बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

देखा न फिर खुशी से, मैने कभी खुशी को।



देखा न फिर खुशी से,

मैने कभी खुशी को।

दिल जबसे तुमसे बिछड़ा,

फिर ना मिला किसी को।।


खुशियों के काफ़िले की,

हमको नहीं जरूरत।

काफी है दर्द ही इक,

होंठों की इन हँसी को।।


दुनियां जहान के सारे ग़म,

लाके मुझको दे दो।

जो भी मिलेगा वो कम ही होगा,

इस मेरी ज़िंदगी को।।


माना कि हम हैं प्यासे,

पर दरिया🌊 क्या करेंगे।

वो एक बूंद💧 ही बहुत है,

इस मेरी तिश्नगी को।।


जलता रहे दिया🪔 इक,

ईमान का जो दिल💝 में।

फिर और चाहिए क्या,

इस बन्दगी को।।

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