मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024

मुश्किल बा डगरिया, लेकिन कट जाई।

 

तनी मुश्किल बा डगरिया,

लेकिन कट जाई। 

भी बदरी बा दुख के तऽ का भईल,

आई समईया ईहो, छंट जाई।


चलत रहिहऽ तू रहिया, हार जन मनिहऽ,

जानें कब तोहार भगिया पलट जाई।


जब थाक जाए मनवां, याद करिहा तु घरवां, 

बाबू - माई के दुखवा, और उनकर कहनवां, 

सारा दुखवा थकनवा उचत जाई,


चलत रहिह तू रहिया हार जन मनिह, 

जानें कब तोहार भगिया पलट जाई।


कबो सोचिह तू गौवां ज्वार वाला बतिया,

गेहूं के कटनी में बितल ऊ खेत वाला रतिया, 

तोहर मुश्किल के घड़ी सब कट जाई।


चलत रहिह तू रहिया हार जन मनिह, 

जानें कब तोहार भगिया पलट जाई।


चाहें देशवा में रहिहऽ या विदेशवा में जईहा,

आपन माटी और बोली के कबो जन भुलइहऽ,

ईहे सिखवां से जीवन तोहार कट जाई।


चलत रहिह तू रहिया हार जन मनिह,

जानें कब तोहार भगिया पलट जाई।।


शिवा शशांक ओझा✍🏻

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