शिक्षक दिवस पर कविता
कोई आशिष ले रहा है,
कोई गिफ़्ट भी दें रहा है।
आज शिक्षक दिवस हैं इसको,
हर कोई सेलिब्रेट कर रहा है।
आप को मैने पढ़ाया है, पेंटिंग बनाना भी सीखाया है।
बड़ी उम्मिद आप से है।
ऐसा मैने भी पाया है।
आज आप से आप के कला गुरु की एक ही इच्छा है।
बन जाओ शिक्षक तुम, सीटेट का फॉर्म आया है।
बन जाओ शिक्षक तुम नया ये दौर आया है।
शिक्षक बन कर, शिक्षित करना, यही उत्तम रवानी है।
कभी कबीरा थें आदर्श, आज राधाकृष्णन की बारी है।
शिक्षा ही सर्वोतम हैं। आज ये जान लो सभी,
बिना शिक्षित किये रहना ये तो बेमानी है।
ये किताबे ये पाठ्याक्रम समन्दर जैसे है लेकिन,
इसमे छुपे मोतियो को निकाल सकता है अब कौन।
मेरी बात मान ले या फिर तु समझ ले,
एक शिक्षक के बिना यें कार्य, अब कर सकता हैं कौन?
एक शिक्षक का दायित्व क्या होता है, अब तु यें लें जान,
हर आँखो के ख्याबों को सच करना हैं तेरा काम।
अभी तक तु शांत क्यो बैठा है,अब तो तू जाग।
अपने दायित्व को पहचान!
अपने दायित्व को पहचान!
-विश्वजीत कुमार
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