शुक्रवार, 31 मार्च 2023

चइता के तान..

 


गम गम गमके बधरिया हो रामा, चइत महीनवा !!! 

भावे नहीं गँउवा शहरिया हो रामा, चइत महीनवा !!! 


आमवा मोजरिया मउरिया के शोभा 

मधुआ  चूसेला  रस  मातल लोभा 

लुकि छिपि बोले कोइलरिया हो रामा, चइत महीनवा !!! 


फुलवा फुलइलें सभ बजिया लगाके 

गंधवा उड़ावे सभ धधा के अगराके 

गमकि उठल भोरहरिया हो रामा, चइत महीनवा  !!! 


देह सिहरावे भोरे भोरे के बयरिया 

बिरह में तड़पे बलमुआ के गोरिया 

अंगे-अंगे उठेला लहरिया हो रामा, चइत महीनवा !!!


निरमोही सँइया फगुअवा गँववलें 

पइसा के पीछे पीछे दिने राति धवलें 

माया में फँसवलस बजरिया हो रामा, चइत महीनवा !!! 


अइतें तs महुआ बिनन सँघे जइतीं 

दिलवा के बतिया उँका से बतिअइतीं 

लगितें सोहावन सेजरिया हो रामा, चइत महीनवा !!! 


कांटक बलमुआ के तनिका बोला दs

गमकत  खेतवा  बधरिया  देखा दs

बितल जाता अहहीं उमरिया हो रामा, चइत महीनवा !!!


- सुरेश कांटक✍️ 


                     

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