सोमवार, 30 दिसंबर 2024

अपनी निगाहों से ऐसे इशारा ना कीजिये...


अपनी निगाहों से ऐसे इशारा ना कीजिये।

सरेआम हमको यूं निहारा न कीजिये।।


मानते हैं हम हैं थोड़े बेफिक्र से।

बार-बार यूं हमें उकसाया ना कीजिये।।


ज़िंदगी का बसर नामुमकिन है आप बिन।

यूँ मझधार में मुझको किनारा न कीजिये ।।


जिसे फूल जैसी नज़र कर दे घायल। 

उसे ईंट पत्थर से मारा न कीजिये ।।


लुटा दो भले आप जागीर सारी। 

मगर दिल मुहब्बत में हारा न कीजिये ।।


चुभने लगे जिंदगी में जब कुछ रिश्ते। 

गुजारिश है उसको पुकारा न कीजिये ।।


बने होंगे जो तेरे लिये वह आएंगे एक दिन।

 मोहब्बत से यूं रोज बुलाया ना कीजिए ।।


 विश्वजीत कुमार ✍🏻

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