सोमवार, 6 मार्च 2023

वही रही.... (Remained the same)


Photo Credit - Sidharth Sir.


मैं सर झुका के शहर में चलने लगा,

मगर मेरे मुख़ालिफ़ीन में दहशत वही रही।


जो कुछ मिला था माले गनीमत में लुट गया,

मेहनत से जो कमाई थी दौलत वही रही।



कदमों में लाके डाल दी सब नेमतें मगर,

सौतेली मां को बच्चे से नफरत वही रही।



गांव से भेजी है माँ ने जो रोटियां,

बासी भी हो गई पर लज्जत वही रही।



कविता में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ :-

मुख़ालिफ़ीन :- विरोध करनेवाले, विरोधी गण, दुश्मन लोग
लज्जत :- लज़ीज़ होने का भाव, ज़ायका, स्वाद।
नेमत :- दुआ, आशीर्वाद।
माले गनीमत :- दुश्मन का माल जो लड़ाई में हाथ आए, युद्ध में शत्रु के देश से लूटा हुआ माल।

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