सोमवार, 22 सितंबर 2025

क्या दिक्कत है ?


क्या दिक्कत है ?


लेडी को औरत कहने में।

वेल्थ को दौलत कहने में।

हैबिट को आदत कहने में।

इंडिया को भारत कहने में।


क्या दिक्कत है ?


वॉटर को भी जल कहने में।

टुमारो को कल कहने में।

क्रेजी को पागल कहने में।

सॉल्यूशन को हल कहने में।


क्या दिक्कत है ?


वरशिप को पूजा कहने में।

सेकंड को दूजा कहने में।

हर चिक को चूजा कहने में।

यू गो को तू जा कहने में।


क्या दिक्कत है ?


इनिंग को पारी कहने में।

हैवी को भारी कहने में।

वूमन को नारी कहने में।

वर्जिन को क्वारी कहने में।


क्या दिक्कत है ?


टेन्स को काल कहने में।

रेड को लाल कहने में।

नेट को जाल कहने में।

चीक्स को गाल कहने में।


क्या दिक्कत है ?


किंग को राजा कहने में।

बैंड को बाजा कहने में।

फ्रेश को ताजा कहने में।

कम इन को आ जा कहने में।


क्या दिक्कत है ?


डिवोशन को भक्ति कहने में।

टेक्टिक को युक्ति कहने में।

पर्सन को व्यक्ति कहने में।

पावर को शक्ति कहने में।


क्या दिक्कत है ?


जिंजर को हिम्मत कहने में।

रिस्पेक्ट को इज्जत कहने में।

प्रेयर को मन्नत कहने में।

प्रॉब्लम को दिक्क्त कहने में।


क्या दिक्कत है ?


टॉर्च को मशाल कहने में।

थॉट को ख़याल कहने में।

ग्रीफ को मलाल कहने में।

एजेंट को दलाल कहने में।


क्या दिक्कत है ?


कलर को रंग कहने में।

विथ को संग कहने में।

वेव को तरंग कहने में।

पार्ट को अंग कहने में।


क्या दिक्कत है ?


मदर को मईया कहने में।

ब्रदर को भईया कहने में।

काउ को गईया कहने में।

हसबैंड को सईया कहने में।


क्या दिक्कत है ?


हीट को ताप कहने में।

यू को आप कहने में।

स्टीम को भाप कहने में।

फादर को बाप कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


बेड को ख़राब कहने में।

वाईन को शराब कहने में। 

बुक को किताब कहने में।

सॉक्स को जुराब कहने में।


क्या दिक्कत है ?


डिच को खाई कहने में।

आंटी को ताई कहने में।

बर्बर को नाई कहने में।

कुक को हलवाई कहने में।


क्या दिक्कत है ?


इनकम को आय कहने में।

जस्टिस को न्याय कहने में।

एडवाइज़ को राय कहने में।

मिल्कटी को चाय कहने में।


 क्या दिक्कत है ?

 

फ़्लैग को झंडा कहने में।

स्टिक को डंडा कहने में।

कोल्ड को ठंडा कहने में।

ऐग को अंडा कहने में।


क्या दिक्कत है ?


बीटिंग को कुटाई कहने में।

वॉशिंग को धुलाई कहने में।

पेंटिंग को पुताई कहने में।

वाइफ को लुगाई कहने में।


क्या दिक्कत है ?


स्मॉल को छोटी कहने में।

फेट को मोटी कहने में।

टॉप को चोटी कहने में।

ब्रेड को रोटी कहने में।


क्या दिक्कत है ?


ब्लैक को काला कहने में।

लॉक को ताला कहने में।

बाउल को प्याला कहने में।

जेवलीन को भाला कहने में।


क्या दिक्कत है ?


गेट को द्वार कहने में।

ब्लो को वार कहने में।

लव को प्यार कहने में।

हॉर को छिनार कहने में।


 क्या दिक्कत है ?

 

लॉस को घाटा कहने में।

मील को आटा कहने में।

प्रोंग को काँटा कहने में।

स्लेप को चाँटा कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


टीम को टोली कहने में।

रूम को खोली कहने में।

पैलेट को गोली कहने में।

ब्लाउज़ को चोली कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


ब्रूम को झाड़ कहने में।

हिल को पहाड़ कहने में।

रॉअर को दहाड़ कहने में।

जुगाड़ को जुगाड़ कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


नाईट को रात कहने में।

कास्ट को जात कहने में।

टॉक को बात कहने में।

किक को लात कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


सन को संतान कहने में।

ग्रेट को महान कहने में।

मेन को इंसान कहने में।

गॉड को भगवान कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


लाइक को पसंद कहने में।

क्लोज को बंद कहने में।

स्लो को मंद कहने में।

पोएम को छंद कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


फेक को नकली कहने में।

रियल को असली कहने में।

वाइल्ड को जंगली कहने में।

लाइट को बिजली कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


ग्रीन को हरा कहने में।

अर्थ को धरा कहने में।

प्योर को खरा कहने में।

डेड को मरा कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


रूम को कमरा कहने में।

डीप को गहरा कहने में।

जंक को कचरा कहने में।

गॉट को बकरा कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


जस्ट को अभी कहने में। 

एवर को कभी कहने में।

देन को तभी कहने में।

ऑल को सभी कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


मेलोडी को राग कहने में।

फ़ायर को आग कहने में।

गार्डन को बाग कहने में।

फॉम को झाग कहने मे।


 क्या दिक्कत है ?


स्टेन को दाग कहने में।

स्नेक को नाग कहने में।

क्रो को काग कहने में।

सेक्सन को भाग कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


ग्रांड को भवि को कहने में।

पिक्चर को छवि कहने में।

सन को रवि कहने में।

पोएट को कवि कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


हाउस को घर कहने में।

टैक्स को कर कहने में।

फॉबिया को डर कहने में।

फिऑन्से को वर कहने मे।


 क्या दिक्कत है ?


प्लेस को ठाँव कहने में।

शेड को छाँव कहने में।

फुट को पाँव कहने में।

विलेज को गाँव कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


वायर को तार कहने में।

फॉर को चार कहने में।

वैट को भार कहने में।

फ्रैंड को यार कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


पिकल को अचार कहने में।

वॉल को दीवार कहने में।

स्प्रिंग को बहार कहने में।

बूर को गँवार कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


मीनिंग को अर्थ कहने में।

वेन को व्यर्थ कहने में।

एबल को समर्थ कहने में।

पेरिल को अनर्थ कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


न्यू को नया कहने में।

शेम को हया कहने में।

मर्सी को दया कहने में।

वेंट को गया कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


डॉटर को तनया कहने में।

वर्ल्ड को दुनिया कहने में।

प्लीज़ को कृपया कहने में।

मनी को रुपया कहने में।


 क्या दिक्कत है ?


प्रिजनर को बंदी कहने में।

डर्टी को गन्दी कहने में।

डॉट को बिन्दी कहने में।

Hindi को हिन्दी कहने में।


क्या दिक्कत है ?


मनीष✍🏻

शनिवार, 13 सितंबर 2025

कपोल गीले😭 हो रहे हैं मेरे...


कपोल गीले😭 हो रहे हैं मेरे,

 स्वयं के खारे पानी से।

 अब तो खड़ा हूं मैं अकेला,

 इस भीड़ भरी जिंदगानी से।


 इधर मैं बेसुध बीमार सा, 

 अपने खेतों में पड़ा हूं।

उधर वो चह-चहा रही है 

 किसी और बगिया के मयखानो में।


 इतना नासाज़ सा हो गया हूं उसके ख्यालों में,

हमेशा रहता हूँ पड़ा अपने घर के विरानो में।

वो तो ऐसे छपक रही है,

 जैसे हो कोई भैंस पानी में।


 मेरा तो किया गया हर एक कार्य बुरा लगता था,

लेकिन बाड़ा अब बहुत प्यारा लग रहा है।

खुश हो रही है ऐसे जैसे हो कोई बकरी, 

हरे-भरे खेतों की हरियाली में।


कपोल गीले हो रहे हैं मेरे,

 स्वयं के खारे पानी से।

 अब तो खड़ा हूं मैं अकेला,

 इस भीड़ भरी जिंदगानी से।


विश्वजीत कुमार ✍🏻



बुधवार, 3 सितंबर 2025

प्यार तो वह मुझसे कम करता है।



प्यार तो वह मुझसे कम करता है,

लेकिन ऐलान ख़ूब करता है।

इस तरह वो मेरा,

नुकसान बहुत करता है।


उसका चेहरा जो है ना!!! 

नज़र से कभी नहीं हटता मेरी।

शायद इसीलिये रात-दिन मुझको, 

परेशान बहुत करता है।


जी तो चाहता है भुला दूँ उसे मैं,

लेकिन ख़यालो में आ-आ कर के वो बेज़ार बहुत करता हैं।

ऐसा नही है की मै उसे पसंद नही,

बस ये बताने से वो एहतिराम करता है।


खुश नसीब हो आपलोग जो उसकी कहानियां सुनने के आए हो,

वरना वो तो एक अल्फाज़ हैं।

रहता तो हमेशा मेरे साथ हैं,

लेकिन एतबार नही करता है।


उक्ता गया हूँ उसके इस कार्यो से,

ना कभी वो हाँ और ना कभी ना कहता है।

बस!!! अपनी आँखों के झील में रखता है।

ना डूबने देता है और ना उबरने देता है...

अपनी काजल की लकीरों की, 

वह लक्ष्मण रेखा तैयार रखता है।


प्यार तो वह मुझसे कम करता है,

लेकिन ऐलान ख़ूब करता है।

इस तरह वो मेरा,

नुकसान बहुत करता है।


विश्वजीत कुमार✍🏻


कविता में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ -

एहतिराम (احترام) - सम्मान, आदर, इज़्ज़त या मान-मर्यादा
अल्फ़ाज़ - "शब्द" या "शब्द समूह
एतबार - (पुल्लिंग) विश्वास, भरोसा।
बेज़ार - परेशान
उक्ता - ऊबा हुआ


सोमवार, 1 सितंबर 2025

...आ जाते।


उस दिन तुम जरा मेरे और पास आ जाते, 

शायद!!! मेरे होशो-हवास आ जाते।

 एक दिन में जितना खर्चा हुआ, 

उतने में तो पुरे महीने के राशन आ जाते।


 तेरी दहलीज तो बहुत दूर है वरना, 

जब भी होते उदास हम तेरे पास आ जाते।

 यदि तेरे छोड़े हुए ना होते तो, 

शायद!!! पूरी दुनिया को रास आ जाते।


 कभी-कभी सोचता हूँ, 

काश बचपन में लौट जाता मैं।

सभी पुराने लिबास मेरे काम आ जाते।

शायद!!! अब भी नाराज हो क्या मुझसे,

एक बार तो मुस्कुरा😊 दो मेरी ज़िन्दगी में चार चाँद आ जाते।


कहने को तो है यहां सभी मेरे अपने,

लेकिन, तुम जो तसव्वुर में हो तो। 

पूरी कायनात भी जमीं पर आ जाते।


उस दिन तुम जरा मेरे और पास आ जाते, 

शायद!!! मेरे होशो-हवास आ जाते।

 एक दिन में जितना खर्चा हुआ, 

उतने में तो पुरे महीने के राशन आ जाते।


विश्वजीत कुमार✍🏻

कविता में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ 

दहलीज - घर (House)

लिबास - कपड़ा (Clouth)

तसव्वुर - कल्पना (Imagination)

कायनात - सृष्टि, ब्रह्मांड, जगत, संसार या विश्व।