बिहार का एगो खास बात है आप चाहे लाख होटल, मैरिज हॉल बनवा लीजिए, बरियाती को ठहराने का जो मजा सरकारी स्कूल में है ऊ दोसर कहीं नहीं।
ठंडा के दिन रहे तो पुअरा बिछा के दरी के ऊपर टेंट हाउस वाला उजरका एवं गुलाब जामुन जैसा तकिया फेंका-फेंकी में अलग लेवल का आनन्द आता है। खिड़की से सन्न-सन्न पछिवां हवा बह रहा हो और खिड़की का एगो पल्ला गायब हो तब प्रेमचंद्र के हल्कू की याद आ जाती है कि कैसे वो रात में फसल की रखवाली करता था। यदि ठंड से बचने के लिए आप दीवार से पीठ लगाकर बैठिए तs दीवार का आधा चूना झड़ के पीछे ऐसे चिपक जाता था जैसे कि अजंता की दीवारों पर पेंटिंग की गई हो। कुछ पढ़ल-लिखल लईका सब वहां पर उपस्थित ब्लैक बोर्ड पर अपने ज्ञान का प्रदर्शन करने में नहीं चुकते थे और कुछ ही देर में पूरा ब्लैक बोर्ड A+B का होल स्क्वायर से लेकर न्यूटन के सिद्धांत वाले नियम से भर जाता था। उसी बरामदे में बैठे सुदर्शन काका यह दृश्य देखते और कहते थे कि फ़लाना का लईका तs पढ़े में बड़ी तेज है।
स्कूल के बाहर लड़के का फूफा लड़की के चच्चा से अलगे लड़ते रहते की- “बताइए ई कईसन व्यवस्था है यहां का? पैखाना से लेकर पानी तक का कोई बेवस्थे नहीं है, हमारा लड़का सब रात-विरात कहाँ जाएगा सब? लाइटो का भी कोनो ठीक जोगाड़ नहीं रखे है। देख रहे हैं अभिये हम ई घुप्प अन्हार में जरनेटर के अर्थिंगे पर मूत आते। उs तs अच्छा हुआ कि यहां एक लाइट जल गया नही तs बताइए हमार तs जीवने अन्हार हो जाता। अरे!! पैसा का कमी था तो बताते हमही आकर सब बेवस्था कर जाते इहाँ।”
स्कूल के मेन गेट पर रिमझिम बैंड पार्टी का रंगरूट सब फिरंगी वाला आर्मी जैसा ड्रेस पहिने, ढोल-ताशा बजाते-बजाते एकदम से बेहाल हुआ रहता। पिंपनी वाला भी अपना फेफड़ा का पूरा हवा झोंक रहा होता अऊर ऊ स्टार गायक हाथ में आधा घण्टा से माइक लेकर खाली “रेडी वन टू थ्री, वन टू थ्री” कर रहा होता। तब यहां पर फूफा जी का गुस्सा😡 देखने को मिलता था वो गुस्से में बोलते- कारे, तोहरा के खाली यही ला बोलवले बानीs तब वह घबराहट में गाना शुरू करता “अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो, दर पे सुदामा गरीब आ गया है।” उधर से लड़के का बाप गला फाड़ते हुए चिल्लाते आते- “साला ई बंदी में भी अभीये दारू पी लिया है का रास्ता में, अचार चटाओ इसको। अलबला गया है। कल पैसा काटेंगे ना तब बुझाएगा ससुरा के..” तब गायक होश में आता और गाना शुरू करता। “झिमी, झिमी, झिमी, आजा!!! आजा!!! आजा!!!” पंद्रह मिनट तक वह यही गाना गाते रहता तब ऐसा लगता था कि इसका कैसेट💽 अटक गया है। गाने में परिवर्तन तब होता है जब दो चार गो लइका के दोस्त आकर कहता कि- आज हमारे यार की शादी है बजाओ। इन सभी से जब, सब उब जाते तब बारी आता नागिन🐍 डांस का और उस डांस में सब ऐसे नाचते जैसे कि आज नागमणि💠 लेकर ही मानेंगे।
उधर लईका के दोस्त सब ललका ब्लेजर पर गोल्डस्टार का जूता पहीन के विधायक/संसद के तरह भौकाल में टहल रहा होता हैं। ई दोस्त सब के नज़र में जहां ऊ बरियाती आया है ऊ दुनिया का सबसे बेकार😫 गांव है। जहां सुपर मार्केट नहीं है, रेस्टोरेंट नहीं है, एटीएम नहीं है, लैम्बोर्गिनी का शोरूमो नहीं है। क्लासिक मेंथोल का सिगरेट नहीं मिला है तो गोल्ड फ्लेक पीना पड़ रहा है। घरवैया भी सब इनका हीरोपनी समझ रहा है लेकिन आडवाणी लेवल का मौन बन बर्दाश्त किया हुआ है की एक रात का तो बात है जैसे-तैसे काट लों सुबह तो विदा करना ही हैं इनको।
अब बारात दरवाजे की तरफ बढ़ रहा है। बाराती सब में माइकल जैक्सन का भूत🕺 आ चुका है और वह अब नागिन धुन से कमरिया करे लपालप वाले धुन पर आ चुके हैं। गांव में चाची, काकी, दादी सब गाड़ी में एकदम से झांक-झांक के लईका को देख रही हैं। पूरा हंसी-मजाक चल रहा है....
– ऐ चाची, लईका का उमर थोड़ा ज्यादा नहीं बुझा रहा है..!!!
– रे बजरखसुआ, ऊ लईका का बाप है। लईका तs पीछे बैठा है। तु उ बूढ़वा से काहे मजाक करती हो...!
-तले कोई कहता हैं का बाबा आप काहे काजर लगा लिए हैं, बियाह त बेटवा का है ना?
......बाप भी इन सभी बातों को मजाक में उड़ा देता है क्योंकि आज उसके बेटे की शादी जो होने वाली होती है।
वाह क्या बात है मस्त कहानी है विश्वजीत जी ठंडा के मौसम में बारात का मजा
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