इस गीत का निर्माण साई कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग ओनामा, के प्रशिक्षु प्रिंस कुमार के द्वारा किया गया है। उनकी इस रचनात्मकता के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
This song was composed by Prince Kumar, a trainee of SAI College of Teachers Training Onama. Many thanks to him for his creativity.
लाल लाल रें
जब ऊ लेबेले साई कॉलेज में क्लाशवां
प्रशिक्षु सब सिखल चाहेले आर्टवा
सब जानल चाहेले टिकुली आर्ट रे, मंजूषा आर्ट रे,
आरे ... मधुबनी... आर्ट रे.....
"इ लोककला हाँ बुझाता"
सिवान जिला के हाँ ऊ, लाल-लाल रें
"अईसन का"
सिवान जिला के हाँ ऊ, लाल-लाल रें
विश्वजीत सर तऽ कईलें बा, कमाल रें -३
"अच्छा तऽ ई बात बाऽ"
साई कॉलेज में जब ऊ करावेले पढ़ाई,
लईका-लईकी सब, करेले बड़ाई, करेले बड़ाई, करेले बड़ाई,
अब तऽ बुझात बाऽ हम आर्ट, सीख जाईब रें, सीख जाईब रें
आरे... सीख... जाईब... रें
सिवान जिला के हाँ ऊ, लाल-लाल रें
"अईसन का"
सिवान जिला के हाँ ऊ, लाल-लाल रें
विश्वजीत सर तऽ कईलें बा, कमाल रें -३
सब कला ऊ तऽ जानत बाड़े कौनो में ना कमी बाऽ
कहेले प्रशिक्षु सब सर के, कला तऽ बेजोड़ बा, कला तऽ बेजोड़ बा कला तऽ बेजोड़ बा
साई कॉलेज में ऊ ज्वाइन कइले पड़ साल रे, पड़ साल रे, आरे!!! पड़... साल... रे...
कहे सब प्रशिक्षु, अब सीख जाईब आर्ट रे -२
सिवान जिला के हाँ ऊ, लाल-लाल रें
विश्वजीत सर तऽ कईलें बा, कमाल रें -३
प्रिंस कुमार
B.Ed. प्रथम वर्ष
(२०१८-२०)
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