यह कविता मैंने साईं कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग, ओनामा में अध्ययनरत प्रशिक्षुओं के लिए लिखी है।
यह कविता मैंने अध्ययनरत प्रशिक्षुओं के लिए लिखी है।
परीक्षा
परीक्षायें तो आपने बहुत दी होगी,
लेकिन ये परीक्षा कुछ खाश है।
बाकियों के बाद तो,
अगले वर्ग में जाने का उत्साह रहता था,
लेकिन
इसमें भविष्य बदलने की चाह है।
बाकियों के बाद तो,
नयें किताबो मे आप मशगुल होते होंगे।
लेकिन
इसमें फिर से पुरानी किताबो को टटोलने का पूर्वाभ्याश है।
बाकियों के बाद तो,
फिर से कुछ नया पढ़ने की उम्मीद रहती थी।
लेकिन
इसके बाद बहुत कुछ नया पढ़ाने एवं दूसरों के भविष्य बनाने का उत्साह है।
बाकियों के बाद तो,
आप छात्र से छात्र ही रहते
लेकिन
इसके बाद आप प्रशिक्षु से शिक्षक का मुकाम हासिल करने वाले हैं।
परीक्षाएं तो आपने बहुत दी होगी,
लेकिन ये परीक्षा कुछ खास है।
-विश्वजीत कुमार
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