बुधवार, 22 दिसंबर 2021

National Institute of Fashion Technology. अनुबंध के आधार पर सहायक प्रोफेसर के पदों पर भर्ती RECRUITMENT TO THE POSTS OF ASSISTANT PROFESSOR ON CONTRACT BASIS


NIFT Recruitment: Apply For 190 Assistant Professor Posts; Basic Pay Rs 56,100 Plus Central Govt Allowances.

As per the advertisement, 190 Assistant Professors will be recruited on contract basis for five years (with possibility of regularization following due procedure to assess performance).
Full Notification 👇👇




Vacancy Details

Assistant Professor: 190 posts

Level of Pay As per Pay Matrix (7th CPC): Level-10 Basic

Pay Rs. 56,100, plus other allowances as per Central Government.

Age Limit (as on 31-01-2022): 40 years maximum.

Upper age-limit for NIFT employees may be relaxed up to five years or total length of service rendered (on regular and/or long-term contract basis) whichever is less.

Qualifications And Experience:

(a) Post Graduate Degree from recognized University/Institute in any of the competencies with three years’ experience (including pre-qualification (post UG degree) experience) in teaching or research or in relevant industry in a recognised University/ Institution.

(b) PhD from recognized University/Institution in a subject relevant to any of the competencies as mentioned in Annexure-I, with one year’s experience {including pre-qualification (post UG degree) experience) in a recognised University/Institution in teaching or research or in relevant industry.

Application Fee:

- The candidates are required to pay application fee of Rs. 1,180/- (Rs.1000/- plus GST 18% i.e. Rs. 180/-) through online payment.

- SC/ST/PWD/Women candidates and employees of NIFT (both regular and on long term contract) are exempted from payment of application fee.

How To Apply:

-Online Application process will start on NIFT’s website from 08-12-2021(0900 hours) up to 31-01-2022(midnight)

Interested applicants are requested to apply online in the prescribed format available on Institute’s website (www.nift.ac.in) uploading the self-attested copies of relevant certificates and testimonials in support of age, qualification, caste and experience etc.















मंगलवार, 21 दिसंबर 2021

ठंडा में ठेठ बिहार का बारात।

 


      बिहार का एगो खास बात है आप चाहे लाख होटल, मैरिज हॉल बनवा लीजिए, बरियाती को ठहराने का जो मजा सरकारी स्कूल में है ऊ दोसर कहीं नहीं।

     ठंडा के दिन रहे तो पुअरा बिछा के दरी के ऊपर टेंट हाउस वाला उजरका एवं गुलाब जामुन जैसा तकिया फेंका-फेंकी में अलग लेवल का आनन्द आता है। खिड़की से सन्न-सन्न पछिवां हवा बह रहा हो और खिड़की का एगो पल्ला गायब हो तब प्रेमचंद्र के हल्कू की याद आ जाती है कि कैसे वो रात में फसल की रखवाली करता था। यदि ठंड से बचने के लिए आप दीवार से पीठ लगाकर बैठिए तs दीवार का आधा चूना झड़ के पीछे ऐसे चिपक जाता था जैसे कि अजंता की दीवारों पर पेंटिंग की गई हो। कुछ पढ़ल-लिखल लईका सब वहां पर उपस्थित ब्लैक बोर्ड पर अपने ज्ञान का प्रदर्शन करने में नहीं चुकते थे और कुछ ही देर में पूरा ब्लैक बोर्ड A+B का होल स्क्वायर से लेकर न्यूटन के सिद्धांत वाले नियम से भर जाता था। उसी बरामदे में बैठे सुदर्शन काका यह दृश्य देखते और कहते थे कि फ़लाना का लईका तs पढ़े में बड़ी तेज है।

    स्कूल के बाहर लड़के का फूफा लड़की के चच्चा से अलगे लड़ते रहते की- “बताइए ई कईसन व्यवस्था है यहां का? पैखाना से लेकर पानी तक का कोई बेवस्थे नहीं है, हमारा लड़का सब रात-विरात कहाँ जाएगा सब? लाइटो का भी कोनो ठीक जोगाड़ नहीं रखे है। देख रहे हैं अभिये हम ई घुप्प अन्हार में जरनेटर के अर्थिंगे पर मूत आते। उs तs अच्छा हुआ कि यहां एक लाइट जल गया नही तs बताइए हमार तs जीवने अन्हार हो जाता। अरे!! पैसा का कमी था तो बताते हमही आकर सब बेवस्था कर जाते इहाँ।”

     स्कूल के मेन गेट पर रिमझिम बैंड पार्टी का रंगरूट सब फिरंगी वाला आर्मी जैसा ड्रेस पहिने, ढोल-ताशा बजाते-बजाते एकदम से बेहाल हुआ रहता। पिंपनी वाला भी अपना फेफड़ा का पूरा हवा झोंक रहा होता अऊर ऊ स्टार गायक हाथ में आधा घण्टा से माइक लेकर खाली “रेडी वन टू थ्री, वन टू थ्री” कर रहा होता। तब यहां पर फूफा जी का गुस्सा😡 देखने को मिलता था वो गुस्से में बोलते- कारे, तोहरा के खाली यही ला बोलवले बानीs तब वह घबराहट में गाना शुरू करता “अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो, दर पे सुदामा गरीब आ गया है।” उधर से लड़के का बाप गला फाड़ते हुए चिल्लाते आते- “साला ई बंदी में भी अभीये दारू पी लिया है का रास्ता में, अचार चटाओ इसको। अलबला गया है। कल पैसा काटेंगे ना तब बुझाएगा ससुरा के..” तब गायक होश में आता और गाना शुरू करता। “झिमी, झिमी, झिमी, आजा!!! आजा!!! आजा!!!” पंद्रह मिनट तक वह यही गाना गाते रहता तब ऐसा लगता था कि इसका कैसेट💽 अटक गया है। गाने में परिवर्तन तब होता है जब दो चार गो लइका के दोस्त आकर कहता कि- आज हमारे यार की शादी है बजाओ। इन सभी से जब, सब उब जाते तब बारी आता नागिन🐍 डांस का और उस डांस में सब ऐसे नाचते जैसे कि आज नागमणि💠 लेकर ही मानेंगे।

       उधर लईका के दोस्त सब ललका ब्लेजर पर गोल्डस्टार का जूता पहीन के विधायक/संसद के तरह भौकाल में टहल रहा होता हैं। ई दोस्त सब के नज़र में जहां ऊ बरियाती आया है ऊ दुनिया का सबसे बेकार😫 गांव है। जहां सुपर मार्केट नहीं है, रेस्टोरेंट नहीं है, एटीएम नहीं है, लैम्बोर्गिनी का शोरूमो नहीं है। क्लासिक मेंथोल का सिगरेट नहीं मिला है तो गोल्ड फ्लेक पीना पड़ रहा है। घरवैया भी सब इनका हीरोपनी समझ रहा है लेकिन आडवाणी लेवल का मौन बन बर्दाश्त किया हुआ है की एक रात का तो बात है जैसे-तैसे काट लों सुबह तो विदा करना ही हैं इनको।

      अब बारात दरवाजे की तरफ बढ़ रहा है। बाराती सब में माइकल जैक्सन का भूत🕺 आ चुका है और वह अब नागिन धुन से कमरिया करे लपालप वाले धुन पर आ चुके हैं। गांव में चाची, काकी, दादी सब गाड़ी में एकदम से झांक-झांक के लईका को देख रही हैं। पूरा हंसी-मजाक चल रहा है....


– ऐ चाची, लईका का उमर थोड़ा ज्यादा नहीं बुझा रहा है..!!!


– रे बजरखसुआ, ऊ लईका का बाप है। लईका तs पीछे बैठा है। तु उ बूढ़वा से काहे मजाक करती हो...!


-तले कोई कहता हैं का बाबा आप काहे काजर लगा लिए हैं, बियाह त बेटवा का है ना?

         ......बाप भी इन सभी बातों को मजाक में उड़ा देता है क्योंकि आज उसके बेटे की शादी जो होने वाली होती है।

मांझी द माउंटेन मैन मूवी के 05 डायलॉग।



Motivational


1. (BPSC pt को) जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं, बहुतै बड़ा दंगल चलेगा रे तोहर हमार।


2. पहाड़ तोड़े से भी मुश्किल है का (BPSC pt निकालना)।


3. बहुत अकड़ है (BPSC) तोहरा में, देख कैसे उखाड़ते हैं अकड़ तेरी।


4. कोचिंग/लाइब्रेरी के भरोसे मत बैठिए, का पता कोचिंग/लाइब्रेरी आपके भरोसे बैठा हो।


5. लोग कहता है हम पागल (Crazy) हैं, जिंदगी खराब कर रहे है।

(उ ससुरा, हमरा काबलियत के बारे में कुछऊ जानता ही नहीं है।)


Remind yourself,

 

कुछ भी हो बनना तो पदाधिकारी हीं है, रोक सको तो रोक लो ।   


पढ़ते रहिए 🙌👍

बुधवार, 15 दिसंबर 2021

गांव का बियाह (ठेठ बरात)।

 


        मैंने ये सब देखा तो नही हैं लेकिन घर पर दादा-दादी, नाना-नानी के मुख से सुना जरूर है। इसे आज आपसभी के बीच साझा करने पर खुशी महसूस हो रही हैं। 

         पहले गाँवो में न टेंट हाऊस होते थे और न ही कैटरिंग की व्यवस्था थी। यदि कुछ थी तो वह थी बस सामाजिकता। गांव में जब किसी के घर कोई शादी-ब्याह का कार्यक्रम होता तो प्रत्येक घर से चारपाई आ जाती थी। हर घर से थरिया, लोटा, कलछुल, कराही, गिलास इकट्ठा हो जाता और गाँव की ही महिलाएं एकत्र हो कर खाना बना देती थीं। औरते ही मिलकर दुल्हन को तैयार करती आज के परिदृश्य जैसा कोई ब्यूटी पार्लर का कॉन्सेप्ट नहीं था और ना ही इतनी मेकअप की आवश्यकता। हर रस्म का गीत-गारी, वगैरह भी महिलाओं के द्वारा ही संभव होता था। आज भी मुझे वह गारी याद है-

लाल मरचा, हरीयर मरिचा!!! मरिचा बड़ा तीत बा।

कवन साले के दीदीयां के अनार बड़ा मीठ बा।

        उस समय, DJ ANIL-DJ, ANIL जैसी कोई चीज नही होती थी और न ही कोई ऑर्केस्ट्रा वाले फूहड़ गाने। हर विधि के लिए अलग-अलग गीत एवं गाने जिसे बड़ी तत्परता के साथ महिलाओं की एक टीम के द्वारा गाया जाता था। गीत-संगीत से गाँव का पूरा माहौल संगीतमय रहता। गांव के सभी चौधरी टाइप के लोग पूरे दिन काम करने के लिए इकट्ठे रहते थे उन सभी के बीच हंसी-ठिठोली चलती रहती और समारोह का कामकाज भी। शादी-ब्याह मे गांव के लोग बारातियों के खाने से पहले खाना नहीं खाते थे क्योंकि यह घरातियों की इज्ज़त का सवाल होता था लेकिन आज का परिदृश्य बिल्कुल ही बदल चुका है। गांव की महिलाएं गीत गाती जाती और अपना काम करती रहती। सच कहु तो उस समय गांव मे सामाजिकता के साथ समरसता होती थी।

       खाना परोसने के लिए गाँव के लौंडों का गैंग समय पर इज्जत सम्हाल लेता था। यदि कोई बड़े घर की शादी होती तो टेप बजा देते थे जिसमे एक कॉमन गाना बजता था- मैं सेहरा बांध के आऊंगा मेरा वादा है और दूल्हे राजा भी उस दिन खुद को किसी युवराज से कम नही समझते। दूल्हे के आसपास नाऊ हमेशा तैयार रहता, समय-समय पर बाल झारते रहता था और समय-समय पर काजर, पाउडर भी पोत देता था ताकि दूल्हा हमेशा सुन्नर लगता रहे, उसके बाद फिर द्वारा पूजा होता। 

      द्वार पूजा के बाद जब बराती एवं शराती खा-पीकर निश्चित होते तो एक विधि शुरू होती जिसे गुरहथनी कहां जाता। यह विधि वर पक्ष एवं वधु पक्ष दोनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती क्योंकि वर पक्ष को एक भशुर (एक ऐसा व्यक्ति जो रिस्तेदारों में लड़का का बड़ा भाई लगता हो) और वधू पक्ष को जितना उसने तिलक दिया है उसके अनुसार उसे गहने की प्राप्ति करनी होती थी। लड़का पक्ष को हमेशा लगता कि उसने गुरहथनी में बहुत ज्यादा गहना दे दिया है और लड़की पक्ष को लगता कि उसने कुछ दिया ही नहीं हैं। यहां पर एक गाना अक्सर महिलाओं के द्वारा गाया जाता-

गहना करार कईले लईकी के बाप से, 

अगुआं ना देवे देला अपना दिमाग से।

फिर शुरू होती पण्डित जी एवं लोगों की महाभारत जो रातभर चलती। इन सभी विधियों में एक ऐसी विधि होती जिस समय सबकी आंखें एकदम से नम😓 हो जाती। उस विधि को कहते हैं- "कन्यादान" फिर कोहबर होता। ये वो रस्म है जिसमे दूल्हा-दुल्हिन को अकेले में दो मिनट बात करने के लिए छोड़ दिया जाता था लेकिन इतने कम समय में सिर्फ मैग्गी ही बन सकती हैं बाते नहीं। आज-कल का दौड़ तो था नही की शादी के पहले से ही बात-मुलाकात हो चुकी हो। उस समय तो पहली मुलाकात कोहबर घर मे ही होती। सबेरे कलेवा में जमके गारी गाई जाती और यही वो रस्म है जिसमे दूल्हे राजा जेम्स बांड बन जाते कि ना, हम नही खाएंगे कलेवा। फिर उनको मनाने कन्या पक्ष के सब जगलर टाइप के लोग आते। 

         अक्सर दूल्हा की सेटिंग अपने चाचा या दादा से पहले ही रहती थी और उसी अनुसार आधा घंटा या पौन घंटा खिसियाने/रिसियाने का क्रम चलता और उसी में दूल्हे के छोटे भाई सहबाला की भी भौकाल टाइट रहती। लगे हाथ वो भी कुछ न कुछ और लहा लेता यानी उसे भी दूल्हे के साथ कुछ पैसे प्राप्त हो जाते। फिर एक जयघोष के साथ रसगुल्ले का कण दूल्हे के होठों तक पहुंच जाता और एक विजयी मुस्कान के साथ वर और वधू पक्ष इसका आनंद लेते।

       उसके बाद दूल्हे का साक्षात्कार यानी की इंटरव्यू वधू पक्ष की महिलाओं से करवाया जाता और उस दौरान उसे विभिन्न उपहार प्राप्त होते जो नगद और श्रृंगार की वस्तुओं के रूप में होते। इस प्रकिया में कुछ अनुभवी महिलाओं द्वारा काजल और पाउडर लगे दूल्हे का कौशल परिक्षण भी किया जाता और उसकी समीक्षा परिचर्चा विवाह बाद आहूत होती थी और लड़कियां दूल्हा के जूता चुराती और 21₹ से 51₹ में मान जाती। इसे जूता चुराई कहा जाता था।

फिर गिने चुने बुजुर्गों द्वारा माड़ो (विवाह के कर्मकांड हेतु निर्मित अस्थायी छप्पर) हिलाने की प्रक्रिया होती वहां हम लोगों के बचपने का सबसे महत्वपूर्ण आनंद उसमें लगे लकड़ी के सुग्गो (तोता) को उखाड़ कर प्राप्त होता था और विदाई के समय नगद नारायण कड़ी जो कि 10/20 रूपये की नोट जो कहीं 50 रूपये तक होती थी। वो स्वार्गिक अनुभूति होती कि हम कह नहीं सकते हालांकि विवाह में प्राप्त नगद नारायण माता जी द्वारा 2/5 रूपये  से बदल दिया जाता था।

आज की पीढ़ी उस वास्तविक आनंद से वंचित हो चुकी है जो आनंद विवाह का हम लोगों ने प्राप्त किया है। लोग बदलते जा रहे हैं, परंपराएं भी बदलते चली जा रही है, आगे चलकर यह सब देखन को मिलेगा की नही अब इ त विधाता जाने लेकिन जो मजा उस समय मे था, वह अब धीरे धीरे विलुप्त हो रहा है।


 आज बरात या तिलक में शामिल होते समय भले ही स्कार्पियो में सामने की सीट प्राप्त हो जाए, लेकिन वह आनंद प्राप्त नहीं होता।


सोमवार, 13 दिसंबर 2021

मिस यूनिवर्स 2021. हरनाज़ संधू ।

 


     हरनाज़ संधू ने मिस यूनिवर्स 2021 प्रतियोगिता जीत कर हम सभी भारतीयों को गर्व करने का मौक़ा दे दिया है। इजराइल के एलात में आयोजित 70वीं मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में हरनाज़ ने 79 प्रतिभागियों को हराकर ये जीत हासिल की है। TOP-3 राउंड में जगह बनाने के लिए हरनाज़ के सामने ये सवाल रखा गया था-

'जो युवतियां ये देख रही हैं, उन्हें आप चुनौतियों का सामने करने लिए क्या हिदायत देंगी?' 

इसके जवाब में हरनाज़ ने कहा, "आज के युवा के सामने सबसे बड़ा दबाव खुद पर यक़ीन करने को लेकर है, ये जानना कि आप सबसे अलग हैं आपको खूबसूरत बनाता है। ख़ुद की लोगों से तुलना करना बंद करें और उन चीज़ों के बारे में बात करें जो दुनिया में हो रही हैं, और ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं। खुद के लिए आवाज़ उठाइए क्योंकि आप ही अपने जीवन के नेतृत्वकर्ता है, आप ही आपकी आवाज़ हैं। मैंने ख़ुद पर यक़ीन किया और आज यहां खड़ी हूं।"

      चंडीगढ़ की रहने वाली 21 साल की हरनाज़ मॉडलिंग के साथ-साथ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स कर रही हैं। कई पंजाबी फ़िल्मों में भी काम कर चुकी हरनाज़ को मैक्स इमर्जिंग स्टार 2018, मिस डिवा 2021, फ़ेमिना मिस इंडिया पंजाब 2019 का खिताब जीतने के अलावा फ़ेमिना मिस इंडिया 2019 में उन्होंने टॉप 12 में जगह बनाई थी। इस प्रतियोगिता में फ़र्स्ट और सेकेंड रनर अप पैराग्वे और दक्षिण अफ़्रीका के प्रतियोगी रहे। इस प्रतियोगिता में पूर्व मिस यूनिवर्स एंड्रिया मेजा ने हरनाज़ को ताज पहनाया। 1994 में सुष्मिता सेन और 2000 में लारा दत्ता के बाद अब, पूरे 21 साल बाद मिस यूनिवर्स का खिताब किसी भारतीय ने जीता है।



शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

बिहार लोक सेवा आयोग के विज्ञापन संख्या 01/2021 जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी के परीक्षा तिथि की हुई घोषणा। ।

 









विज्ञापन संख्या  01/2021 के अंतर्गत जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी (बिहार कला एवं संस्कृति) सेवा के रिक्त पदों पर नियुक्ति हेतु प्रारंभिक प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन दिनांक 29/01/2022 शनिवार को संभावित है।