गुरुवार, 23 मार्च 2023

मैं बिहार हूँ.. Mai Bihar Hu...




मैं ही सीता की धरा हूँ,

विदेह जनक का देह हूँ,

मैं ही रश्मिरथी कर्ण हूँ,

गौतम ऋषि का आश्रम हूँ,

अहिल्या का कायाकल्प हूँ,

मैं अशोक का स्तम्भ हूँ,

चाणक्य की कुटिल प्रज्ञा हूँ,

लोकतंत्र की जननी वैशाली हूँ,

मैं आर्यभट्ट भी हूँ,

मैं ही तारेगना हूँ,

मैं मगध भी हूँ,

मैं पाटलिपुत्र हूँ,

नालंदा हूँ,

विक्रमशिला हूँ,

तिलका मांझी हूँ,

गुरु गोविंद सिंह हूँ,

कुँवर सिंह भी हूँ,

मैं भिखारी ठाकुर हूँ,

शिवपूजन सहाय हूं

महेन्द्र मिसिर हूँ,

मंडन मिश्र हूँ,

विद्यापति हूँ,

दिनकर हूँ,

मैं शेरशाह सूरी हूँ,

संरचनात्मक विकास की धुरी हूँ,

मैं शाद अजिमावादी भी हूँ,

खुदीराम बोस की क्रांतिकारी तरुणाई हूँ,

बिस्मिल्लाह खान की शहनाई हूँ,

संविधान सभा का सचिदानंद सिन्हा हूं

गांधी का चंपारण सत्याग्रह हूँ,

मोहनदास से महात्मा बनने का आग्रह हूँ,

मैं मंदार पर्वत हूँ,

जो गवाह है समुद्र मंथन का,

मुझे अमृत-विष का अंतर पता है,

मैं दशरथ मांझी भी हूँ,

पहाड़ मेरे इरादों से ही रास्ता हो जाता है।

पर मैं क्या सिर्फ एक भव्य इतिहास हूँ ?

मेरा वर्तमान क्या है ?

मैं राजेन्द्र प्रसाद भी हूँ,

जय प्रकाश नारायण हूँ,

रामनंदन मिश्र भी हूँ,

मैं श्रीकृष्ण सिंह हूँ,

अनुग्रह नारायण हूँ,

मैं जननायक कर्पूरी भी हूँ,

मैं कांग्रेस का भग्न किला हूँ,

समाजवाद की गीली जमीन हूँ,

साम्यवाद की उलझन हूँ,

नक्सलवाद का लहू हूँ,

अतरंगी राजनीतिक गठबंधन हूँ,

समाजवादी बिखरी धारा हूँ,

गेरुआ-हरा का मिलन हूँ।


थोड़ा लालू प्रसाद भी हूँ,

उनका राजनीतिक प्रमाद भी हूँ,

नीतीश कुमार तो हूँ ही,

उनकी राजनीति का तिलस्म हूँ,

उनका 'व्यावहारिक समाजवाद' हूँ,

बहार और बनाव का अंतर्द्वंद्व हूँ,

पर मैं सरदार पटेल भवन भी हूँ,

बापू सभागार, सभ्यता द्वार भी!


मैं एक कसक भी हूँ,

बिहार से बाहर 'अबे बिहारी' भी,

पलायित छात्र हूँ,

प्रदेश में दिहाड़ी मजदूर भी,

मैं रायसीना में सिविल सेवा का बड़ा अधिकारी भी हूँ,

देश के विकास में भागीदारी भी हूँ।


मुझमें कोई कमी नही है,

मैं कितना उर्वर हूँ,

मैं आत्मनिर्भर हूँ,

मैं बस लिट्टी-चोखा नही हूँ,

एक व्यंजन से पहचान का धोखा नही हूँ,

मैं चंपारण का अहुना हूँ,

एक स्वागतयोग्य पहुना हूँ,

मैं दरभंगा का मखाना हूँ,

उत्तर बिहार के लीची का खजाना हूँ,

मैं हाजीपुर का केला हूँ,

मैं बिहार हूँ, अलबेला हूँ,

मैं अंग का रेशम हूँ,

परेब का पीतल हूँ,

मैं उदवंतनगर का खुरमा, बेलग्रामी हूँ

पिपरा, सिलाव का खाजा हूँ,

मनेर का लड्डू हूँ,

गया का तिलकुट हूँ,

बक्सर का पापड़ी हूं

धनुरूआ, बाढ़ का लाई हूँ,

रुनी सैदपुर का बालूशाही हूँ,

रोहतास के चावल का कटोरा हूँ,

भगलपुर का कतरनी हूँ,

दिल से पुकारो तो वैतरणी हूँ।


मिथिला के छप्पन व्यंजन का थाल हूँ,

बंगाल का संस्कृति द्वार हूँ,

मैं भुला दी गयी मंजूषा हूँ,

मिथिला की अद्भुत चित्रकला हूँ,

शारदा सिन्हा का छठ गीत हूँ,

अस्ताचल गामी सूर्य को भी नमन हूँ |


सच है मैं कोसी का टूटता कछार हूँ,

बाढ़ का बरबस प्रहार हूँ,

पर मैं गंगा का उद्गार भी हूँ,

मैं अब भी बुद्ध का विचार हूँ,

क्योकि मैं बिहार हूँ...!!!


- Santosh Singh✍️


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