बुधवार, 24 जनवरी 2024

फूफाजी फ़ायर🔥 हैं।


      रिंग सेरेमनी चल रहा है। शहर के सबसे नामचीन होटल में लोग पहुँच चुके हैं। सब लोग सज-धज के तैयार हैं। सजावट शानदार है। सभी संबंधी एक दूसरे से जमकर गले मिल रहे हैं। सभी लोग एक दूसरे को ठीक वैसे ही तसव्वुर से देख रहे हैं जैसे कि मोदी जी के भाषण में भाजपा के कार्यकर्त्ता एक दूसरे को देखते हैं।

    फूफाजी भी जवान दिखने का ज़ोरदार अजमाइश कर लिये हैं। अपने क्रीम कलर के सफारी शूट को रज़ाई की तरह भरल दुपहरिया में सूखा के इस्तरी करा लिये हैं। इस्तरी करने वाले को फूफाजी ने समन दे दिया था कि सफारी शूट वस्त्र मात्र नहीं है अपितु गुलाब की पंखुड़ी के समान है, इसलिए विशेष ख़याल रखा जाये। इस्तरी करने वाला भी सफारी पर इस्तरी ऐसे होले-होले कर रहा था जैसे कि कोई दुल्हन पहली बार ससुराल आने पर दउरा में डेग (पैर) रखती है। एकदम हौले-हौले। फिर सफारी शूट पहन के फूफाजी अपनी जा चुकी जवानी के बाद भी सेरेमनी में आये सब नौजवानों को आँख दिखा रहे हैं। फूफाजी के सर से बाल बहुत पहले ही किश्त में कहीं और जा चुका है ठीक वैसे ही जैसे धीरे-धीरे कांग्रेस के नेता भाजपा में जा चुके हैं, पर फूफाजी को कोई मलाल नहीं।

      फूफाजी भी कभी गांधीवादी हुआ करते थे पर अब डिजिटल इंडिया के आते ही वे वन्दे भारत की रफ़्तार से भी तेज गति से अपने पुराने विचार को नवाचार में बदल दिये हैं। नये विचार से तालमेल बिठा के फूफाजी कहीं और चले गये हैं, किसी और के हो गये हैं। मतलब गांधी से मोहभंग हो गया है उनका पर सफारी शूट से नहीं हुआ है। बार-बार सफारी शूट को ऐसी ककातर निगाह से देख रहे हैं जैसे अमिताभ बच्चन कभी रेखा को देखा करते थे। महफ़िल में पहुँचते ही सबकी निगाहें फूफाजी पर है। बहुत खिसियाह (ग़ुस्सैल) हैं फूफाजी।

     फूफाजी भी महफ़िल में पहुँच चुके हैं। एल.ई.डी.(LED) का लाइट और फूफाजी के चमकते चेहरे, दोनों में न दिखने वाला कम्पटीशन शुरू हो गया है कि आज कौन अधिक चमकेगा। सभी लोग चेहरे पर मंद मुस्कान लिये एक-दूसरे का अभिवादन कर रहे हैं।

      फूफाजी पर नज़र पड़ते ही लड़के का बड़का भाई एकदम ऐसे सहम गया है जैसे नटखट विद्यार्थी अपने प्रिंसिपल को देखकर सहम जाता है। लड़की के बड़े भाई ने सबसे अगली क़तार में लगे सोफ़े पर फूफाजी को विराजमान किया। उसने बिस्लेरी का छोटका बोतल का ढक्कन ऐसे खोला जैसे विश्व कप विजेता टीम शैम्पेन का बोतल खोलती है। फूफाजी गदगद तो तब हुए जब लड़की के भाई ने पानी को गिलास में उढ़ेला, क्षण भर के लिए तो वो भूल गये कि वे फूफाजी हैं।

      उनको लगा कि वे प्रेस कांफ्रेंस करते मल्लीकार्जुन खड़गे हैं और पानी परोसने वाला साक्षात राहुल गांधी। इस आवाभगत से फूफाजी इतने प्रसन्न हैं जैसे कोई पार्टी का नेता जीवन के आख़िरी क्षण में भी राज्यपाल बनाये जाने पर प्रसन्न होता है। सब ठीक चल रहा था पर इतने में किसी ने फूफाजी को सफारी छू भर लिया।

ऐसा लगा जैसे महफ़िल में वज्रपातहुआ हो।

      फूफा फ़ायर हो गये, वे बिलबिला उठे। ऐसा लगा जैसे कि फूफाजी सिंधिया हो गये और किसी कांग्रेसी कार्यकर्ता ने उस राजवंश को ग़द्दार कह दिया हो।


अगला भाग जल्दी ही.....

साभार - विकाश ✍️

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