गुरुवार, 28 सितंबर 2023

अभी तो गुमनाम हूँ, मशहूर भी हो जाऊंगा।



अभी तो गुमनाम हूँ,

मशहूर भी हो जाऊंगा।

तेरी नज़रों से मैं तो,

इतनी दूर हो जाऊँगा।।


आवाज़ तो तुम दोगे लेकिन,

अफ़सोस वह मुझे न रिझा पाएगा।

दृष्टि से मैं तेरी,

ओझल हो जाऊँगा ।।


अभी भी कहता हूँ,

हाथ थाम लो फिर से मेरा।

डर है की इस भीड़ में दुनिया की,

मैं कही खो जाऊँगा।।


देख लेना बहुत पछताओगे,

तुम भी उस दिन।

जिस दिन मैं फिर,

कभी तेरे हाथ नहीं आऊँगा।।


कसम है मुझको,

मेरी नाकाम मोहब्बत❣️ की।

न कभी याद करूँगा,

न याद आऊँगा ।।


 तुम याद करोगे,

उस पल को बारंबार।

जब एक पल के लिये भी,

तुमसे ना मिल पाउँगा।


तुम्हारे कलेज़े💖 को सुकून मिले,

शायद उस दिन।

जब मेरी कमी पुरी करने को,

तुम्हारी जिंदगी में कोई तो आयेगा।


मेरा क्या???

मैं तो यूँ ही बढ़ते जाऊँगा।

नई राहो पर नई मंजिले,

हासिल करता जाऊँगा।।


लेकिन अब.....


बहुत उकता गया हूँ,

इस भागदौड़ भरी जिंदगी से।

लगता है मुझे मर्ग की नींद में

अब सो😴 जाऊँगा।।


मर्ग (स्त्रीलिंग) - मृत्यु।


विश्वजीत कुमार ✍️



2 टिप्‍पणियां:

  1. जुगनुयों की तरह अंधेरे में
    टिमटिमाना आपसे सीखा है
    थम जाएं जो गर कदम
    तो राही सा पग बढ़ाना आपसे सीखा है
    फिर कैसे मर्ग की नींद में सो जायेंगे आप
    मुश्किलों में भी तो मुस्कुराना आपकी
    लेखनी से सीखा है

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  2. मर्ग की नींद क्यों, जब हौसला हो कि

    मैं तो यूँ ही बढ़ते जाऊँगा।

    नई राहो पर नई मंजिले,

    हासिल करता जाऊँगा।।

    ये हौसला बरकरार रहना चाहिए 🙏

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