मेरी ही चाह में रही शायद कमी होगी।
तभी तो ये नब्ज-ए-मुहब्बत🥰 थमी होगी ।।
यूँ ही नहीं बदलता कोई आशियां अपना।
शायद किसी अमीर के दौलत💎 की सरजमीं होगी।।
कलम✍️ से जिसकी निकलती हैं गमों की नदियां😭।
जरूर उसने जिल्लतें बहुत सही होंगी ।।
जिसका हर एक शेर जिंदगी को जहर कहता है।
बहुत ही सोच के उसने कोई ग़ज़ल लिखी होंगी ।।
मैं तो था बिल्कुल गलत ये कुबूल करता हूँ।
मेरे दिल❤️ को है भरोसा कि वो सही होगी ।।
तमाम उम्र जिसे बद्दुआ सी लगती है।
उसके संग जिंदगी ने ज्यादती करी होगी।।
जहां पे हैं गमों के अब भी दस्तखत।
वर्षों तक अश्रुओं की गंगा वहां बही होगी।।
मैं तो थक गया हूं तुम्हें मना कर।
ख़ुदा जाने तुम्हारे दिल में क़्या ख्वाइशे होगी।।
जा रहा हूं मुझे रोकना मत।
नहीं तो हमारी कहानी फिर से जवाँ होगी।।
यूं ही चलने दो अपनी कहानीयां, छिपाओं मत।
शायद!!! किसी महफिल में इसे गुनगुनानी होगी।।
मेरी ही चाह में रही शायद कमी होगी।
तभी तो ये नब्ज-ए-मुहब्बत🥰 थमी होगी ।।
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