रविवार, 23 जून 2019

सीवान जिला के हाँ ऊ, लाल लाल रे... (Siwan zilla ke haa Uu, Lal Lal re...)

इस गीत का निर्माण साई कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग ओनामा, के प्रशिक्षु प्रिंस कुमार के द्वारा किया गया है। उनकी इस रचनात्मकता के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।


This song was composed by Prince Kumar, a trainee of SAI College of Teachers Training Onama. Many thanks to him for his creativity.


लाल लाल रें


जब ऊ लेबेले साई कॉलेज में क्लाशवां
प्रशिक्षु सब सिखल चाहेले आर्टवा
सब जानल चाहेले टिकुली आर्ट रे, मंजूषा आर्ट रे,
आरे ... मधुबनी... आर्ट रे.....

"इ लोककला हाँ बुझाता"


सिवान जिला के हाँ ऊ, लाल-लाल रें

"अईसन का"

सिवान जिला के हाँ ऊ, लाल-लाल रें
विश्वजीत सर तऽ कईलें बा, कमाल रें -३

"अच्छा तऽ ई बात बाऽ"

साई कॉलेज में जब ऊ करावेले पढ़ाई,
लईका-लईकी सब, करेले बड़ाई, करेले बड़ाई, करेले बड़ाई,

अब तऽ बुझात बाऽ हम आर्ट, सीख जाईब रें, सीख जाईब रें 
आरे... सीख... जाईब... रें

सिवान जिला के हाँ ऊ, लाल-लाल रें

"अईसन का"

सिवान जिला के हाँ ऊ, लाल-लाल रें
विश्वजीत सर तऽ कईलें बा, कमाल रें -३

सब कला ऊ तऽ जानत बाड़े कौनो में ना कमी बाऽ
कहेले प्रशिक्षु सब सर के, कला तऽ बेजोड़ बा, कला तऽ बेजोड़ बा कला तऽ बेजोड़ बा

साई कॉलेज में ऊ ज्वाइन कइले पड़ साल रेपड़ साल रे, आरे!!! पड़... साल... रे...

कहे सब प्रशिक्षु, अब सीख जाईब आर्ट रे -२
सिवान जिला के हाँ ऊ, लाल-लाल रें
विश्वजीत सर तऽ कईलें बा, कमाल रें -३

प्रिंस कुमार
B.Ed. प्रथम वर्ष
(२०१८-२०) 


शुक्रवार, 21 जून 2019

परीक्षायें तो आपने बहुत दी होगी, लेकिन ये परीक्षा कुछ खाश है।


यह कविता मैंने साईं कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग, ओनामा में अध्ययनरत प्रशिक्षुओं के लिए लिखी है।
यह कविता मैंने अध्ययनरत प्रशिक्षुओं के लिए लिखी है।

परीक्षा ( (Examination))


परीक्षायें तो आपने बहुत दी होगी, 
लेकिन ये परीक्षा कुछ खाश है।

बाकियों के बाद तो,
अगले वर्ग में जाने का उत्साह रहता था, 
लेकिन 
इसमें भविष्य बदलने की चाह है।

बाकियों के बाद तो,
नयें किताबो मे आप मशगुल होते होंगे। 
लेकिन 
इसमें फिर से पुरानी किताबो को टटोलने का पूर्वाभ्याश है।

बाकियों के बाद तो,
फिर से कुछ नया पढ़ने की उम्मीद रहती थी। 
लेकिन 
इसके बाद बहुत कुछ नया पढ़ाने एवं दूसरों के भविष्य बनाने का उत्साह है।

बाकियों के बाद तो,
आप छात्र से छात्र ही रहते
लेकिन 
इसके बाद आप प्रशिक्षु से शिक्षक का मुकाम हासिल करने वाले हैं।

परीक्षाएं तो आपने बहुत दी होगी, 
लेकिन ये परीक्षा कुछ खाश है।

-विश्वजीत कुमार

शुक्रवार, 7 जून 2019

बुरा मान गए !!!

बुरा मान गए !!


सारी रात बनाते रहें,
वो मेरी इक शबीह!
मैंने एक Sketch क्या बनाया,
तो बुरा मान गए !!


वो कहते हैं की,
सारे रंगो से सजाया हैं मैने तुम्हे!
मैने एक रंग क्या चुराया,
तो बुरा मान गये!!


सारा पहर सुनते रहे,
गीत-गजलें उनकी!
मैने एक शेर क्या सुनाया,
तो बुरा मान गये!!


शिद्यत से मैने उनकी छायाकंन की!
एक Selfie क्या ली,
तो बुरा मान गये!!


मुलाज़मत से मैने तैयार की,
उनकी शबीह!
उस शबीह पर अपना नाम क्या लिख दिया,
तो बुरा मान गये!!


अपनी हर एक अदा की वो,
तारिफे सुने!
हमने अपने दिल का हाल क्या सुनाया,
तो बुरा मान गये!!


मेरे बारे में वो,
लिखते रहे रातों भर!
मैने इक शब्द क्या लिख दी,
तो बुरा मान गये!!


हर एक को सुनाते है वो,
मेरी कहानीयाँ!
मैने उनकी उल्फत को सुनाया तो,
बुरा मान गये!!


वो मुझे रोज रुलाते रहे,
घटाओ की तरह!
मैने एक दिन क्या रुलाया तो,
बुरा मान गये!!


मैने उनके लिए कैमरा को छोड़कर कुची थाम ली और लिखने भी लगे अल्फाज उन के लिए!
"तुम एक कार्य मे ठहरे नहीं"
इस हर्फ़ के साथ उसने दामन छुड़ा लिया और मेरी इस खुबी को बेखुबी समझ 
बुरा मान गये!!


सिर्फ मेरी इतनी सी खता पर वो,
मुझे दुश्मन मान बैठे!
अपने सर को उनकी गोद में क्या सुलाया,
तो बुरा मान गये!!


सारी रात सुनते रहे,
गीत-गजलें उनकी!
मैने एक शेर क्या सुनाया,
तो बुरा मान गये !!


-विश्वजीत कुमार✍️


 

गज़ल में प्रयुक्त कुछ शब्दों के अर्थ -


शिद्दत - (स्त्रीलिंग) कठिनाई, कष्ट।

मुलाज़मत - सेवा में, ख़िदमत में, साथ में।

शबीह - व्यक्ति चित्र (Portrait)

उल्फत - प्यार, स्नेह, या दोस्ती