫄🏻 करो।


ज्वाइन कोई जिम💪🏻 कर लो,

तोंद ज़रा सी डीम कर लो।

खुश्बू🏵️ सी खिल जाउंगी,

मै तुमको मिल जाउंगी।


तीन साल का वादा कर,

निज क्षमता से ज्यादा कर।

हीरो जैसी बॉडी से,

देंसिंग वाले रौडी से।


बेहतर फिजिक्स बना ना लूँ,

छह:(06), छह:(06)🏋️‍♂️ पैक बना ना लूँ।

सूरत नहीं  दिखाउंगा,

तुझको नहीं सताउंगा।


रात-रात भर श्रम कर के,

खाना-पीना कम कर के।

रुखी सुखी खा कर के,

सरपट दौड़🏃🏻 लगा कर के।


सोने सी काया कर ली,

फिर मन में नई उर्जा भर ली।

 उसे ढूढ़ने निकल पड़ा,

किन्तु फिर प्रेम में खलल💔 पड़ा।


चुन्नी बांध के छल्ले में,

किसी और के गले में।

वह जूही की कली गई,

किसी और की गली गई।


शादी कर के चली गई,

हाय रे!!! किस्मत छली गई।


थका-थका, हारा-हारा,

हाय!!! मै बदकिस्मत बेचारा।

पल में दुनिया घुम लिया,

हर फंदे पर झूल गया।


अपने आशु 😢 पोछूँगा,

कभी मिलेगी तो पूछूँगा।

क्यों मेरा दिल💔 तोड़ गई,

प्यार जता कर छोड़ गई।


कुछ दिन बाद दिखाई दी,

वो आवाज़🌬️ सुनाई दी।


छोड़ा था नवचंडी में 

पाई सब्जी मंडी में।

वो जो एक छड़हरी थी,

कंचन देह सुनहरी थी।


वो कितनी लिजी-लिजी मिली,

बार्गेनिग में बिजी मिली।

वो जो चहका करती थी,

हरदम महका करती थी।


अब दो की महतारी थी,

तीजे की तैयारी थी।


उलझे-उलझे बाल हुए,

बिखड़े-बिखड़े गाल हुए।

दिल के फूटे छालो ने,

इन बेढंगे हालो ने।


सपनो में विष घोला था,

एक हाथ में झोला था।

एक हाथ में मुली थी,

खुद भी फूली-फूली थी।


सब सुंदरता लूली थी,

आशा फाँसी झूली थी।

विधना के ये खेल कड़े,

देख रहा था खड़े-खड़े।


तभी अचानक सधे हुये, 

दो बच्चों से लदे हुये।

चिक-चिक से कुछ थके हुये,

बाल वाल सब पक्के हुये।


एक अंकल जी प्रकट हुये,

दर्शन कितने विकट हुये।

बावन इंची (52") कमरा था,

इसी कली का भंवरा था।


बावन इंची (52") कमरा था,

इसी कली का भंवरा था।



तुफानों ने पाला था,

मुझसे ज्यादा काला🌚 था।

मुझसे अधिक उदास😕 था वो,

केवल दशवी पास था वो।


रानी साथ मदारी के,

फूटे भाग्य बेचारी के।

घूरे मेला लूट गये,

तितली के पर टूट गये।


रचा स्वयंवर वीरो का,

मंडप मांडा जीरो का।

आमलेट तवा पर फैल गई,

किस ख़ुशत के गैल गई।


बिना मिले वापस आया,

कई दिनों तक पछताया।

अब भी अक्सर रातों में,

कुछ गहरे जज्बातो में।


पिछली यादें ढोता हूँ,

सब से छिपकर रोता😭 हूँ।

मुझमें क्या कम था ईश्वर,

किस्मत में गम था ईश्वर।


अब भी आशू😢 बहते हैं,

शायद!!! भाग्य इसी को कहते हैं।


शायद!!! भाग्य इसी को कहते हैं।

शायद!!! भाग्य इसी को कहते हैं।

 

सभार - सोशल मीडिया।

मंगलवार, 26 नवंबर 2024

क्या होगा???


तुम्हे हम भी सताने🤨 पर उतर आए तो क्या होगा,
तुम्हारा दिल❤️ दुखाने पर उतर आए तो क्या होगा।
हमें बदनाम🫨 करते फिर रहे हो अपनी महफिल में - २
अगर हम सच 💯 बताने पर उतर आए तो क्या होगा।

कलुआ के माई।👩🏻‍🍼


          .....जानती हो, कभी-कभी हमार मन करेला कि तोहरा खातिर एगो चिट्ठी ✉️ लिखी✍🏻, लेकिन फिर सोचीला कि साला आपन दर्द उह पेपर पर कैसे लिख पाईब हम।😢

लेकिन खैर!!! छोड़s आज आपन मन के बाद कह ही देतs बानी।


सुनs हो कलुआ के माई,

        जब से हम यहां आए हैं ना हमारा मन बिल्कुल नहीं लग रहा है इह साला शहर ही बड़ा अजीब है कोई किसी से बतियाता ही नहीं है, ससुर के नाती सब के सब दिन भर मोबाइल में घुसलs रहता हैं। काले एगो सवारी बैठा था रिक्शा पे, शायद उ दोनो पति-पत्नी थे, दुनो पूरे रास्ते कुछो ना बात किए पूरे रास्ते बस मोबाइल में देख रहे थे, जानती हो कलुआ की माई, इह शहरी दुनिया बहुते छोटी है जी, हम दिन भर में कम से कम रोज नए 50-100 आदमी से मिलते हैं कोई आदमी के चेहरे पर खुशी नजर नहीं आती है कोई फोन पर अपने मालिक से बतिया रहा होता है तो कोई अपने मेहरारू से कोई अपने दोस्त से बतिया रहा होता है तो कोई अपने काम से लेकिन इन सारे आदमियों में एक चीज सामान्य होती है यह सारे आदमी रो😢 रहे होते हैं।

         तुमको याद है जी, जब हम तुमको पहला बार खिचड़ी के मेला में घुमाने के लिए छपरा ले गए थे उ हम तुमको पैदल लेकर आए थे याद है ना तुमको, पूरा चार मिल का रास्ता था उह, और उह ससुरा चार मिल के रास्ता में हम लोग घंटों बात किए थे,उसी रास्ता में तुम हमको बताई थी कि तुम्हारी सहेली कलावती है ना, (अरे उहे कलावती जिसका शादी त्रिलोकी शाह के नाती से हुआ था जिसकी बनारस में चाय की दुकान है वहीं वाला), उहो खिचड़ी के मेला में छपरा आने वाली है, और तुम हमको एक बात और बताई थी तुमको अनेरिया (अंधेरा) से बहुत डर लगता है, और साला हम तुमको पूरा रास्ता भूत-भूत👻 कहकर चिढ़ाते हुए आ रहे थे तुम गोलगप्पा भी खाई थी याद है ना!!! तुमको साला हम लोग कितना बतियाते हुए गए थे लेकिन जानती हो यहां के लोग बतियाते ही नहीं है।


      इहा साला सब दौड़ रहे है जी, पता नहीं काहे दौड़ रहे हैं लेकिन सब दौड़ रहे हैं काल एगो 15 - 16 साल के लाइका और लाईकी रिक्शा पर आकर बैठे थे, बड़ा गंदा गंदा हरकत कर रहे थे सब, कुछो शर्म लाज नहीं है यहां के लोगों को, पता नहीं इनके माय बाप इनको का सिखाते हैं लेकिन हम इन सब बातों पर ध्यान नहीं देते हैं जानती हो उस सोनहन का रमेश पासवान का लाइका भी यही हमारे साथ ही रिक्शा चलता है कल ही उह एगो मोआबाइल खरीदा है उस पर ना अपनी मेहरारू से बतिया रहा था जी एकदम सामने देख रही थी वह हम उससे कहे हैं वो इतवार को तुमसे बात कराएगा हमारी, इतवार को हम फोनवा से ना वीडियो करेंगे।


ठीक है ना!!! 


       अच्छे से रहना ख्याल रखना अपना हम पैसा दिया करेंगे हर महीना, सुनो ना दुपहरिया हो रहा है थोड़ी देर सो लेते हैं अभी सवारी नहीं मिलती है बाद में विश्वविद्यालय तरफ जाना है, वहां से सवारी बहुत मिलती हैं।

ठीक है अब हम चलतें है।


तोहार 

रामखेलावन✍🏻


साभार - सोशल मीडिया

बुधवार, 13 नवंबर 2024

अगर दुनिया में होता न मुहब्बत का फलसफ़ा...


अगर दुनिया🌎 में होता न मुहब्बत❤️ का फलसफ़ा। 

सच मानिए होता न किसी से कोई खफ़ा😞 ।।


हमें इतना कहां है शऊर जानते हो तुम। 

हमको नहीं पता है क्या होती है ये वफ़ा ।।


नुख्सा हर एक नाकाम है तुमको भुलाने का। 

आजमा के खुद को देखा है हमने कई दफ़ा ।।


हमसे कोई न कीजिए उम्मीद वफ़ा की। 

दुश्मनों के लिए हमें करना है सिर्फ जफ़ा ।।


हमने दुनिया में दिल क्या लगा लिया। 

न जाने कितनी हम पे लगा दी गई दफ़ा ।।



साभार - सोशल मीडिया

कविता में प्रयुक्त कुछ उर्दू के शब्दों के अर्थ -

1. फ़लसफ़ा (पुल्लिंग) - ज्ञान, विद्या, दर्शन शास्त्र, तर्क विद्या, Philosophy.
2. शऊर (पुल्लिंग) - तरीक़ा, ढंग, सामान्य योग्यता, Mannerliness
3. वफ़ा (स्त्रीलिंग) - वचन पालना, निष्ठा, Manners.
4. जफ़ा (स्त्रीलिंग) - अत्याचार, ज़ुल्म, अन्याय पूर्ण कार्य।

मंगलवार, 12 नवंबर 2024

खोइंछा (Khoencha)

खोइंछा

               हमनी के बिहार में एगो विधि बा जवन महिला सशक्तिकरण के दिखावे ला या कह सक तानी की बेजोड़ नमूना बा। जब कवनो शादी भईल मेहरारू चाहे घर (मायके) से ससुराल जाली, चाहे ससुराल से घरे (मायके) जाली तब उनका के खोइंछा दिआला। खोइंचा के यदि परिभाषित कईल जाव तs कह सकत बानी की - चाउर के कुछ दाना, हरिहर दुभी के पत्तई, कुछ पईसा अवरी हल्दी। अब ई सब काहे दिहल जाला ऐकर एगो ना!!! और कई को कारण बतावल जाला। एगो तs ई कारण बा  - जब कभी बेटी चाहे बहू घर से बाहर जाली तब उनका लागी की जवन उनका हाथ में ई जवन गठरी बा उ ओकर परिवार हां औरी उनके साथे जाता अउर ओकरा परिवार के कमी ना खली। ऐहीसे का होई कि उनका लागी की हमार परिवार हमरे साथे बा औरी उनका कबो परिवार के कमी ना महसूस होई।

       दोसर कारण ई बतावल जाला की, ई जेतना चीज़ जैसे  - चाउर के कुछ दाना, हरिहर दुभी, कुछ पईसा अवरी हल्दी इनका के दिआइल बा सबके कवनो ना कवनो मतलब बोला। चावल जवना के ई मतलब होखेला की बेटी के घर में कबो भी अन्न के कमी न होखे। पईसा ई बतावेला की बेटी के घर में कबो लक्ष्मी के कमी न होखे। जवन दुभ के पतई होखेला ऊ संजीवनी के दर्शावेला। संजीवनी यानी की अमृत। अवर जवन ऊ गांठ होखेला जेईमे ऊ सब के बांधल जाला ऊ ई दर्शावेला की जवन ई बेटी होली ऊ इन सब के आपस में जोड़ के रखेली जेकरा से पूरा घर आच्छा से चलेला। अवरी जवन ई काम बातें ऊ बस घर के बहू या बेटी ही कर सकs तारीs ई पूरा ब्यौरा हां, हमनी के यहां खोइंचा के.....

Idioms, phrases, and expressions in English with their Hindi translations:


Love and Relationships

1. "Love at first sight" - पहली नज़र में प्यार (Pehli nazar mein pyaar)

2. "Fall head over heels" - पूरी तरह से प्यार में पड़ना (Puri tarah se pyaar mein padna)

3. "Tie the knot" - शादी करना (Shaadi karna)

4. "Break someone's heart" - किसी का दिल तोड़ना (Kisi ka dil todna)

5. "Lovebirds" - प्रेमी जोड़ा (Premi joda)


Friendship

1. "Best buddies" - सबसे अच्छे दोस्त (Sabse achhe dost)

2. "BFF (Best Friends Forever)" - सबसे अच्छे दोस्त हमेशा के लिए (Sabse achhe dost hamesha ke liye)

3. "Friends forever" - दोस्त हमेशा के लिए (Dost hamesha ke liye)

4. "Lend a helping hand" - मदद करना (Madad karna)

5. "Stab in the back" - पीछे से वार करना (Peechhe se vaar karna)


Success

1. "Reach new heights" - नई ऊंचाइयों को छूना (Nayi unchaiyon ko chhuna)

2. "Make it big" - बड़ा बनना (Bada banana)

3. "Achieve greatness" - महानता हासिल करना (Mahanta haasil karna)

4. "Strike gold" - सोना पाना (Sona paana)

5. "On top of the world" - दुनिया के शीर्ष पर (Duniya ke shirsh par)


Failure



1. "Hit rock bottom" - सबसे निचले स्तर पर पहुंचना (Sabse nichle star par pahunchana)

2. "Fall flat" - पूरी तरह से विफल होना (Puri tarah se viphal hona)

3. "Go bankrupt" - दिवालिया होना (Diwaliya hona)

4. "Lose the battle" - लड़ाई हारना (Ladaai haarna)

5. "Miss the boat" - अवसर चूकना (Avsar chookna)

शनिवार, 9 नवंबर 2024

फिर कब आओगे....😢

 


      अँचरा के कोर से आंखों की आंसू पोछते हुए मां बार-बार अपने बेटों की तरफ एक टक निहार रही थी कुछ बोल नहीं रही थी। दरवाजे पर ऑटो लग चुका था सामान लदा रहा था। दीपावली से लेकर छठ तक जो घर गुलजार था वीरान होने को तैयार था। एक साल के इंतजार के बाद जो बच्चे वापस अपने घर आए थे इतनी जल्दी चले जाएंगे इस बात का तनिक भी आभास मां को नहीं था। पर्व त्यौहार के धूम में अभी तो मन की बात मन ही में रह गई थी 10 साल से जो खेत बेटी के विवाह में बंधक था उसे भी तो छुड़ाना था पर बेटे को फुर्सत नहीं दोनों बेटे कहते थे छठ में आएंगे तो खेत छोडाएंगे पर आते ही जाने की हड़बड़ी है। अब यात्रा पर कैसे मां यह सब बात बोले। दोनों बहू बुदबुदा रही है आने में इतना खर्चा हो गया की तीन-चार महीने घर का बजट बिगड़ा रहेगा चार दिन के लिए कोई इतना खर्च नहीं कर सकता अगले साल से दिल्ली में ही छठ मन जाएगा। मां बेचारी चुपचाप सबकी बातों को सुन रही है बेटे जाने को तैयार है पर कभी अकेले में मां से नहीं पूछा - 

उसका दर्द!!! 

उसकी व्यथा!!! 

उसकी वेदना!!!

     मां सोच रही है कैसे इंसान बदल जाता है शहर की हवा ही खराब है या समय ही बदल गया है। छठी मैया के बहाने भले लोग गांव में लौट रहे हैं पर अब गांव में चार दिन भी रहना उन्हें गवारा नहीं।


      यह कहानी किसी एक परिवार की नहीं बल्कि बिहार की उन लाखों करोड़ों परिवारों की है। नजदीक से दर्द देखने के बाद आत्मा कराह उठती है। जो माता-पिता अपना सब कुछ अपने बच्चों के लिए समर्पित कर देते हैं उनके बच्चों की नजर में मां-बाप गांव घर का कोई मूल्य नहीं सब कुछ बेकार लगता है बात-बात पर बच्चे बोलते हैं कि यहां क्या रखा है चलिए शहर में पर उन्हें कहां पता इस शरीर से आत्मा निकल जाए तो शरीर लाश हो जाती है.......


अनूप✍🏻

बुधवार, 6 नवंबर 2024

छठ पूजा (Chhath Puja)

छठ पूजा

      छठ!!! कइसे बताईं कि का ह कवनो घर के ई केवाड़ी ना ह, कि खोल के देखा दी। ई छुपावे वाला भी ना हऽ कि परदा उठा के देखा दी।


ई त भाव हऽ, माई के प्रति अपना बच्चा के। 

ई त प्रेम अउर श्रद्धा हऽ, आराध्य के प्रति आपन भक्त के। 


    जानतानी!!! जब कार्तिक माह में, छठ के गीत सुनाला, त देहि के एक-एक रोवा हर्षित अउरी पुलकित हो जाला। कबो-कबो तो अनासे आंखों भर जाला। जब पोखरा, ताल, तलईया, नदी सब जगह साफ-सफाई होखे लागेला, त अइसन लागेला कि साक्षात माई लक्ष्मी, छठ माई के दर्शन करे खातीर धरती पर आवतारी।


      जब आंगन में, छत पर, डाढ़ा पर कौवा बोले लागेला, तब बुझा जाला कि माई खातिर दउरत केहू परदेश से आवता। का जाने कइसे ओह घरी मनवाँ में जवन मईल रहे ला नू, उहो धोवा के मन एकदम शुद्ध और पवित्र हो जाला। हरदी, अदरक, केला, सेव, नाशपाती, गागल, नारियल, अनारस, ऊखी (गन्ना), आँवला, शरीफा, अभरक, सब मिलके दउरा में अइसे सजेला जइसे सभे गर्व करत होखे कि, हम माई खातिर माई के साथे मिले जा तानी। लवंग, इलायची, छाक, पान-सोपाड़ी, कचवनिया, ठेकुआ, पूड़ी, चना सब एक दोसरा के सहयोग करत अइसन इतराले कि जइसे आज इहन लोग के ही दिन ह


       छठ माई अइसने किरपा सब जनमानस पर बनवले राखीं कि, सबके मन पवित्र, आत्मा शुद्ध, होत रहो आ सब एक साथ एक घाट पर बइठ के छठी माई अउर सुरूज नारायण स्वामी के ई महापर्व के मनावत रहो।🙏


जय छठी मईया.🙏


साभार - सोशल मीडिया


Chhath Puja


       How can I tell you what Chhath is? It is not the door of a house that will be opened. It is not even going to hide that it will lift the veil. 


It is the feeling, of the mother to her child. 

It is the love and devotion of one's devotee to the adorable.


You know!!!, when in Kartik!!! When Chhath songs are sung, every hairs in the body becomes joyful and ecstatic. Sometimes my eyes are filled with tears. When ponds, lakes, rivers everywhere starts to be cleaned, it feels like Goddess Lakshmi is coming to earth to see Chhath Maai.


      When the crow starts crowing in the courtyard, on the roof, on the tree, it is understood that someone is coming from abroad running for his mother. I don't know how the dirt in the mind at that time is washed away and the mind becomes completely pure and holy. Turmeric, ginger, banana, apple, pear, Gagal, coconut pomegranate, Ookhi (sugarcane), awara, sharifa, abharak, all fruits together decorate the daura as if everyone is proud that, I am going to meet Chhath Maai. Cloves, cardamom, chhak, pan-sopadi, kachwania, Thekua, pudi, gram all cooperate with each other as if today is their day.

     May Chhath Maai keep such grace on all the people that, everyone's minds are holy, souls are pure, and all sit together at one ghat and celebrate this great festival of Chhath Maai and Suruj Narayan Swami.🙏


Jai Chhath Maiya.🙏


Source: Social Media