सोमवार, 28 दिसंबर 2020

#मेरी_रचना #मुक्तक

 मगरूर हूँ, 

लेकिन मजबूर हूँ। 

नया-नया हुआ, 

अभी मशहूर हूँ। 

थोड़ा सा अपना गम, 

लिखने दो यारो। 

मैं किसी का टूटा हुआ, 

गुरूर हूँ।  

विश्वजीत वर्मा 



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