हमारे इंतजार पर कुछ यूं विराम लग जायें,
जो तुम आओ राधा सी तो, हम घनश्याम हो जायें।
मिले हम मथुरा, वृन्दावन के वनों में,
राधा-कृष्ण की तरह हमारी जोड़ी बेमिसाल हो जायें।
हमारे इंतजार पर कुछ यूं...
तप करो तुम पार्वती सी,
हम तुम्हारे लियें भोले-नाथ हो जायें।
स्वर्ग बने हमारा ये प्यारा कैलाश,
खुशियों की पूरी सौगात हो जायें।
हमारे इंतजार पर कुछ यूं...
अयोध्या सी पावन नगरी हो हमारी,
राम-सीता की तरह हम महान हो जायें।
लव-कुश की भांति संताने हो हमारी,
जग में ऊंचा हमारा नाम हो जायें।
हमारे इंतजार पर कुछ यूं...
गंगा सा पावन मन रहे तुम्हारा,
भागीरथी जैसे मेरे कार्य हो जायें।
ना तुम रूठो मुझसे ना मैं तुम से रुठू,
जीवन पर्यंत यही कर्म हमारे नाम हो जायें।
हमारे इंतजार पर कुछ यूं विराम लग जायें,
जो तुम आओ कुंभ सी तो हम प्रयागराज हो जायें।
स्नान करके इस पावन जलधारा में,
जीवन पर्यंत एक दूसरे के एकाकार हो जायें।
हमारे इंतजार पर कुछ यूं विराम लग जायें,
जो तुम आओ राधा सी तो हम घनश्याम हो जायें।
विश्वजीत कुमार ✍🏻
Nice sir
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंBest poem sir
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंलगता है इस साल भईया
जवाब देंहटाएंगृहहस्त आश्रम मे प्रवेश कर जाएगे
बहुत ही सुंदर 🙏 सर जी 😊 ❤️ 👍
जवाब देंहटाएंBahut khub dost. .. Very nice
जवाब देंहटाएंSo Romantic
जवाब देंहटाएंBahut badhiya
जवाब देंहटाएंAwesome 👍
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर कविता गुरूजी 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
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