शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

दिल में छुपे अरमाँ जगा लिया मैंने (Dil me Chupe Aarman jagaa liya maine)



दिल में छुपे अरमाँ जगा लिया मैने


दिल में छुपे अरमाँ जगा लिया मैने! 
रोज कटती दिन रातों को भी खुशी-खुशी बिता लिया मैंने!!

पूरी दुनिया को बतानी थी, 
अपनी ये कहानीयाँ। 
इसीलिए अपने चित्रो के संग्रह में, 
तुम्हारी शबीह को भी बना लिया मैंने।

 समंदर को भी बड़ा गुमान था, 
रेत पर उकेरी तुम्हारी छबियों को मिटाने का। 
इसीलिए शिलाखंडों पर ही,
तुम्हारा अंकन करा लिया मैने

दिल में छुपे अरमाँ जगा लिया मैने! 
रोज कटती दिन रातों को भी खुशी-खुशी बिता लिया मैंने!!

इन हवाओ ने भी बड़ी बेरुखी की मेरे साथ,
अक्सर मेरे खतो को उड़ाकर तुमसे दूर ले गई। 
इन समीर मण्डल को भी मजा चखाना था, 
इसीलिए WhatsApp पर खाता खुलवा लिया मैने।

दिल में छुपे अरमाँ जगा लिया मैने! 
रोज कटती दिन रातों को भी खुशी-खुशी बिता लिया मैंने!!

अपने दिल को सुकून देने का यह भी एक अच्छा तरीका था,
कुछ गीत-गजलें लिख फिर उन्हे गुनगुना लिया मैने।

दिल में छुपे अरमाँ जगा लिया मैने ! 
रोज कटती दिन रातों को भी खुशी-खुशी बिता लिया मैने!!

दर्पण से कोई शिकायत मुझे तो नहीं, 
लेकिन उसे जरूर है। 
वो मुझे ढूंढता फिरे अपने अंदर,
और स्वं को तुझमे छुपा लिया मैने।

दिल में छुपे अरमाँ जगा लिया मैने!
रोज कटती दिन रातों को भी खुशी-खुशी बिता लिया मैने !!

वो मुझसे बोलते है, 
आप बहुत मुस्कुराते हो। 
ओढ़कर तबस्सुम लबों पर,
अपने आँसुओ को कहाँ छुपाते हो। 

मैंने भी अपना हाल-ए-दिल प्रस्तुत कर ही दिया,
नामुमकिन लगने वाला कार्य भी मुमकिन कर ही लिया।

दिल को बड़ी सुकून मिली उनके इस गुफ्तगु से, 
इक परिन्दा जो कैद था दिल के किसी कोने में... 
उसे भी आज आजादी मिली उनके एक छुअन से। 
दिल के कारवों को हवा में उछाल दिया मैंने...
दिल में छुपे अरमाँ जगा लिया मैने ! 
रोज कटती दिन रातों को भी खुशी-खुशी बिता लिया मैने!!


विश्वजीत कुमार ✍️

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