हाल-ए-दिल अपना बताऊँ क्या।
अपने दिल की तड़प को सुनाऊं क्या ।।
एक शख्स जो दिल में मेरे रहता है।
चीर कर दिल, उसका चेहरा दिखाऊं क्या ।।
गीत-गजलों में मैंने लिखा है उसको।
आपकी इजाजत हो तो गुनगुनाऊं क्या ।।
लिखी हैं उस पर मैंने कई किताबें फिर भी।
समझ आता नहीं तुम्हें बताऊं क्या ।।
मुझसे नफरत जो अक्सर करता है।
उस पर अब भी प्यार🥰 अपना जताऊं क्या ।।
जान लेना चाहता हैं जो मेरा।
उसके करतूतों को गिनाऊं क्या ।।
दुश्मन बन बैठा है जो मेरा ।
अब भी अपना उसे बताऊं क्या ।।
कुछ भी कहो, इश्क था वो मेरा ।
उसके बिना भी, जीकर दिखाऊँ क्या ।।
विश्वजीत कुमार✍🏻
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