शनिवार, 15 मार्च 2025

हमारे गाँव के ब्रह्म बाबा। 🙏🏻

    यदि आप भी गाँव से ताल्लुक रखते होंगे तो गोरिया बाबा, जीन बाबा, ब्रह्म बाबा, इत्यादि नामों से अवगत होंगे। इन सभी अदृश्य बाबाओ की कृपा गांव के ऊपर इतनी रहती है कि इनके आशीर्वाद के बिना कोई भी शुभ कार्य सम्पन्न नहीं होता। तस्वीर में जो आप पीपल का पेड़ और मिट्टी का टिलानुमा आकृति को देख रहे हैं वह कोई साधारण आकृति नहीं है बल्कि हमारे गाँव के ब्रह्म बाबा हैं जिनके छांव में मैंने अपने बचपन के सबसे ख़ास पलो को बिताया हैं। 

     हमारा विद्यालय इन्हीं के छांव में चलता था या यूँ कह सकते हैं कि यह पीपल का पेड़ ही हमारा विद्यालय था। बचपन में सुने थे की भगवान गौतम बुद्ध को पीपल के पेड़ के नीचे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। मार्च-अप्रैल के महीने में जब इस पेड़ से एक-एक करके पत्ते गिरते तो ऐसा महसूस होता कि ऊपर से ज्ञान की वर्षा हो रही है जिसे हम समेट कर अपने झोले में रखते जाते। इस पेड़ के नीचे एक लकड़ी की कुर्सी रखी रहती जिस पर बैठ हमारी मैडम हमें कुछ बताती रहती हम सभी बोरे पर बैठे हुये, (जिसे हम सभी अपने साथ लेकर जाते) बुद्ध की भांति मौन होकर सुनते रहते।

      उक्त बाते 2003-04 की हैं, हमारे विद्यालय में कक्षा 01 से 05 तक थी लेकिन शिक्षक केवल 02 एवं वर्ग भी 02 ही थे। बाकी कक्षाएं इसी पीपल पेड़ के नीचे ही संचालित होती थी। जब कभी बरसात हो या ठंड ज्यादा हो तो हम सभी ग्रुप क्लास करते थे यानी वर्ग 01 एवं 02 एक साथ और 03, 04 & 05 एक साथ।

      गाँव की चीजें बहुत जल्दी नहीं बदलती यहां विकास की गती थोड़ी धीमी होती हैं। 20 वर्ष उपरान्त आज भी वही ब्रह्म बाबा हैं यूँ ही सभी को आशीर्वाद देते हुये बदलाव बस यही हुआ है कि अब कक्षाओ का संचालन इनकी छांव में नहीं होता बल्कि दो मंजिले बने भवनो में होता हैं। जिसमे आधुनिक सभी चीजें उपलब्ध हैं शिक्षकों की भी कमी नहीं हैं, कमी है तो बस उस ईच्छा शक्ति की जिसे कभी केवल 02 मैदम मिलकर ही पूरा करती थी। हमारे समय का वो 02 कमरो वाला भवन भी विरान पड़ा हुआ हैं मालुम चला की अब उस में रसोईघर एवं भंडार गृह हैं। 

आज पुन: इस जगह पर आकर अपनी पुरानी सारी यादो के समंदर में गोते लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ एवं वापस लौटते समय धनपाल भाटिया जी के शब्द कानो में गूंजते रहे।

"गांव के बच्चों की सफलता के पीछे 

मां की चप्पल का अनुशासन, बाप के जूते की मेहनत, 

और गुरु के गंगाराम (डंडे) का मार्गदर्शन होता है।"

मैं अपने आप को बहुत गौरवशाली मानता हूं कि इन तीनों का मार्गदर्शन मुझे हमेशा से प्राप्त होता रहा।

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