बुधवार, 29 जनवरी 2020

राजा रवि वर्मा एवं बसंत पंचमी।



कला का साथ हो, 
वर्णों के पास ही मेरा निवास हो।
 जिंदगी की  हर परीक्षा में आप मेरे पास हो।
 सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🏻 

       इस तस्वीर में प्रयोग कि गई मां सरस्वती की छवि का  निर्माण भारत के सर्वश्रेष्ठ चित्रकार राजा रवि वर्मा के द्वारा किया गया है। कहते हैं कि किसी भी शख्सियत का मूल्यांकन दुनिया को सौंपी उसकी विरासत से होता है. सामान्य से सामान्य जन को यदि लगे कि वह शख्स न होता तो उसका जीवन थोड़ा कम बेहतर होता तो ऐसा शख्स ही शख्सियत बन जाता है. राजा रवि वर्मा ऐसी ही शख्सियत थे. कहने को तो वे ‘राजा’ थे लेकिन उनके पास कोई राज्य न था. उनके नाम में जुड़ा यह शब्द एक उपाधि थी जो तत्कालीन वायसराय ने उनकी प्रतिभा का सम्मान करते हुए उन्हें दी थी. अति-प्रतिभाशाली रवि वर्मा की लोकप्रियता का आलम यह था कि टीवी और इंटरनेट न होने के बावजूद वे घर-घर में वह मशहूर थे. हालांकि तमाम दूसरी हस्तियों की तरह उन्हें एक तरफ अपार लोकप्रियता नसीब हुई तो दूसरी ओर बदनामी और विवाद भी झेलने पड़े. लेकिन रवि वर्मा का काम और उनकी कल्पनाशीलता इन सबसे बेपरवाह चित्रकला को नई  बु​लंदियां बख्शती रही. चित्रकारी में उन्होंने कई ऐसे प्रयोग किए जो भारत में तब तक किसी ने नहीं किए थे. आज घर-घर में देवी-देवताओं की तस्वीरें आम हैं. लेकिन अब से करीब सवा सौ साल पहले ये देवी-देवता ऐसे सुलभ न थे. उनकी जगह केवल मंदिरों में थी. वहां सबको जाने की इजाजत भी नहीं थी. जात-पात का भी भेद होता था. घर में भी यदि वे होते तो मूर्तियों के रूप में. तस्वीरों, कैलेंडरों और पुस्तकों में जो देवी-देवता आज दिखते हैं वे असल में राजा​ रवि वर्मा की कल्पनाशीलता की देन हैं।

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