अपनी निगाहों से ऐसे इशारा ना कीजिये।
सरेआम हमको यूं निहारा न कीजिये।।
मानते हैं हम हैं थोड़े बेफिक्र से।
बार-बार यूं हमें उकसाया ना कीजिये।।
ज़िंदगी का बसर नामुमकिन है आप बिन।
यूँ मझधार में मुझको किनारा न कीजिये ।।
जिसे फूल जैसी नज़र कर दे घायल।
उसे ईंट पत्थर से मारा न कीजिये ।।
लुटा दो भले आप जागीर सारी।
मगर दिल मुहब्बत में हारा न कीजिये ।।
चुभने लगे जिंदगी में जब कुछ रिश्ते।
गुजारिश है उसको पुकारा न कीजिये ।।
बने होंगे जो तेरे लिये वह आएंगे एक दिन।
मोहब्बत से यूं रोज बुलाया ना कीजिए ।।
विश्वजीत कुमार ✍🏻
बहुत अच्छा लगा दोस्त 🙏
जवाब देंहटाएंशानदार
जवाब देंहटाएं