रविवार, 24 सितंबर 2023

बेटियां।



ओस की बूंदों सी होती हैं बेटियां,
ज़रा भी दर्द हो तो रोती हैं बेटियां।

आरे!!! रौशन करेगा बेटा तो एक ही कुल को,
दो-दो कुलो की लाज़ को ढोती हैं बेटियां।


काँटों की राह पर यह खुद ही चलती हैं,
औरों के लिए तो फूल🪷 सी होती हैं बेटियां।

बोये जाते हैं बेटे,
उग आती हैं बेटियां।

खाद-पानी डाले जाते हैं बेटों में,
और लहलहाती हैं बेटियां।

ऊंचाइयों तक ठेले जाते हैं बेटे,
और चढ़ जाती हैं बेटियां।

रुलाते हैं बेटे,
हँसाती हैं बेटियां।

कई तरह से गिराते हैं बेटे,
संभाल लेती हैं बेटियां।

विधि का विधान है,
दुनिया के लिए सर्वोत्तम उपहार🎁 है।


फिर भी बेटो की चाह में क्यू,
कोख में ही मार दी जाती हैं बेटियां।


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