बुधवार, 12 मार्च 2025

हमारे इंतजार पर कुछ यूं विराम लग जायें...



हमारे इंतजार पर कुछ यूं विराम लग जायें,

जो तुम आओ राधा सी तो, हम घनश्याम हो जायें।


मिले हम मथुरा, वृन्दावन के वनों में,

राधा-कृष्ण की तरह हमारी जोड़ी बेमिसाल हो जायें।


हमारे इंतजार पर कुछ यूं...


तप करो तुम पार्वती सी,

हम तुम्हारे लियें भोले-नाथ हो जायें।


स्वर्ग बने हमारा ये प्यारा कैलाश,

खुशियों की पूरी सौगात हो जायें।


हमारे इंतजार पर कुछ यूं...


अयोध्या सी पावन नगरी हो हमारी,

राम-सीता की तरह हम महान हो जायें।


लव-कुश की भांति संताने हो हमारी,

जग में ऊंचा हमारा नाम हो जायें।


हमारे इंतजार पर कुछ यूं...


गंगा सा पावन मन रहे तुम्हारा,

भागीरथी जैसे मेरे कार्य हो जायें।


ना तुम रूठो मुझसे ना मैं तुम से रुठू,

जीवन पर्यंत यही कर्म हमारे नाम हो जायें।


हमारे इंतजार पर कुछ यूं विराम लग जायें,

जो तुम आओ कुंभ सी तो हम प्रयागराज हो जायें।


स्नान करके इस पावन जलधारा में,

जीवन पर्यंत एक दूसरे के एकाकार हो जायें।


हमारे इंतजार पर कुछ यूं विराम लग जायें,

जो तुम आओ राधा सी तो हम घनश्याम हो जायें।


विश्वजीत कुमार ✍🏻



12 टिप्‍पणियां:

  1. लगता है इस साल भईया
    गृहहस्त आश्रम मे प्रवेश कर जाएगे

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुंदर 🙏 सर जी 😊 ❤️ 👍

    जवाब देंहटाएं