बुधवार, 24 जनवरी 2024

दो हजार जी चल पड़े, अब क्या हुई हमसे भूल। (हास्य कविता😁😁)



पुरें देश के सारे छोटे नोट, 

हो गए शोकाकुल।

दो हजार जी चल पड़े, 

अब क्या हुई हमसे भूल।


याद में उनकी हम सारे, 

अब न जागे न सोते है।

सारी पूंजी वो पिया को दे, 

हो गए वन्डरफुल।


पुरें देश के सारे छोटे नोट....


 प्यारे तुम दो हजारी,

हम तुम्हें छुपाया करते थे।

घरवालों की नजरों से, 

तुम्हें बचाया करते थे।


न हो अहसास किसी को, 

स्वांग रचाया करते थे।

चमचमाती रोशनी तुमसे,

कर गए बत्ती गुल।


पुरें देश के सारे छोटे नोट....


एक धाव तो भरा नहीं था, 

पाँच-सो, हजार ने।

नव आगंतुक कई रंग, 

फिर आए घर बाजार में।


सारी नारी फिर लग गई, 

चिन्ता-मनन, विचार में।

फिर तुमसे पुनः कर लिए, 

डिब्बा-टिफिन फूल।


पुरें देश के सारे छोटे नोट....


सबकी दुखती रग हैं बहना, 

 दवा कहाँ से लाऊँ।

सुनकर कल से आया पसीना,

गीत कहाँ से गाऊँ।


ग्रीष्मकाल की छुट्टी में, 

वो घर की सफाई में पाऊँ।

इसपार मैं आ पीहर बैठी,

अब कौन बँधवाऐ पुल।


पुरें देश के सारे छोटे नोट....


अब आए कोई नोट तो, 

ऐसी प्रित न कर लेना।

कितना कोई भी समझाए, 

घर झोले न भर लेना।


नोट भए परदेशी झोखे,

इनको हम से क्या लेना।

बचे हुए को बैंक जमा करो,

फिर हो जाएंगे फुल।


पुरें देश के सारे छोटे नोट, 

हो गए शोकाकुल।

दो हजार जी चल पड़े, 

अब क्या हुई हमसे भूल।

😇😢😭😓😰🥲


अरुणिम-रेखा✍️

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