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कभी ख्याल हो,
और कभी, सवाल हो तुम।
ख़ुदा जाने,
करिश्मा हो, या कमाल हो तुम।
फ़िजा की महक हो,
बसंत हो, बहार हो तुम।
या पिघलते हुए सोने का
"शबाब" हो तुम।
गुलाब हो, चमेली हो,
या हिजाब हो तुम।
या सुलगती हुई,
शम्मा की महताब हो तुम।
कभी शबनम, कभी "फुहार",
कभी वर्षा हो तुम।
कभी रेशम, कभी गुलशन
जलाल हो तुम।
सुनहरी धूप हो, चांदनी हो,
शबे-बरात हो तुम।
महक हो इत्र की, जन्नत हो,
एक ताज हो तुम।
SUDHIR✍️
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