शुक्रवार, 17 नवंबर 2023

जिसके लिए तैयार की थी, मैंने ख्वाहिशों का ताजमहल।



कर देना मुझे माफ🙏 

मैं तुम्हे प्यार🥰 नहीं कर पाऊंगा। 

तेरे दामन को मैं, शायद!!! 

खुशियों से नहीं भर पाऊंगा।।


मैं कितना अकेला हूं इस दुनिया में,

अब ये तुमको कैसे समझाऊं। 

तुमको पाने के लिए इस दुनिया से, 

शायद नहीं लड़ पाउँगा।।


लो अब मैं तुमसे दूर जा रहा हूं,

ख्वाब समझ कर तुम मुझे भुला देना।

रह गया यदि पास तो मै,

अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा ।।


मानता हूँ मुजरिम हूँ तेरा,

तुम जो चाहे सजा मुझे दे सकते हो

लेकिन ये बात भी सत्य है,

किये गये तुमसे सारे वादे मैं पूरे नहीं कर पाऊंगा ।।


रह-रह कर एक टीस, 

मेरे दिल में उठती है....

....अफसोस बना दुल्हन तुझको, 

तेरी मांग नहीं भर पाऊंगा।।


मेरे दिल में ये खलिश ताउम्र सतायेगी, 

सब कुछ बिखर गया वो कैसे।

जो कभी मेरा हमसफर था,

इस सत्य से भी कभी मैं मुखर नहीं पाउँगा।।



जिसके लिए तैयार की थी,

मैंने ख्वाहिशों का ताजमहल।

उसके बिना जिंदा तो हूं,

पर चैन से मर नहीं पाऊंगा।।


विश्वजीत कुमार 



ख़लिश का अर्थ -चुभन, कसक।

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