अब तक जो मैंने देखा,
वो सारे पन्ने खोल रहा हूं।
आर्यवर्त से बना हुआ,
मैं आज का भारत बोल रहा हूं। -2
जन्मा हूँ वेद ऋचाओ से,
गंगा की पावन बांहो से।
ऋषियों के आश्रम में पला बढ़ा,
खेला हूँ मस्त हवाओं से।
लोग कहते हैं मुझे तुम 300 साल का हुआ अभी,
कितने साल का हो गया हूँ यह ध्यान लगा कर सुनो सभी।
वह संगीत सुना मैंने जो हवा ने गाया था,
जल को सबसे पहले मैंने मस्तक पर लगाया था।
सबसे पहले मैंने ही सूर्योदय का दर्शन पाया था।
मैंने ही देखा जब सबसे पहले मनु धरा पर आया था।
हरिश्चंद्र को मैंने ही भरे बाजार में बिकते देखा है।
बाल्मीकि को मैंने ही रामायण लिखते देखा है।
रावण का वो ज्ञान कुंज एवं अहंकार मैंने देखा है।
श्रीराम का रावण पर होता प्रहार भी देखा है।
कंस अधर्मी को मैंने खुद पाप कमाते देखा है।
श्रीकृष्ण को बालपन में गाय चराते देखा है।
भीष्म की प्रतिज्ञा का भी आत्मसाक्षी बना हूं मैं,
चीर-हरण हुआ द्रोपदी का जब तीरों से छना हूँ मैं।
गीता ज्ञान सुना मैंने और बहुत सी सदिया देखी है।
कुरुक्षेत्र में बहती हुई वह खून की नदियां देखी है।
कलयुग का आगमन हुआ फिर बदली सभी कहानी थी
पीछे वाली बातें अब तो हो गई पुरानी थी।
टुकड़ों में बंट गया था मैं और बदल गया मेरा चेहरा था।
कौन करेगा अब एक मुझे ये जख्म दिल में गहरा था।
फिर जन्मा एक बेटा मेरा जिसने कसम उठाई थी।
अखंड करूंगा भारत को अपनी शिखा फैलाई थी।
चाणक्य और चंद्रगुप्त ने मेरा वजूद बढ़ाया था।
तक्षशिला से ले गंधार तलक मेरा परचम लहराया था।
देश बहुत उत्साहित था मैं मन-मन में हर्षाया था।
चमक दूर तक फैली सोने की चिड़िया कहलाता था।
मुझ पर कब्ज़ा करने को फिर एक सिकंदर आया था।
पूरी दुनिया पर जिसमें अपना परचम लहराया था।
मेरे तन का एक टुकड़ा भी मांस नोच नही पाया था।
मेरे बेटे पोरस ने उसे खाली हाथ लौटाया था।
संघर्षों में लगा रहा मैं कभी रुका ना कभी थका।
घाव बहुत झेले हैं मैंने कभी कटा ना कभी बँटा।
मोहम्मद गजनी, तैमूर घोड़े पर चढ़कर आये थे।
मंदिर लुटा, सोना लुटे ग्रंथ मेरे जलाये थे।
इतिहास किया छिन्न-भिन्न मेरा और साक्ष्य मेरे मिटाये थे।
फिर भी मैंने अतिथि देवो भव: के गीत ही गाए थे।
फिर आए अंग्रेज जो मेरे आगे नाक रगड़ते थे।
दुर्भाग्य से मेरे अपने ही आपस में लड़ते थे।
लड़ते रहे वो आपस में और ध्यान रहा शमशीरों में।
अंग्रेजों ने जकड़ा मुझे गुलामी की जंजीर में।
वेवश सा हो गया मैं हनन था स्वाभिमान हुआ।
ऐसे घाव लगे तन पर कि शरीर मेरा लहूलुहान हुआ।
फिर मेरे बेटे-बेटियों ने संकल्प लिया आजादी का।
कारण बनकर रहेंगे एक दिन दुश्मन की बर्बादी का।
मेरे लाखों बच्चों ने फिर अपना खून बहाया था
तोड़ गुलामी की जंजीरे फिर मुझे आजाद कराया था।
एक बार फिर रोया मैं जब टुकड़ो में मुझे बांटा था।
बहुत दर्द हुआ सीने में जब मेरा हिस्सा काटा था।
आज तलक ना भुला मैं कितना मुश्किल दौर वो था।
हाहाकार मची थी चारों ओर मौत का शोर था।
जिन्होंने ये काम किया वो दुष्ट मेरे ही बेटे थे।
मुझे डसने को बिल से निकल वो ताक में बैठे थे।
दो हिस्सों में बांट दिया मेरे बच्चों की कुर्बानी को,
देश की खातिर जिन्होंने न्योछावर किया जवानी को।
भुला दिया क्यों सबसे बड़े स्वतंत्रता सेनानी को।
मैंने खुद आंखों से देखा लोगों की बेईमानी को।
आज मैं सब से कहता हूं कि मेरी बात मान लो तुम,
छोड़ आपसी झगड़ो को मेरी व्यथा जान लो तुम।
मैं सब अपने बच्चों को खुशहाल देखना चाहता हूं।
आपस में लड़ते हो जब मैं देख-देख घबड़ाता हूँ।
डर लगता है की फिर से कही मैं टुकड़ों में ना बँट जाऊं।
चला हूँ विश्व गुरु बनने अब पीछे कैसे हट जाऊं।
ठहराव के इस पल में, दो साथ मेरा।
मैं प्यार दिलों💗 में घोल रहा हूं।
आर्यवर्त से बना हुआ,
मैं आज का भारत बोल रहा हूं। -2
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