ऐतना बड़का शहर में... ई किराया के मकान में...
अपने सब-कुछ सहीलाs
कबो आईबs तs बताइब ऐ माई,
हम कइसे एहिजा रहीला।
रोज उठते भिनसारे ही हम खाना बना लीहिला,
सांझ के थाकल-हारल आ के...
बचल-खुचल कुछ खा लीहिला।
जिंदगी के सुख-दुख अब केहू से ना कहींला,
कबो आईबs तs बताइब ऐ माई,
हम कइसे एहिजा रहीला।
जब से भइली परदेसी गांवे दो-चारे दिन खातिर आईला,
अपने घर में ऐ माई हम मेहमान बन के जाईला।
कबो आईबs तs बताइब ऐ माई,
हम कइसे एहिजा रहीला।
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इतने बड़े शहर में... इस किराए के मकान में...
सब-कुछ हम स्वयं से सहते हैं।
कभी आएंगे तो बताएंगे ऐ माँ,
हम कैसे यहां रहते हैं।
रोज सुबह उठते ही खाना बना लेते हैं।
शाम को थक-हार कर आकर
कुछ बचा हुआ खा लेते हैं।
जिंदगी के सुख-दुख को किसी से भी नहीं कहते।
कभी आएंगे तो बताएंगे ऐ माँ,
हम कैसे यहां रहते हैं।
जब से बाहर रहने लगे गांव में,
दो-चार दिन के लिए ही आते हैं।
अपने घर में ही हम मेहमान बन जाते हैं।
कभी आएंगे तो बताएंगे ऐ माँ,
हम कैसे यहां रहते हैं।
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In such a big city... in this rented house...
We bear everything by ourselves.
If we ever come, I will tell, O mother,
How we live here.
We cook food every morning as soon as we wake up.
come tired in the evening
Some eat the leftovers.
The happiness and sorrows of life are not told to anyone.
If we ever come, I will tell, O mother,
how we live here
Ever since he started living outside, he goes to the village only for two-four days.
We become guests in our own house.
If we ever come, I will tell, O mother,
How we live here.
Credits :- Social Media
Bahut sunder sir
जवाब देंहटाएंBahut khub ... Isliye ab jarurat aa gayi hai jab sab kuchh akele nahi jivansathi ke sath bitane ka . tab sare dukh dur ho jayenge mitr.
जवाब देंहटाएंRight
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंVery good 👍
जवाब देंहटाएंBahut khub Bhaiya
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