"अच्छा सुनो, जब पति-पत्नी का सात जन्मों का साथ होता है, तो क्या मरने के बाद स्वर्ग में भी दोनों साथ-साथ रहते होंगे?" हम एक शादी में गए थे। वहां फेरों पर पंडित जी श्लोक के साथ-साथ पति-पत्नी के अटूट बंधन की कथा भी कहते जा रहे थे। मेरे मन में अचानक से यह प्रश्न उठा। मैंने पास ऊंघ रहे पति के कान में फुसफुसा कर पूछा लिया। पति ऐसे चौंके जैसे उन्हें कोई 'शॉक' (अंग्रेजी वाला) लगा। "क्या कहती हो, जान! मरने के बाद भी साथ रहोगी क्या? तब भी पीछा नहीं छोड़ोगी?" "अरे! मैं थोड़ी न कह रही हूं। ये पंडित जी ही कह रहे हैं कि सात जन्मों का साथ है पति-पत्नी का। क्यों पंडित जी?" मैंने भी सोचा इनकी क्लास लगवा ही दी जाए।
पंडित जी ने मंत्रोच्चार से एक ब्रेक लेते हुए उत्तर दिया, "जी श्रीमान, पति पत्नी का संबंध अटूट होता है। स्वर्ग-नरक सब साथ-साथ ही भोगने होते हैं। बीच में इंटरवल थोड़ी ही होता है कि कुछ देर बाहर के नजारे देख आए।" उनकी इस बात पर सबकी हंसी छूट गई। शादी-ब्याह में ऐसी छोटी-मोटी फुलझड़ियां चलती ही रहती हैं। पति ने लंबी सी उबासी ली और बड़े अनमने ढंग से कहा, "तो फिर अगर पति-पत्नी मरने के बाद साथ रहते होंगे तो उसे स्वर्ग नहीं कहते होंगे।" पति की चुटकी पर वहां उपस्थित पूरा पति समाज ठहाके लगाकर हंस पड़ा। "सही बात है। अगर स्वर्ग में भी पत्नी के साथ ही रहना हो तो भैया हमें नरक में ही भेज देना।" बगल में खड़े मौसा जी ने एक आंख दबाकर चुटकी ली। हम पत्नियों का पलड़ा नीचे झुका जा रहा था।
अब हम पत्नी समाज के सब सदस्य एक दूसरे का मुंह ताकने लगे, लेकिन हम हार तो हर्गिज नहीं मान सकते थे। मुझे खुराफात सूझी, मैंने कहा, "अच्छा सुना तो मैंने ये भी है कि स्वर्ग में पुरुष को अप्सराएं मिलतीं हैं। क्यों जी, ये बात सही है क्या?" "हां हां... मिलती ही होगी। क्यों नहीं मिलेंगी? शादीशुदा पति जिंदगी भर इतना सब्र रखे तो उसे कुछ तो पुरस्कार मिलना ही चाहिए।" पति अब पूरे रंग में आ चुके थे। पति समाज के सदस्य खींसे निपोर कर अपनी-अपनी पत्नियों को मुंह चिढ़ा रहे थे। "अच्छा... अब सारी बात मेरी समझ में आ गई !" मैंने शरारत से कहा। "क्या समझ आ गया?" पति ने पूछा। आखिर पति हैं मेरे, कुछ-कुछ उन्हें लगा कि मेरे दिमाग में एक लॉजिक पक चुका था। "यही कि पति-पत्नी स्वर्ग में ही साथ रहते हैं और पतियों को अप्सरायें मिलतीं हैं वहां।" मैंने कहा। "चलो मान तो लिया तुमने। वरना आजकल की पत्नियां कहां आसानी से कोई बात मानती हैं।" पति बड़ी कुटिलता से मुस्कुरा रहे थे और कल्पना में गोते लगाने लगे थे कि वो अप्सरा के संग हैं और पत्नी सामने खड़ी कुढ़ रही है।
"अरे मानना ही था। तुम्हारी कोई भी बात आजतक गलत निकली है क्या?" मैंने मंद-मंद मुस्काते हुए कहा। पति ने अपनी शर्ट का कॉलर ऊंचा कर लिया। "अच्छा सुनो, सभी पति-पत्नी स्वर्ग में साथ रहते है, इसका मतलब यह हुआ कि वो जो अप्सराएं होतीं है न, वो अपनी नहीं दरअसल दूसरों की पत्नियां होती हैं। एक्सचेंज ऑफर यू नो।" मैंने अदा के साथ कहा तो पति समाज बगलें झांकने लगा। उनसे कोई उत्तर देते न बना। मैंने जले पर और नमक छिड़का। "बढ़िया कपल डांस चलता है वहां और जानते हो बैकग्राउंड में गीत कौन सा चलता है?" शास्त्रार्थ जीतने की मुस्कान मेरे चेहरे पर फैलने लगी थी। कौन सा? " मेरे पति का मुंह उतरने लगा था।" "तू प्यार है किसी और का तुझे चाहता कोई और है।" मैंने एक आंख दबा दी। अबकी बार ठहाके की बारी किसकी थी आप समझ ही सकते हैं।
ट्विंकल तोमर सिंह शिक्षिका, लखनऊ✍🏻

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