बुधवार, 30 अक्टूबर 2024

मेरे प्रिय स्वर्गीय मादा मच्छर 🦟,


 

सेवा में,

 मेरी प्रिय स्वर्गीय मादा मच्छर🦟, 

ना जाने कब तु मेरे प्यार❤️ में पड़ी।

मेरे करीब आई 💞

...और मुझे छूने की अपनी ख्वाहिश पूरी करते ही, 

तुम दुनिया को छोड़ कर चली गई।🥲


...और इस बात कि मुझे भनक तक नहीं पड़ी!!!

 पर तुम्हारे प्रेम😍 का असर💓 मुझ पर भी होने लगा था।

 सांसे तेज हो रही थी।

 तुम्हारे इश्क🥰 का बुखार 102 डिग्री🤒 वाला था।


 उल्टियों की बौछार🤑, 

रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

 रातो को नींद नहीं था, 

बदन टूटने लगा था।


 पर तभी सभी सबूतों और गवाहों ने मुझे बताया,

 कि मेरा रोम-रोम तुम्हारा कर्जदार हो चुका है।

 काश!!! 

अब काश के अलावा, 

मेरे पास कुछ बचा नहीं है।😢


एक बार तो मुझसे बाते करती,

बैठती मैं समझाता।

तुम्हारा हाथ पकड़कर 👫

मैं रोक लेता।


पर ऐसे जाने ना देता,

 तुम तो चली गई पर मुझे...

...डेंगू... 🦟 दे गई।


साभार - सोशल मीडिया 

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

किराए का घर (Rent House)



किराए का घर बदलने पर सिर्फ एक किराए का घर नहीं छूटता,

उसके साथ एक किराने की दुकान भी छूट जाती है।


कुछ भले पड़ोसी छूट जाते हैं कुछ पेड़ कुछ पखेरू एक सब्जी की दुकान छूट जाती है,

छूट जाते हैं चाय के अड्डे वहाँ की धूप हवा पानी कुछ ठेले और खोमचे।


जिन सड़कों पर सुबह शाम चलते थे अचानक उनका साथ छूट जाता है,

हमारे लिए एक साथ कितना कुछ छूट जाता है और उन सबके लिए बस एक अकेला मैं छूटता हूँ।


- संदीप तिवारी✍🏻

बुधवार, 23 अक्टूबर 2024

स्वास्थ्य के हिसाब से चाय ☕


नींबू वाली चाय पेट घटाए,

अदरक वाली चाय खराश मिटाए।

नीम्बु पत्ती की चाय माइग्रेन भगाये,

अमरुद पत्ती की चाय ताजगी लौटाये।


गुडहल पत्तियों की चाय ह्युम्निटी बढाये,

हरसिंगार पत्ती की चाय हड्डी दर्द बुखार भगाये।

लेमन ग्रास की चाय स्फुर्ती लौटाये,

मसाले वाली चाय इम्युनिटी बढ़ाए।


मलाई वाली चाय हैसियत दिखाए,

सुबह की चाय ताजगी लाए ।

शाम की चाय थकान मिटाए।

दुकान की चाय मजा आ जाए,

पड़ोसी की चाय व्यवहार बढ़ाए।


मित्रों की चाय संगत में रंगत लाए,

पुलिसिया चाय मुसीबत से बचाए। 

अधिकारियों की चाय फाइलें बढ़ाए,

नेताओं की चाय बिगड़े काम बनाए।


विद्वानों की चाय सुंदर विचार सजाए,

कवियों की चाय भावनाओं में बहाए। 

रिश्तेदारों की चाय संबंधों में मिठास लाए,

चाय, चाय, चाय, सबके मन भाय।


एक चाय भूखे की भूख मिटाए,

एक चाय आलस्य भगाए ।

एक चाय भाईचारा बढ़ाए,

एक चाय सम्मान दिलाए।


एक चाय हर काम बन जाए,

एक चाय हर गम दूर हो जाए।

एक चाय रिश्तो में मिठास लाए।

एक चाय खुशियाँ कई दिलाए।


एक चाय प्रधानमंत्री बनाए,

चाय पिए और चाय पिलाए।

जीवन को आनंदमय बनाए।

जीवन को आनंदमय बनाए।


 साभार - सोशल मीडिया 


रविवार, 13 अक्टूबर 2024

झिझिया मैथिली लोकगीत (Jhinjhiya Folk Dance)

Completed work on 𝐉𝐡𝐢𝐣𝐡𝐢𝐲𝐚 झिझिया।

 

Jhijhiya is a cultural dance from the Mithila region. Jhijhiya is mostly performed at time of Dashain, in dedication to Durga Bhairavi, the goddess of victory. While performing jhijhiya, women put lanterns made of clay on their head and they balance it while they dance.

साभार :- @mithilaartpaintings



मैथिली लोकगीत


तोहरे भरोसे ब्रहम बाबा झिझिया बनइलिअइ हो

तोहरे भरोसे ब्रहम बाबा झिझिया बनइलिअइ हो

ब्रहम बाबा झिझरी पर होईअऊ न असवार

अबोधवा बालक तोहर किछियो न जानय छौ हो

ब्रहम बाबा झिझरी पर होईअऊ न असवार


तोहरे अंगनमा ब्रहम बाबा जुड़वा बनइलिअइ हो

तोहरे अंगनमा ब्रहम बाबा जुड़वा बनइलिअइ हो

ब्रहम बाबा जुड़वा पर होईअऊ न असवार

अबोधवा बालक तोहर किछियो न जानय छौ हो


कंहवा से अईतय मईया हरिन सुगवा हो

मईया गे कंहवा से अयतई भैरो भाई

सड़क पर झिझरी खेल आयब हो


ससुरा से अईलय मईया हे हरिन सुगवा हो

मईया हे नईहर से अयलई भैरो भाई

सड़क पर झिझरी खेल आयब हो


किए पानी मईया हे देबई हरिन सुगवा हो

मईया हे किए पानी देबई भैरो भाई

सड़क पर झिझरी खेल आयब हो


झारी पानी देबई मईया हे हरिन सुगवा हो

मईया हे लोटे पानी देबई भैरो भाई

सड़क पर झिझरी खेल आयब हो


माछ मारs गेले डयनियाँ बाबा के पोखरिया

माछ मारs गेले डयनियाँ बाबा के पोखरिया

मारि लैले कतरी मछरिया गे

चल चल गे डयनियाँ ब्रहम तर

तोरा बेटा के खयबऊ ब्रहम तर


तोहरे भरोसे ब्रहम बाबा झिझिया बनइलिअइ हो

ब्रहम बाबा झिझरी पर होईअऊ न असवार...


       झिझिया मैथिली लोकगीत बिहार और नेपाल के मिथिला क्षेत्र में प्रसिद्ध एक पारंपरिक लोकगीत है। यह गीत विभिन्न अवसरों पर गाया जाता है, जैसे कि विवाह, त्योहार, और अन्य सामाजिक समारोह। झिझिया गीतों में समाजिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों को दर्शाया जाता है।


 झिझिया नृत्य की परिकल्पना करने पर हमें निम्न बिंदु परिलक्षित होते हैं।

1. पारंपरिक परिधान:- महिलाएँ साड़ी पहनकर और पुरुष धोती-कुर्ता पहने  नाच रहे है। 

2. संगीत वाद्य:- ढोल, बंजीरा और सारंगी जैसे वाद्य यंत्र बजाये जा रहे है।

3. सुरम्य पृष्ठभूमि:- खेतों, तालाबों और आम के बागों के बीच नृत्य का दृश्य मनोरम छवि का निर्माण कर रहा है।

4. उत्सव का माहौल:- रंग-बिरंगे कपड़े पहने सभी लोग उत्साह से आनंद ले रहे है।

मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024

मुश्किल बा डगरिया, लेकिन कट जाई।

 

तनी मुश्किल बा डगरिया,

लेकिन कट जाई। 

भी बदरी बा दुख के तऽ का भईल,

आई समईया ईहो, छंट जाई।


चलत रहिहऽ तू रहिया, हार जन मनिहऽ,

जानें कब तोहार भगिया पलट जाई।


जब थाक जाए मनवां, याद करिहा तु घरवां, 

बाबू - माई के दुखवा, और उनकर कहनवां, 

सारा दुखवा थकनवा उचत जाई,


चलत रहिह तू रहिया हार जन मनिह, 

जानें कब तोहार भगिया पलट जाई।


कबो सोचिह तू गौवां ज्वार वाला बतिया,

गेहूं के कटनी में बितल ऊ खेत वाला रतिया, 

तोहर मुश्किल के घड़ी सब कट जाई।


चलत रहिह तू रहिया हार जन मनिह, 

जानें कब तोहार भगिया पलट जाई।


चाहें देशवा में रहिहऽ या विदेशवा में जईहा,

आपन माटी और बोली के कबो जन भुलइहऽ,

ईहे सिखवां से जीवन तोहार कट जाई।


चलत रहिह तू रहिया हार जन मनिह,

जानें कब तोहार भगिया पलट जाई।।


शिवा शशांक ओझा✍🏻