किराए का घर बदलने पर सिर्फ एक किराए का घर नहीं छूटता,
उसके साथ एक किराने की दुकान भी छूट जाती है।
कुछ भले पड़ोसी छूट जाते हैं कुछ पेड़ कुछ पखेरू एक सब्जी की दुकान छूट जाती है,
छूट जाते हैं चाय के अड्डे वहाँ की धूप हवा पानी कुछ ठेले और खोमचे।
जिन सड़कों पर सुबह शाम चलते थे अचानक उनका साथ छूट जाता है,
हमारे लिए एक साथ कितना कुछ छूट जाता है और उन सबके लिए बस एक अकेला मैं छूटता हूँ।
- संदीप तिवारी✍🏻
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