शुक्रवार, 7 जून 2019

बुरा मान गए !!!


बुरा मान गए  !!

सारी रात बनाते रहें, 
वो मेरी इक शबीह! 
मैंने एक Sketch क्या बनाया, 
तो बुरा मान गए !! 

वो कहते हैं की,
सारे रंगो से सजाया हैं मैने तुम्हे! 
मैने एक रंग क्या चुराया, 
तो बुरा मान गये!! 

सारा पहर सुनते रहे, 
गीत-गजलें उनकी! 
मैने एक शेर क्या सुनाया, 
तो बुरा मान गये!! 

शिद्यत से मैने उनकी छायाकंन की! 
एक Selfie क्या ली, 
तो बुरा मान गये!! 

मुलाज़मत से मैने तैयार की, 
उनकी शबीह! 
उस शबीह पर अपना नाम क्या लिख दिया, 
तो बुरा मान गये!! 

अपनी हर एक अदा की वो, 
तारिफे सुने! 
हमने अपने दिल का हाल क्या सुनाया, 
तो बुरा मान गये!! 

मेरे बारे में वो, 
लिखते रहे रातों भर! 
मैने इक शब्द क्या लिख दी, 
तो बुरा मान गये!! 

हर एक को सुनाते है वो, 
मेरी कहानीयाँ! 
मैने उनकी उल्फत को सुनाया तो, 
बुरा मान गये!! 

वो मुझे रोज रुलाते रहे, 
घटाओ की तरह! 
मैने एक दिन क्या रुलाया तो, 
बुरा मान गये!! 

मैने उनके लिए कैमरा को छोड़कर कुची थाम ली और लिखने भी लगे अल्फाज उन के लिए! 
"तुम एक कार्य मे ठहरे नहीं"
इस हर्फ के साथ उसने दामन छुड़ा लिया और मेरी इस खुबी को बेखुबी समझ बुरा मान गये!! 

सिर्फ मेरी इतनी सी खता पर वो, 
मुझे दुशमन मान बैठे! 
अपने सर को उनकी गोद में क्या सुलाया, 
तो बुरा मान गये!! 

सारी रात सुनते रहे, 
गीत-गजलें उनकी! 
मैने एक शेर क्या सुनाया, 
तो बुरा मान गये !! 

-विश्वजीत कुमार✍️


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