बुधवार, 22 अक्टूबर 2025

छठ पूजा के कहानी : सुरुज भगवान के भक्तिपूर्वक पूजा-पाठ.


         छठ पूजा भारत के एगो पुण्य एवं धार्मिक पर्व ह। एह उत्सव के दौरान बहुत संख्या में भक्त लोग सूर्य देवता आ उनकर जीवनसाथी (मेहरारू) उषा, जेकरा के भोर आ सांझ (Morning & Evening) के देवी के रूप में पूजा कईल जाला। सब लोग ई पूजा में आपन परिवार के सब बेंकत (Member) के भलाई खातिर आशीर्वाद माँगेला आ जीवन चलावें वाला ऊर्जा के खातिर आभार व्यक्त करेला। एह मौका पर सब परिवार एकजुट होके छठी मइया के पूजा संस्कार में लाग जाला, आ एके संगे समय बितावेला। अनुशासन के प्रयोग, आपन मन के साफ-सफ़ाई, आ भगवान खातिर आपन समय देबे के ई सही समय होला। आईं छठ पूजा, एकर कहानी, संस्कार, औरी महत्व आदि के बारे में विस्तार से जानल जावं।


छठ पूजा के कहानी

बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, अवरी नेपाल के कुछ हिस्सा में छठ पूजा खूब धुम-धाम से मनावल जाला। लेकिन आज ऐह सब राज्य के अलावे भी भारत ही ना विदेशन में भी आज ई त्यौहार मनावल जाता। एकरा से कई गो लोकप्रिय कहानी भी जुड़ल बाड़ी सनऽ। सबसे पहिले हम बात करऽ तानी छठ पूजा के महाभारत से जुड़ाव के बारे में...


महाभारत से जुड़ाव 

    छठ पूजा के उत्पत्ति से जुड़ल एगो लोकप्रिय लोककथा महाभारत में मिले ला। एह कहानी के मुताबिक वनवास के समय में द्रौपदी औरी पांडव के बेहद गरीबी औरी कष्ट के सामना करे के पड़ल। धौम्या ऋषि (पांडव के राज पुरोहित आ धार्मिक मार्गदर्शक) सलाह देहनी कि सूर्य देवता के पूजा कइला से तारा लोग के सब समस्या से मुक्ति मिल जाई आ आपन खोवल राज्य भी वापस आ जाई। ओकरा बाद द्रौपदी ईमानदारी से छठ पूजा कइली औरी सूर्य भगवान के सुबेरे औरी साझी के अर्ध्य दिहली। एकरा से पांडव के समस्या के समाधान हो गईल। एहमें भगवान सूरज के ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता आ सम्मान के महत्व के भी रेखांकित कइल गइल बा।


भगवान राम औरी सीता के लोक कथा

एह लोककथा के अनुसार, भगवान राम, सीता, आ लक्ष्मण 14 साल वनवास में बितवले। राक्षस राजा रावण के हरा के उ लोग अयोध्या वापस आ गईले। काहे से की रावण एगो ब्राह्मण रहे ओहि से ब्राह्मण के वध से मुक्ति पावें खातीर राम जी के एगो राजयज्ञ करे के सलाह मिलल। तब, राम जी ब्रह्महत्या मुक्ति यज्ञ के आयोजन कईनी। ओही बेड़ा देवी सीता भी व्रत रखली आ छठी मईया आ सूर्य के पूजा कइली। दुनु जाना मिल के डूबत आ उगत सूरज के अर्घ्य चढ़ावलो

इहो याद राखल जाओ, कि वनवास के समय सूर्य भगवान राम आ सीता के बुद्धि आ बल के इनाम देले रहले, जवना से उ लोग सब कठिनाई के सहन करे में सक्षम हो गईल लो। त, आपन देवता के प्रति आपन आभार व्यक्त करे खातिर दुनु जाना मिल के ओ बेड़ा जवन फल, औरी पारंपरिक मिठाई मिलल, ओकरे से ही पूजा कईल लो। इहे रिवाज आज ले चलत बा।


कर्ण के कहानी : जे सूर्य भगवान के भक्त रहले

एगो औरी लोककथा के अनुसार, भगवान सूर्य आ कुंती के पुत्र कर्ण महाभारत में एगो वीर योद्धा रहले। उ सूर्य देव के प्रति बहुत भक्ति खातिर प्रसिद्ध रहले। देवता से रक्षा औरी अजेयता के आशीर्वाद लेवे खातिर उ अपार तपस्या कईले। कर्ण, व्रत रख के एगो नदी के किनारे छठ पूजा कईले। उनकर भक्ति से प्रसन्न होके सूर्य देवता कर्ण के विशेष शक्ति दिहले। हालांकि उनकर जिनगी बहुते बुरा तरह से खतम हो गइल बाकिर सूर्य देवता के प्रति उनकर भक्ति के सराहना आजो कइल जाला। महाभारत में इहो लिखल बा की भगवान सूर्य औरी माता कुंती के लईका कर्ण रहले।  


छठी मईया : छठ पूजा के देवी

छठ पूजा के समय भक्त लोग छठी मईया जिनका के प्रजनन आ मातृशक्ति के देवी के रूप में भी पूजा कईल जाला। बिहार अवुरी पूर्वी उत्तर प्रदेश के स्थानीय लोककथा के मुताबिक छठी मईया के पूजा कईला से उनका लोग के स्वस्थ गर्भधारण में माई के आशीर्वाद मिलेला। एकरा से परिवार में समृद्धि भी आवेला औरी सब के निमन स्वास्थ्य सुनिश्चित भी होखेला।


छठ पूजा संस्कार 

छठी मईया के भक्त लोग बहुत श्रद्धा आ अनुशासन से छठ पूजा करेला। ई परब चार दिन ले चले ला। आई ओकरा बारे में विस्तार से जानल जावं :

छठ पूजा के पहिला दिन (नाहाय खाय) 

छठ पूजा के पहिला दिन भक्त लोग साफ पानी के स्रोत जइसे की कवनो नदी, पोखड़ा, नहर में नहा के अपना के शुद्ध करेला। पूजा के समय देवता के चढ़ावे खातिर पुण्य भोजन के सामान तैयार करेलालो औरी बिना लहसुन प्याज के लौकी के तरकारी औरी भात बना के खा के उपवास शुरू होला।

छठ पूजा के दूसरा दिन (खरना)

सूर्यास्त के बाद भक्त लोग आपन व्रत तोड़ेला। इ लोग सूर्य देव औरी छठी मईया के प्रतीकात्मक प्रसाद के रूप में पुण्य भोजन के सेवन करेला। पुण्य भोजन परिवार के सब सदस्य में भी बांटल जाला। एकरा के कृतज्ञता के प्रतीक मानल जाला। प्रसाद के रूप में रसिआव, रोटी औरी कुछ फल रहेला। 

छठ पूजा के तीसरा दिन (सांझ का अर्ध्य)

एह दिन श्रद्धालु लोग उपवास करत रहेला आ डूबत सूरज के विशेष प्रार्थना करेला। परिवार, दोस्त, रिश्तेदार, आ समुदाय के सब जाना कवनो पानी के स्रोत या नदी के किनारे एकट्ठा हो के बांस के टोकरी (सूप) में सूर्य भगवान के अर्ध्य चढ़ावेला। एक बेर शाम के पूजा खतम होखला के बाद सूरज के डूबे के इंतजार करे लालो औरी सभे जन के भलाई के खातीर छठी मईया से प्रार्थना करे लालो औरी एही दिने रात में सबका घरे कोशी भराला, फेर ओही कोशी के लेके भोर में घाट पर ले जा के फेन से उ प्रक्रिया के दुबारा कईल जाला।   

छठ पूजा के चौथा दिन/अंतिम दिन (उषा अर्घ्य)।

छठ पूजा के आखिरी दिन, एह दिन भक्त लोग सबेरे-सबेरे पानी में खड़ा होके उगत सूर्य के प्रार्थना करेला। भगवान सूर्य के अर्घ्य (जल, फल, आ फूल के विधिवत अर्पण) चढ़ावल जाला, मंत्र के जाप कईल जाला। सब परिवार आपन देवता के प्रति आभार व्यक्त करेला। अर्घ्य चढ़ते ही भक्त लोग आपन व्रत तोड़ेला, आ उत्सव शुरू हो जाला।


छठ पूजा के महत्व

छठ पूजा में पर्यावरण आ प्रकृति के सम्मान करे के विचार के बढ़ावा मिले ला। एह मौका पर सूरज देवता के पूजा कइला से व्यक्ति के कई तरीका से फायदा होला।


सूर्य भगवान के भक्ति

सूर्य देवता स्वास्थ्य आ जीवन शक्ति के प्रतीक हवे। एह मौका पर उनकर पूजा कइला से लोग के उनकर दिव्य आशीर्वाद सुस्वास्थ्य, धन आ समृद्ध जीवन के रूप में मिले ला।


आध्यात्मिक सफाई के काम होला

छठ पूजा के संस्कार/भुखला से आत्मा आ मन के शुद्धि हो सकेला। भक्त लोग नदी या झील में नहा के उपवास करेला आ पूरा भक्ति से देवता से प्रार्थना करेला। ई सब गतिविधि ओह लोग के अध्यात्म के नया ऊंचाई पर ले जाला।


ई पर्व सब लोग के एक साथ ले आवेला 

छठ पूजा परिवार आ समुदाय के एकजुट होखे, एक संगे देवता से प्रार्थना करे, आ परब मनावे के सबसे बढ़िया समय हां। एहसे ओह लोग के रिश्ता मजबूत हो जाला।


एगो पूरा करे वाला छठ पूजा के टिप्स

त्योहार के सही तरीका से मनावे खातिर एह सिफारिश के रउवा सभे पालन करीं : 


जल्दी सबकुछ तइयारी कर लीं

छठ पूजा के तइयारी कुछ दिन पहिले से शुरू कर दीं, आपन सुविधा के हिसाब से, पूजा के जरुरी सब सामान जइसे कि टोकरी, फल आदि खरीदीं पुण्य भोजन के सामान परम सावधानी से तैयार करीं। 


मानसिक रूप से तइयार रहे के चाहीं 

याद रखीं कि छठ पूजा में सूरज देवता औरी छठी मईया के प्रार्थना कइल जाला। पानी में खड़ा होखल, आ लमहर व्रत ई होला। एह संस्कारन खातिर अपना के तइयार करीं. एह से रउरा एह मौका के बहुते भक्ति से आ बिना कवनो दिक्कत के मनावे में मदद मिली। 


आपन घर औरी आसपास के सफाई करीं

याद रखी कि छठ पूजा में साफ-सफाई के बहुत महत्व बा। एही से आपन घर, आसपास, आ नदी के किनारे के साफ करीं। पूजा खातिर सही जगह चुनीं। अगर नदी ना जा पाईं त पास के इलाका में पूजा खातिर अस्थायी पानी के स्रोत बनाईं, साफ-सुथरा पोखरा भी पूजा खातिर उपयुक्त बा।


एगो अंतिम बात

छठ पूजा एगो मशहूर परब हऽ जवना में जीवन, प्रकृति, ऊर्जा, आ सूरज देवता के मनावल जाला। एह दिन लोग परिवार के साथे मिल के संस्कार में भाग लेला, पुण्य भोजन आ अभिवादन साझा करेला, प्रियजन से मिले जाला, आ लंबा समय तक चले वाला छाप छोड़ेला। रउआ सभे बहुत श्रद्धा से छठ पूजा 2025 मनाईं, समृद्ध आ पूर्ण जीवन खातिर सूर्य भगवान आ छठी मईया से आशीर्वाद मांगी। 

सब लोग के छठ पूजा के हार्दिक शुभकामना।🙏

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